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क्या आप जानते हैं कि हाल ही में ‘विश्व वन्यजीव कोष’ (World Wildlife Fund) द्वारा चेतावनी दी गई है कि आज वन्यजीव प्रजातियों के विलुप्त होने की मौजूदा दर, प्राकृतिक रूप से विलुप्त होने की दर से 10,000 गुना तेज है। इतनी तेजी से जानवरों की विलुप्ति का मतलब यह है कि आप अपने कई पसंदीदा जानवरों को अपनी आँखों के सामने ही विलुप्त होते हुए देखेंगे।
समय के साथ, वनों की कटाई, अत्यधिक मछली पकड़ना , जलवायु परिवर्तन, जानवरों के प्राकृतिक निवास स्थानों का नुकसान, मानव-वन्यजीव संघर्ष और अवैध शिकार, इन सभी में तेजी आ रही है। ऊपर से वन जीव समूह के संरक्षण के अधिकांश प्रयास भी असफल ही रहे हैं। वैश्विक जैव विविधता (जीव-जंतुओं) के संदर्भ में आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में पूरी दुनिया की कुल भूमि के मात्र 2.3 प्रतिशत क्षेत्र पर जानवरों की लगभग 8% वैश्विक आबादी का निवास है।
विश्व के 36 वैश्विक जैव विविधता वाले संवेदनशील खंडों (Hotspot) में से चार खंड अकेले भारत में मौजूद हैं। विभिन्न परिदृश्यों, नदियों और महासागरों में वितरित भारत के अद्वितीय और विविध पारिस्थितिक तंत्र, आर्थिक रूप से भी अत्यंत मूल्यवान हैं। क्या आप जानते हैं कि 2018 में भारत के वनों की (संपत्ति) का कुल मूल्य 128 ट्रिलियन रुपए होने का अनुमान लगाया गया था।
जीव जंतुओं की विशाल विविधता होने के कारण देश में वन्यजीव संरक्षण एक अहम् मुद्दा बन जाता है। वन्यजीवों के संरक्षण कार्यक्रमों के संचालन हेतु उच्च स्तर के वित्तपोषण की आवश्यकता होती है।
भारत में वन्यजीवों का संरक्षण करना केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की जिम्मेदारी होती है। इसलिए भारतीय संविधान में इस विषय को ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) के अंतर्गत रखा गया है। केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें वन और वन्यजीव संरक्षण से संबंधित कानून पारित कर सकती हैं। हालांकि, टकराव की स्थिति में राज्य के कानून पर संघीय कानून का प्रभुत्व रहता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 48 ए में कहा गया है कि “पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा देश के वनों और वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास राज्य सरकार करेगी।” वहीं संविधान के अनुच्छेद 51 ए (G) में कहा गया है कि वनों तथा वन्य जीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य होगा।
भारत में वन्य जीवन से संबंधित सभी मामलों की देखरेख और संरक्षण का कार्य ‘पर्यावरण और वन मंत्रालय’ (Ministry of Environment & Forests (MoEF) के वन्यजीव संरक्षण निदेशालय द्वारा किया जाता है। इस निदेशालय का नेतृत्व भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service (IFS) के एक वरिष्ठ अधिकारी ‘अतिरिक्त महानिदेशक’ ’ (Additional Director General (ADG) द्वारा किया जाता है। राज्य सरकारों का वन क्षेत्रों पर विशेष प्रशासनिक नियंत्रण होता है, और वे कानूनों और नीतियों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होती हैं।
‘पर्यावरण और वन मंत्रालय’ ने वन्य जीव संरक्षण के लिए अब तक निम्नलिखित महत्वपूर्ण नीतियां तैयार की हैं:
राष्ट्रीय वन नीति (1988)
पर्यावरण और विकास पर राष्ट्रीय संरक्षण रणनीति और नीति वक्तव्य (1992)
राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002- 2016)
कानून और नीति के अलावा, एमओईएफ द्वारा वन (संरक्षण) अधिनियम 1980, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के प्रावधानों को लागू करने के लिए कई वैधानिक कार्य भी किए जाते हैं । इनमें से कुछ महत्वपूर्ण कार्यों में, गैर-वानिकी गतिविधियों के लिए राज्य सरकारों के प्रस्तावों का अनुमोदन करना, उद्योगों की स्थापना करने से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करना, उद्योगों की स्थापना और निर्माण कार्य को मंजूरी देना या नहीं देना शामिल हैं। इसके अलावा, एमओईएफ द्वारा बाघ, शेर, हाथी, हिम तेंदुआ आदि के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ और ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ जैसी विशेष संरक्षण परियोजनाएं भी शुरू की गई हैं।
