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गणतंत्र दिवस विशेष: पाकिस्तान और भारत के संविधान का तुलनात्मक अध्ययन

जौनपुर

 26-01-2023 12:39 PM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

संविधान किसी भी देश की सरकार की कार्यशैली का बुनियादी ढांचा होता है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था, संस्कृति या जीवनशैली भविष्य में कैसा प्रदर्शन करेगी, यह भी काफी हद तक, संविधान पर ही निर्भर करता है। संविधान किसी भी देश या राष्ट्र का सर्वोच्च कानून होता है और इसका स्वरूप उस देश की राजनीतिक संस्कृति को दर्शाता है। हालांकि, कलात्मक रूप से तैयार किए गए संविधान का प्रदर्शन भी काफी हद तक उस राज्य या राष्ट्र के विभिन्न ऐतिहासिक, सामाजिक, वैचारिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों पर निर्भर करता है। इस संदर्भ में भारत और पाकिस्तान किसी भी देश पर संविधान के प्रभाव को दर्शाने वाले दो आदर्श राष्ट्र साबित हो सकते हैं।
इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान के संविधान की शुरुआती प्रस्तावना में, “सर्वशक्तिमान अल्लाह (Almighty Allah)" और पाकिस्तान के संस्थापक, “ कायद -ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना" का संदर्भ मिलता है। इसके विपरीत, भारत की संविधान सभा ने भगवान या राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के किसी भी संदर्भ को खारिज कर दिया था। पाकिस्तान के संविधान की प्रस्तावना में अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्ग और दलित वर्गों की सुरक्षा के साथ-साथ न्यायपालिका की स्वतंत्रता के विषय में विस्तृत प्रावधान शामिल हैं। दूसरी ओर, भारतीय संविधान की प्रस्तावना इससे अधिक संक्षिप्त है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को इसमें समाहित करती है लेकिन यह उनका विस्तृत उल्लेख नहीं करती है।
पाकिस्तान का संविधान 5 से 16 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए निजता के अधिकार और शिक्षा के अधिकार को मान्यता देता है, जबकि भारत का संविधान सूचना के अधिकार को निश्चित करता है और मानवीय गरिमा को अनुल्लंघनीय घोषित करता है। हालांकि, पाकिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता “इस्लाम की महिमा" के अधीन है और देश में एक विवादास्पद ईशनिंदा (ईश्वर या अल्लाह की निंदा) से संबंधित कानून भी है, जो अनिवार्य रूप से मौत की सजा देता है। धर्म की स्वतंत्रता केवल यहाँ के मूल नागरिकों (मुस्लिमों) तक सीमित है।
पाकिस्तान में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति सरकार से प्रभावित नहीं होती है। अर्थात संविधान के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए वहां के महामहिम राष्ट्रपति जिम्मेदार होते है। छह न्यायाधीशों, एक वरिष्ठ अधिवक्ता और दो सरकारी नामितों वाला एक आयोग संसद की आठ सदस्यीय समिति को न्यायाधीशों के नामांकन की सिफारिशें करता है, जो बहुमत से नामांकन की पुष्टि करती है। पाकिस्तान में, चुनाव से पहले पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इस्तीफा दे देते हैं, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री का चयन करने के लिए एक साथ काम करते हैं, लेकिन अगर वे सहमत नहीं हो पाते हैं, तो उनमें से प्रत्येक अध्यक्ष को दो नाम भेजते हैं जो इन नामों को सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के समान प्रतिनिधित्व वाली संसदीय समिति को संदर्भित करते हैं। एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के चयन की प्रक्रिया भारत से भिन्न है।
पाकिस्तान में मुख्य चुनाव आयुक्त को सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय का वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश होना चाहिए, या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य होना चाहिए। इनको नियुक्त करने के लिए 12 सदस्यीय संसदीय समिति को तीन नाम भेजे जाते हैं, जिसमें सरकार और विपक्ष का समान प्रतिनिधित्व होता है। चुनाव आयोग में चार अन्य सदस्य भी होते हैं, जिनमें से प्रत्येक चार प्रांतीय उच्च न्यायालयों में से एक का न्यायाधीश होता है। जबकि भारत के चुनाव आयुक्त सरकार द्वारा चुने जाते हैं और आम तौर पर आईएएस अधिकारी होते हैं।
