स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रदत्त सार्वभौमिक धर्म का विचार विश्व के सभी धार्मिक विवादों को सुलझा सकता है

जौनपुर

 06-02-2023 10:12 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

यदि आप गौर करेंगे, तो पाएंगे कि दुनिया में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे तनाव का एक प्रमुख कारण धार्मिक मतभेद या अपने ही धर्म को श्रेष्ठ मानने की विचारधारा भी है। धर्म के आधार पर बटें हुए समाज में वैज्ञानिक अथवा वैचारिक उन्नति के लिए भी कड़ा संघर्ष नज़र आता है। आश्चर्य की बात है कि भारत के श्रेष्ठतम विचारकों में से एक स्वामी विवेकानंद, इस तथ्य को आज से अनेक दशकों पूर्व ही समझ गए थे और इसीलिए दुनियाभर में शांति और प्रेम की पुनः स्थापना करने तथा धार्मिक संघर्षो से बचने के लिए उन्होंने विश्व को “सार्वभौमिक धर्म" का विचार प्रदान किया था। धर्म मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि यह मृत्यु, भय, पवित्रता और मोक्ष जैसे अस्तित्व संबंधी प्रश्नों को संबोधित करता है, इसलिए इसे मानव जीवन से न तो हटाया जा सकता है और न ही अनदेखा किया जा सकता है । यहां तक ​​कि नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) विजेताओं सहित कई उल्लेखनीय वैज्ञानिकों का भी मानना है कि इन सवालों के जवाब के लिए धर्म या अति तत्वमीमांसा (Metaphysics) आवश्यक है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार, “धार्मिक विचार मनुष्य की नियति में ही निहित है, जब तक वह अपने मन और शरीर को नहीं छोड़ता, तब तक उसके लिए धर्म को छोड़ना असंभव है।“ हालांकि, धर्म समाज में दोहरी भूमिका भी निभाता है। जहां एक ओर, यह विश्व स्तर पर शांति और प्रेम को बढ़ावा देता है। वहीं दूसरी ओर, यह हिंसा का एक स्रोत या कारक भी हो सकता है। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद गैर-धार्मिक संघर्षों की तुलना में धार्मिक संघर्षों में अधिक वृद्धि हुई है। अनुभवजन्य शोध से पता चलता है कि दो-तिहाई समकालीन युद्ध धार्मिक, जातीय या राष्ट्रीय पहचान के कारण ही लड़े गए हैं।
इस संदर्भ में स्वामी विवेकानंद द्वारा बताया गया सार्वभौमिक धर्म धार्मिक असंतोष से बाहर निकलने का एक संभावित तरीका हो सकता है। स्वामी विवेकानंद के अनुसार, मनुष्य ईश्वर, आत्मा और नियति जैसे आध्यात्मिक संस्थाओं की खोज करते रहे हैं ।विभिन्न धर्मों द्वारा इन संस्थाओं का प्रतिनिधित्व किया जाता है, जो धर्म के क्षेत्र में पूर्ण साम्राज्य की घोषणा करके एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा और झगड़ा करते हैं। धर्मों के बीच यह प्रतिस्पर्धा और असहमति संघर्ष और तनाव को जन्म देती है। विवेकानंद जीवन की विविधता में विश्वास करते हैं लेकिन फिर भी मानते हैं कि सभी लोगों द्वारा आध्यात्मिक मामलों में एक समान सोच रखना असंभव है। उनका तर्क है कि, हालांकि धर्म विविध हैं, किंतु वे विरोधाभासी नहीं हैं, बल्कि वे एक दूसरे के पूरक हैं। प्रत्येक धर्म एक अद्वितीय सार का प्रतीक है जो दुनिया की भलाई के लिए आवश्यक है। स्वामी विवेकानंद ने धर्म के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, तथा हिंदू धर्म और वेदांत को अपने धर्म के रूप में पुनर्जीवित किया। उनका मानना ​​था कि हिंदू धर्म में सर्वोच्च सत्य, जो उनके लिए धर्म का “अद्वैत वेदांत दर्शन" था, केवल मनोवैज्ञानिक रूप से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने अनुभव किया कि धर्म के विभिन्न दर्शन, जैसे द्वैतवाद, योग्य अद्वैतवाद, और अद्वैतवाद, व्यक्ति के स्वभाव और क्षमता के आधार पर अलग-अलग दृष्टिकोण से भी एक ही सत्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक धर्म अपने तरीके से उच्चतम सत्य को व्यक्त करता है और उनके बीच कोई विरोधाभास नहीं है।
