जौनपुर की जब बात हो और मूली की बात ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। खाने के मामले में जौनपुर का एक अहम योगदान रहा है चाहे वह मीठा मटन हो या फिर जौनपुर की इमरती सबका अपना एक अलग स्थान है। लेकिन जो बात बहुत कम लोगों को पता होगी वह यह है की जौनपुर की मूली जो की बहोत तेज विकसित होती है और इनका आकार भी और स्थानो के मूलियों से बड़ा होता है तथा ये बड़ी होने के साथ साथ बाकी स्थानों के मूलियों से बहुत ही ज्यादा नरम होती है। इसके पीछे यहां के पानी का वह यहां की मिट्टी का बहुत बड़ा योगदान है जौनपुर में करीब 5 बड़ी नदियां बहती हैं जिनका नाम गोमती सयी बसुही, पीली व वरुणा है। इन नदियों के कारण यहां की मिट्टी बहुत ही ज्यादा उर्वरक है। जौनपुरी मूली को जौनपुर जाइंट नाम से जाना जाता है। यहाँ की मूली का वजन 5-15 किलो तक होता है। यहाँ की मूली पूर्ण रूप से प्रौढ होने के बाद हल्के पीले रंग की हो जाती है। जौनपुर की मूली लम्बाई में करीब 6-7 फीट तक की हो सकती है कभी-कभी इससे भी ज्यादा। यहाँ पर प्राप्त मूली की नश्ल नेवार है। इस मूली की उपज उन खेतों में ज्यादा होती है जिनमें तम्बाकू बोया गया हो कभी। जौनपुर में इस मूली का अचार भी बड़ी संख्या में बनाया जाता है जो अत्यन्त स्वादिष्ट व पौष्टिक होता है। यह बड़े गर्व की बात है कि आज भी जौनपुर का किसान यहां पर मूली की खेती करता है और मूली का एक विशिष्ट स्थान है यहां के तरकारियों में। चित्र में यहाँ की नेवार नश्ल की मूली को दिखाया गया है।
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