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आपने यह कहावत अवश्य सुनी होगी कि “लोहे को लोहा ही काटता है!" ठीक ऐसा ही कुछ देश की सीमाओं के निकट भी हो रहा है। हाल ही के दिनों में पड़ोसी मुल्कों द्वारा भारतीय सीमा पर ड्रोन के द्वारा जासूसी की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं । इसीलिए ड्रोन की महत्ता को समझते हुए भारतीय सेना ने भी लगभग 2,000 ड्रोन खरीदने के लिए आदेश दिए हैं।
हाल के वर्षों में, बिना चालक की मौजूदगी के उड़ने वाले ड्रोन (Drone) तेजी से दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहे हैं। ड्रोन काफी सस्ते होते हैं और इन्हें कोई भी आसानी से उड़ा सकता है। लेकिन विकास के साथ ही नियमों की कमी और गलत संचालन के कारण, ड्रोन से जुड़ी कई समस्याएं एवं दुर्घटनाएं भी सामने आई हैं।
कुछ मामलों में, ड्रोन का प्रयोग अवैध रूप से आतंकवाद जैसे दुर्भावनापूर्ण इरादों या सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है। आम लोगों के बीच ड्रोन की पहुंच आसान होने के कारण अपराधियों, आतंकवादियों और निकट-साथी प्रतिस्पर्धियों द्वारा इनका प्रयोग करने की संभावना बढ़ रही है।
ड्रोन आकार में छोटे और बेहद फुर्तीले होते हैं, इसलिए उनका पता लगाना बेहद कठिन होता है । अपनी रक्षा करने के लिए ड्रोन कई बेहतरीन तकनीकों से युक्त होते हैं, जो इनका पता लगाने वाली तकनीकों को पूरी तरह से मात दे सकती हैं। हालांकि आरएफ सेंसर (RF sensor) युक्त विशिष्ट रडार की सहायता से छोटे ड्रोनों का पता लगाया जा सकता है।
अब ड्रोन का पता लगाने के लिए विभिन्न सेंसर और तकनीकों से युक्त काउंटर-ड्रोन सिस्टम (Counter-Drone System) का भी प्रयोग किया जाता है, जिसे भविष्य में और अधिक उन्नत सेंसर और तकनीकों के एकीकरण तथा एआई प्रौद्योगिकी (AI Technology) अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त किए जाने की आवश्यकता है ।
ड्रोन का पता लगाने या ड्रोन को इंटरसेप्ट (Intercept) करने वाले उपकरण पहले ही बाजार में दिखने लगे हैं। हालांकि, ड्रोन के खतरे का पूरी तरह से मुकाबला करने के लिए, एकजुट प्रणाली के रूप में कार्य करने के लिए विभिन्न सेंसर (Sensors) और मिटिगेटर (Mitigators) को एकीकृत कर विभिन्न तकनीकियों का संयोजन करना जरूरी है।
ड्रोन की महत्ता को समझते हुए भारतीय सेना ने भी लगभग 2,000 ड्रोन खरीदने के लिए आदेश दिए हैं। इनका उपयोग महत्वपूर्ण सैन्य आपूर्ति को अग्रिम चौकियों तक ले जाने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निगरानी और सैन्य सर्वेक्षण कार्य के लिए किया जायेगा। लद्दाख और हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में भी भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ऊंचाई पर हुई झड़पों के कारण, इनकी आवश्यकता और भी अधिक बढ़ गई है।
लद्दाख में, चीन की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (People's Liberation Army) ने बड़ी संख्या में सैनिकों को अग्रिम क्षेत्रों में तैनात कर दिया है और अक्साई चिन (Aksai Chin) में हेलीपैड (Helipad) का निर्माण किया है। इसके अलावाडेमचोक तथा गलवान (Demchok and Galwan) जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के सैनिकों के बीच आपसी झडपें भी हुई हैं। ऐसे में चीनियों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखना जरूरी हो गया है।