स्वामीजी के अनुसार, “प्रत्येक आत्मा के भीतर परमात्मा की अनुभूति ही सच्चा धर्म है।” उनका मानना ​​था कि जब किसी को अपनी दिव्यता का एहसास हो जाता है, तो उसे कोई भय नहीं होता है यहां तक ​​कि स्वयं मृत्यु का भी नहीं । उन्होंने जोर देकर कहा कि धर्म को केवल कल्पना का विषय नहीं होना चाहिए बल्कि इसे व्यावहारिक दुनिया और जीवन पर लागू किया जाना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस जी से सीखा था कि सच्चा धर्म सार्वभौमिक होता है, इसलिए उनका उद्देश्य ब्रह्मांड की भलाई के लिए एक सार्वभौमिक धर्म की स्थापना करना था। उन्होंने 1893 में ‘शिकागो धर्म संसद’ (Chicago Parliament of Religions) में सार्वभौमिक धर्म के विचार पर अपना लोकप्रिय भाषण भी दिया, जहां उन्होंने कहा, कि उन्हें एक ऐसे धर्म से संबंधित होने पर गर्व है जो दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति सिखाता है तथा यह भी सिखाता है कि “सभी धर्म सत्य हैं”।
उन्होंने अपने भाषण में कहा,
“प्रिय अमेरिकी बहनों और भाइयों,
आपके गर्मजोश और सौहार्दपूर्ण स्‍वागत के प्रत्युत्तर में, मैं दुनिया के भिक्षुओं की सबसे प्राचीन व्यवस्था के नाम पर , सभी धर्मों की जननी के नाम पर, और सभी वर्गों और संप्रदायों के लाखों-करोड़ों हिंदू लोगों की ओर से आप सभी को आभार व्यक्त करता हूं। मुझे एक ऐसे धर्म का हिस्सा होने पर गर्व है जो सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का उपदेश देता है और मुझे एक ऐसे राष्ट्र का हिस्सा होने पर भी गर्व है जिसने सभी धर्मों और राष्ट्रों के सताए हुए लोगों को शरण दी है। पवित्र भगवत गीता हमें सिखाती है कि सभी मार्ग परमात्मा की ओर ले जाते हैं और यह भी कि विभिन्न रूपों के माध्यम से परमात्मा तक पहुंचना संभव है। दुर्भाग्य से, संप्रदायवादऔर कट्टरता ने दुनिया को त्रस्त कर दिया है, जो हिंसा, विनाश और निराशा का कारण बने है। परन्तु उनका समय आ गया है; मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन के सम्मान में आज सुबह जो घंटा बजा है उससे सभी कट्टरता, उत्पीड़न और असभ्य व्यवहार का अंत हो जाएगा, क्योंकि हम सभी एक ही लक्ष्य (ईश्वर) की ओर जाने का प्रयास करते हैं।”
स्वामीजी का सार्वभौमिक धर्म का विचार कोई नया धर्म अथवा धार्मिक विचार नहीं था, बल्कि किसी भी धर्म की सार्वभौमिकता के पहलू पर जोर था, ताकि धार्मिक संघर्षों के नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके। उन्होंने जिस सार्वभौमिक धर्म की कल्पना की थी, उसमें केवल सहिष्णुता ही नहीं है बल्कि यह सकारात्मक स्वीकृति को भी प्रोत्साहित करता है ।
स्वामी विवेकानंद का सार्वभौमिक धर्म अंतर्धार्मिक संबंधों के प्रति अधिक उपयुक्त दृष्टिकोण है, क्योंकि इसमें सभी धर्मों के प्रति सम्मान और धार्मिक विविधता की स्वीकृति शामिल है। यह दृष्टिकोण धार्मिक बहुलवाद को स्वाभाविक मानता है और एक संतुलित और शांतिपूर्ण समाज के लिए आवश्यक आदर्श प्रदान करता है। सार्वभौमिक धर्म के लिए किसी को अपने विश्वास को बदलने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अपने स्वयं के प्रति सच्चे रहते हुए अन्य धर्मों के सर्वोत्तम तत्वों को स्वीकार करने और आत्मसात करने की आवश्यकता है।

संदर्भ
https://bit.ly/2H6aj1Y
https://bit.ly/3RnVWcg
https://bit.ly/3l6ZbJa

चित्र संदर्भ
1. सार्वभौमिक धर्म की परिकल्पना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. विभिन्न धर्म प्रतीकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. स्वामी विवेकानंद को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. अपने गुरु के साथ स्वामी विवेकानंद की छवि को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. धार्मिक छवियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id