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विशेषज्ञों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत शीघ्र ही दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन को पछाड़ते हुए सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जायेगा। अब इतनी विशाल आबादी की जरूरतों को पूरा करने में संसाधनों की खपत तो बेहिसाब होगी ही, साथ ही बढ़ती आबादी द्वारा संसाधनों का उपभोग बढ़ने से हमारे पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इन सभी चुनौतियों के बावजूद, भारत जलवायु परिवर्तन नियंत्रित करने में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक रहा है।
मिस्र में आयोजित जलवायु सम्मेलन द्वारा प्रकाशित ‘ग्लोबल कार्बन बजट’ (Global Carbon Budget) नामक एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि भारत जलवायु परिवर्तन में दुनिया के प्रमुख योगदानकर्ताओं के बीच बड़ा कार्बन उत्सर्जक बना हुआ है। लेकिन इसके बावजूद भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन कई विकसित और विकासशील देशों की तुलना में काफी कम है। रिपोर्ट के अनुमानों के अनुसार 2022 में, चीन (China) और यूरोपीय संघ (European Union) द्वारा क्रमशः .9% और .8% तक अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने का अनुमान था, जबकि भारत के कार्बन उत्सर्जन में 6% की वृद्धि का अनुमान था । साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) के कार्बन उत्सर्जन में 1.5% की वृद्धि देखने का अनुमान था ।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पिछले 10 वर्षों में, भारत और चीन ने उच्चतम कार्बन उत्सर्जन वृद्धि दर दर्ज की है। पिछले 10 वर्षों में चीन के कार्बन उत्सर्जन में प्रति वर्ष औसतन 1.5% की वृद्धि हुई और भारत के कार्बन उत्सर्जन में प्रति वर्ष 3.8% की वृद्धि हुई। चीन, अमेरिका, और यूरोपीय संघ के बाद भारत चौथा सबसे बड़ा वैश्विक कार्बन उत्सर्जक बना हुआ है।
2021 में भारत का कुल कार्बन उत्सर्जन 2.7 बिलियन टन आंका गया है, जो यूरोपीय संघ के कुल 2.8 बिलियन टन से थोड़ा कम है। 2021 में वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत का हिस्सा 7.5% था, जो यूरोपीय संघ के 7.7% से थोड़ा ही कम था। 2022 में, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी 8% तक पहुंचने का अनुमान है।
हालाँकि, भारत की अपेक्षाकृत उच्च कार्बन उत्सर्जन वृद्धि दर के बावजूद, देश का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन अभी भी तीन अन्य प्रमुख योगदानकर्ताओं (चीन, अमेरिका, और यूरोपीय संघ ) की तुलना में काफी कम है। 2021 में शीर्ष वैश्विक कार्बन उत्सर्जकों की सूची में भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन 1.9 टन था जो कि इंडोनेशिया (2.3), ब्राजील (2.3), मैक्सिको (3.2), और वियतनाम (3.3) से भी नीचे था। वहीं सऊदी अरब (18.7), अमेरिका (14.9), ऑस्ट्रेलिया (15.1), कनाडा (14.3), रूस (12.1), और दक्षिण कोरिया (11.9) उच्चतम प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वाले देश हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयले के स्थान पर गैस के प्रयोग, नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि और कोयले की खपत में कमी जैसी जलवायु नीतियों और तकनीकी उन्नति के कारण विश्व स्तर पर, जीवाश्म कार्बन उत्सर्जन वृद्धि दर धीमी हो रही है। भारत में , प्राकृतिक गैस के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में 4% की कमी का अनुमान है, लेकिन कोयले, तेल और सीमेंट के उपयोग से उत्सर्जन में क्रमशः 5%, 10% और 10% की वृद्धि होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, कोयले से होने वाली कार्बन वृद्धि भारत के कार्बन उत्सर्जन की प्राथमिक चालक है।
भारत ने राष्ट्रीय स्तर पर 2030 तक जलवायु परिवर्तन के लिए अपने निर्धारित योगदानके तहत , सकल घरेलू उत्पाद की कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45% तक कम करने और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50% संचयी विद्युत ऊर्जा स्थापित क्षमता हासिल करने का संकल्प लिया है।
भारत राष्ट्रीय और वैश्विक जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को पूरा करने के साथ-साथ अपने 1.4 अरब लोगों की जरुरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समान आर्थिक विकास को रफ़्तार देने की चुनौती का सामना कर रहा है। लेकिन इसके बावजूद भारत जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई करने में सबसे अग्रणी राष्ट्र रहा है। अपने संसाधनों का अनुकूलन करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने हेतु हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत ने स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (National Hydrogen Mission) स्थापित करने की घोषणा भी उल्लेखनीय है। भारत ने फ्रांस (France) के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance (ISA) की सह-स्थापना भी की है, जो ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही सौर ऊर्जा की दिशा में वैश्विक आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।
2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुँचने की भारत की प्रतिज्ञा 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में सबसे महत्वपूर्ण घोषणाओं में से एक थी। संघीय सरकार ने हाल ही में COP26 घोषणाओं को उन्नत जलवायु लक्ष्यों में परिवर्तित करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution (NDC) को मंजूरी दी है। यह 2070 तक पूर्णतया शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंचने के भारत के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आज, भारत जी20 (G20) देशों के नेता की भूमिका निभा रहा है। भारत का नेतृत्व नारा, “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य," मानवता की परस्पर संबद्धता और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संबोधित करने के महत्व पर प्रकाश डालता है। अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन शमन भारत की प्राथमिकताओं में से हैं। अतः यह अनुमान है कि भारत पेरिस (Paris) समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वित्त और प्रौद्योगिकी पर जोर देते हुए जलवायु वित्त, ऊर्जा सुरक्षा और हरित हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
भारत में ऊर्जा उत्पादन वर्तमान में कार्बन-गहन स्रोतों पर बहुत अधिक निर्भर है, जिसमें बिजली उत्पादन का 70% कोयले द्वारा और परिवहन का अधिकांश संचालन तेल द्वारा किया जाता है। परिणामस्वरूप, भारत प्रति व्यक्ति कम कार्बन उत्सर्जन के बावजूद कार्बन का चौथा सबसे बड़ा उत्सर्जक भी है। देश को जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए और कार्बन उत्सर्जन से निपटने के तरीकों जैसे कि स्वच्छ संचालन, कार्बन अवशोषण और ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश करना चाहिए। भारत में कम या गैर-उत्सर्जन प्रौद्योगिकियों को अपनाकर ‘डीकार्बोनाइजेशन’ (Decarbonization) के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की क्षमता है। भारत पहले से ही सौर ऊर्जा का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की लागत भी बहुत कम है। इसके मिश्रण के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने की योजनाओं के साथ, भारत हरित हाइड्रोजन उत्पादन में अग्रणी हो सकता है। जी20 की अध्यक्षता भारत को वैश्विक स्तर पर जलवायु और ऊर्जा परिवर्तन के एजेंडे को आकार देने का अवसर प्रदान करती है। भारत इन अवसरों पर अपनी प्रतिक्रिया के माध्यम से खुद को एक आदर्श के रूप में स्थापित कर सकता है, जिसका हमारे आने वाले भविष्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
संदर्भ
https://bit.ly/3XLV9UE
https://bit.ly/3Jd1GUe
चित्र संदर्भ
1. कार्बन उत्सर्जन को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
2. एक आम भारतीय बाजार को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. विश्व द्वारा CO₂ उत्सर्जन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) स्थापना शिखर सम्मेलन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. खेतों में किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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