रसद पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन 5 कि.ग्रा से 40 कि.ग्रा के बीच का भार उठा सकते हैं। इसलिए इनका ज्यादातर इस्तेमाल निगरानी के अलावा, अग्रिम चौकियों पर सैनिकों को विभिन्न प्रकार की आपूर्ति प्रदान करने के लिए किया जाएगा।
इन ड्रोनो को उच्च ऊंचाई पर उड़ान भरने और जरूरत के समय देर तक हवा में रहने के लिए भी तैयार किया जा रहा है। लद्दाख में, कई प्रमुख ठिकाने और अग्रिम चौकियां 12,000 फुट से 15,000 फुट के बीच की ऊंचाई पर हैं। ओल्डी (Oldi) में भारतीय वायु सेना का सबसे ऊंचा एयरबेस (Airbase) ‘दौलत बाग’ लगभग 18,000 फुट की ऊंचाई पर मौजूद है। वहां उतरने वाले विमान अपने इंजन को चालू रखते हैं, और लगभग 15 मिनट तक ही जमीन पर रुक सकते हैं।
रक्षा क्षेत्र में ड्रोन क्या भूमिका निभा सकते हैं, इसका पता सबसे पहले अज़रबैजान (Azerbaijan) और आर्मेनिया (Armenia) संघर्ष के दौरान ही लग गया था, जिसमें बड़ी संख्या में ड्रोन के उपयोग ने निर्णायक की भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, सऊदी अरब में ‘अरामको’ (Aramco) की रिफाइनरियों (Refineries) पर एक ड्रोन हमले ने दिखाया कि वे कितने विनाशकारी हो सकते हैं। हाल ही में, रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) संघर्ष ने भी दिखाया है कि छोटे से दिखने वाले ड्रोन भी कैसे युद्ध के परिणामों को बदल रहे हैं। समय के साथ बढ़ रही इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं ने, वास्तव में, ड्रोन की मांग में वृद्धि की है। जून 2020 में लद्दाख में चीन के साथ हुई मुठभेड़ के बाद भारत ने भी ड्रोन ख़रीदना शुरू कर दिया था।
चीन में निर्मित हाई-टेक जासूसी ड्रोन (Hi-Tech Spy Drone) लंबे समय से भारत और अमेरिका (America) में सुरक्षा अधिकारियों के लिए बड़ी चिंता का विषय बने हुए हैं। पिछले वर्ष 25 दिसंबर, 2022 के दिन पंजाब में सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force (BSF) द्वारा एक ड्रोन को मार गिराया गया था।
उच्च पदस्थ अधिकारियों के अनुसार, ड्रोन के फॉरेंसिक विश्लेषण से पता चला है कि भारतीय सैनिकों द्वारा गिराए जाने से पहले इस ड्रोन को एक बार चीन के अंदर, फिर 29 बार पाकिस्तान में और फिर दो बार भारत में उड़ाया गया था। भारतीय सैनिकों द्वारा गिराए जाने के बाद यह ड्रोन अमृतसर जिले के राजाताल गांव के खेतों में पड़ा हुआ पाया गया। बीएसएफ (BSF) का मानना है कि हो सकता है कि ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा जासूसी करने और चीन में उसके आकाओं तक सूचनाएं पहुंचाने के लिए किया गया हो। इस घटना ने भी रक्षा अधिकारियों को पंजाब में भारत-पाक सीमा पर ड्रोन-विरोधी तकनीक (Anti-Drone Technology) स्थापित करने पर विचार करने के लिए एक बार फिर से प्रेरित किया है।
संदर्भ
https://bit.ly/3YltKbQ
https://bit.ly/3mnPmHg
https://bit.ly/41LgYpW
चित्र संदर्भ
1. एक स्वचालित ड्रोन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. टेक ऑफ करते हुए ड्रोन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. काउंटर-ड्रोन सिस्टम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मानव रहित हवाई वाहन को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
5. अत्याधुनिक ड्रोन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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