2017 के चुनाव अधिनियम ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग को वित्तीय स्वायत्तता भी दी, जो भारत के चुनाव आयोग के पास नहीं है। इसके अलावा, पाकिस्तान के चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों को अच्छे चरित्र वाला, दूरदर्शी, धर्मी, ईमानदार और मितव्ययी होना चाहिए तथा इस्लाम का पर्याप्त ज्ञान भी होना चाहिए। इस प्रावधान के तहत नवाज शरीफ को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। पाकिस्तान में, प्रधानमंत्री और प्रांतीय मुख्यमंत्री पूरी तरह से राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभा के नव निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं, राष्ट्रपति या राज्यपालों की इन चुनावों में कोई भूमिका नहीं होती है, भले ही किसी दल के पास स्पष्ट बहुमत न हो। यदि दो उम्मीदवार बराबर हैं, तो मतदान तब तक जारी रहता है जब तक कि एक बहुमत हासिल नहीं कर लेता। वहीं भारत में प्रधानमंत्री और एवं राज्य के मुख्यमंत्रियों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा किया जाता है। पाकिस्तानी संविधान में विश्वास मत का प्रावधान भी शामिल नहीं है, क्योंकि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नए विधानसभा सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (National Assembly) में 272 सीटें सीधे चुनाव से भरी जाती हैं, जबकि 60 सीटें महिलाओं के लिए और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों को लोकप्रिय वोट का 5% से अधिक प्राप्त करने वाली पार्टियों के बीच आनुपातिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से भरा जाता है । इसी तरह, चार प्रांतीय विधानसभाओं में भी महिलाओं और अल्पसंख्यकों दोनों के लिए आरक्षण के लिए अपना कोटा होता है। राजनीतिक दलों को सामान्य सीटों पर 5% टिकट महिला उम्मीदवारों को देना जरूरी होता है । यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में 10% से कम महिला मतदाताओं ने अपना वोट डाला है, तो उस क्षेत्र में परिणाम को शून्य माना जाता है।
हालांकि, भारत और पाकिस्तान दोनों की संवैधानिक विरासत सांझी है, लेकिन आजादी के बाद उन्होंने राजनीतिक और संवैधानिक विकास के मामले में अलग-अलग रास्ते अपनाए हैं। भारतीय संविधान, जिसे जनवरी 1950 में पेश किया गया था, हमेशा से ही स्थिर और सुसंगत रहा है, जो लोकतांत्रिक संसदीय मानदंडों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। साथ ही यहां राष्ट्रपति की भूमिका काफी हद तक औपचारिक है, और वास्तविक कार्यकारी शक्तियाँ प्रधान मंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद में निहित हैं। प्रांतीय स्वायत्तता का मुद्दा, हालांकि, मौजूद है, लेकिन यह राष्ट्रीय एकता के लिए कभी भी एक बड़ा खतरा नहीं रहा है। नागरिक-सैन्य संबंध भी इस तरह से विकसित हुए हैं कि सैन्य प्रतिष्ठान पर नागरिक शासन को प्राथमिकता दी जाती है। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने कई उतार-चढ़ावों से गुजरते हुए चार संविधानों का अनुभव किया है, तथा 1973 में निर्मित वर्तमान संविधान भी विभिन्न परिवर्तनों से गुजरा है, जिसने इसकी प्रकृति को बदल दिया है। भारत के संविधान में प्लेटो के विचारों का भी प्रभाव नज़र आता है। भारत में गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है, जिसे 26 जनवरी को 1950 में भारतीय संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में एक त्यौहार की भांति मनाया जाता है। यह अवकाश देश के ‘1935 के औपनिवेशिक भारत सरकार अधिनियम’ से मुक्त होकर एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में शासित होने का प्रतीक है। 26 जनवरी की तारीख को 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा की गई पूर्ण स्वराज की घोषणा का सम्मान करने के लिए चुना गया था, जो ब्रिटेन से भारत की स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। यही वें प्रमुख कारण है, जिनकी वजह से भारत का सविधान पूरे विश्व में स्थिरता और नागरिक एकता की मिसाल के रूप में उभरा है।

संदर्भ
https://bit.ly/3kCwDGQ
https://bit.ly/3wihb5p

चित्र संदर्भ
1. भारत के 70 लोग जिन्होंने भारत का संविधान लिखा जिनको संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. पाकिस्तान के संविधान के मुख्य पृष्ठ को संदर्भित करता एक चित्रण (google)
3. पाकिस्तानी संसद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. इमरान खान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. भारत की विविधता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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