पूरी दुनिया में वन्यजीवों की रक्षा हेतु कई निजी खिलाड़ी भी मैदान में उतरे हैं। उदाहरण के तौर पर, सतत वन्यजीव प्रबंधन पर सहयोगात्मक साझेदारी (Collaborative Partnership on Sustainable Wildlife Management (CPW), 14 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का एक स्वैच्छिक गठबंधन है, जिसका मुख्य उद्देश्य वन्यजीव संसाधनों के सतत उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देना है। वन्यजीव प्रबंधन के मुद्दों को संबोधित करने के लिए, मार्च 2013 में, थाईलैंड (Thailand) की राजधानी बैंकॉक (Bangkok) में CPW की स्थापना की गई थी। CPW स्थायी वन्यजीवों से संबंधित मुद्दों पर अपने सदस्यों और भागीदारों के बीच सहयोग और समन्वय को भी बढ़ावा देता है।
सतत वन्यजीव प्रबंधन की विषयगत प्राथमिकताएँ निम्नलिखित दी गई है:
१.वन्यजीव, खाद्य सुरक्षा और आजीविका को संतुलित करना।
२.मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना।
३.अवैध और अस्थिर शिकार पर रोक लगाना।
सतत वन्यजीव प्रबंधन साझेदारी का उद्देश्य, सभी क्षेत्रों में स्थलीय कशेरुकी वन्यजीवों (Terrestrial Vertebrate Wildlife) के स्थायी प्रबंधन को बढ़ावा देना तथा जैव विविधता के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग के साथ-साथ मानव खाद्य सुरक्षा, आजीविका और कल्याण में योगदान देना भी है। सतत वन्यजीव प्रबंधन एक ऐसा दृष्टिकोण है, जिसके अंतर्गत वन्यजीव संसाधनों का जिम्मेदार उपयोग किया जाता है। यह जैव विविधता और पारिस्थितिक अखंडता के संरक्षण के साथ संतुलन स्थापित करते हुए मानव आबादी की सामाजिक आर्थिक आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखता है। सतत वन्यजीव प्रबंधन के अभ्यास द्वारा ग्रामीण विकास, भूमि उपयोग योजना, खाद्य आपूर्ति, पर्यटन, वैज्ञानिक अनुसंधान और सांस्कृतिक विरासत में वन्य जीवन के महत्व एवं मूल्य को पहचाना जाता है, और इसे संतुलित बनाए रखने के प्रयास किए जाते हैं । वन्यजीव प्रबंधन, वास्तव में, एक जटिल कार्य होता है, जिसमें वन्यजीवों के आवास हानि और अवैध शिकार जैसे मुद्दों को हल करने का भरसक प्रयास किया जाता है।
हमारी पृथ्वी की रक्षा और बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में जंगली जानवरों और पौधों के योगदान को उजागर करने और उनकी सराहना करने के लिए हर साल 3 मार्च को ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ (World Wildlife Day) मनाया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। यह तिथि इसलिए चुनी गई है क्योंकि इस दिन वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (Convention on International Trade in Endangered Species (CITES) की नींव रखी गई थी । लुप्तप्राय प्रजातियों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से बचाने के लिए इस सम्मेलन के संकल्प पत्र को 1973 में हस्ताक्षरित और 1 जुलाई 1975 को लागू किया गया था।
संदर्भ
https://bit.ly/3kFvCOT
https://bit.ly/3J2KoIF
https://bit.ly/3EMTuXx
https://bit.ly/3kA5lBp
चित्र संदर्भ
1. परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व, केरल और बाघ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, flickr)
2. जंगल के कटान को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य भारत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. गाडगिल आयोग की रिपोर्ट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. प्रोजेक्ट टाइगर मीडिया पोस्ट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. छपराला वन्यजीव अभयारण्य के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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