रूल ऑउट क्रिकेट और जौनपुर

जौनपुर

 31-01-2018 12:21 PM
हथियार व खिलौने

खेल एक ऐसा साधन है जो बड़ी से बड़ी समस्याओं का निदान कर देता है, इतिहास में खेलों के कई कारनामें दर्ज हैं चाहे वह ओलम्पिक्स हो या अन्य खेल। विभिन्न धर्म ग्रन्थों में कई खेलों के बारे में लिखा गया है जैसे महाभारत में चौपड़। आधुनिक जगत के शुरू होने के साथ ही विश्व भर में कई प्रकार के खेलों का उद्भव हुआ तथा खेलों में कई प्रकार की अभियाँत्रिकी का भी प्रयोग होने लगा। विगत कुछ वर्षों से एक खेल सम्पूर्ण विश्व में बड़ी तेजी से फैला है यह खेल है क्रिकेट। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है पर क्रिकेट यहाँ पर ज्यादा लोकप्रियता प्राप्त कर ली है। आज भारत के गाँवों में भी इस खेल एक जाल की तरह फैल चुका है। भारत में यह खेल कई स्वरूपों में विकसित हुआ जिनमें दो प्रमुख है 1. फुल क्रिकेट जो की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेला जाता है तथा 2- अन्डरहैंड क्रिकेट जो की छोटे मैदान पर खेला जाता है। जौनपुर ने कई अन्तरराष्ट्रीय व प्रदेश स्तर के क्रिकेट खिलाड़ियों को देश को समर्पित किया है। सन् 2011 वह वक्त था जब जौनपुर में एक प्रकार के नये प्रकार के खेल का आविर्भाव यहाँ के टूर्नामेंट्स में हुआ और यह था अन्डरहैंड क्रिकेट। अन्डरहैंड क्रिकेट कम स्थान लेता है और यह रोमांच से भी भरा होता है तथा इसमें 6 रन मारने पर आऊट करार दिया जाता है। जौनपुर में यह प्रतियोगिता अब रात्रि को भी खेला जाता है जिसका कारण यह है कि यहाँ पर यह खेल अत्यन्त उत्साह के साथ खेला जाता है। टूर्नामेंट के अलावा यह खेल यहाँ पर गाँवों व शहरों में पहले भी खेला जाता था। अंडरहैंड क्रिकेट के इतिहास पर यदि नज़र डाली जाये तो इस विधा के खेला का इतिहास 1 फरवरी 1981 तक जाता है जब न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के मध्य होने वाले मैच में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान चैपल के कहने पर ट्रेवर ने अन्डरहैंड गेंद फेका था। उसके पहले भी इस खेल के प्रमाण मिलते हैं परन्तु वैश्विक स्तर पर यह सबसे बड़ी घटना थी। दिये गये चित्र में अंडरहैंड क्रिकेट खेलते बच्चों को दिखाया गया है।



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