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भारत में क्यों बढ़ रही है “ड्रैगन फ्रूट” की अपार लोकप्रियता ? आइए समझते हैं

जौनपुर

 16-01-2023 10:12 AM
साग-सब्जियाँ

क्या आप जानते है कि कुछ ही महीनों पहले गुजरात और हरियाणा सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए, केंद्र सरकार ने भी ड्रैगन फ्रूट (dragon fruit) की खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है। इस फल को इसके स्वास्थ्य संबंधित लाभों के लिए “सुपर फ्रूट (Super fruit)” के नाम से भी जाना जाता है। केंद्र सरकार के मुताबिक इस फल की लागत प्रभावशीलता और इसके पोषण मूल्यों के कारण वैश्विक मांग को देखते हुए भारत में इसकी खेती का विस्तार किया जा सकता है। भारत में वर्तमान में, इस विदेशी फल की खेती 3,000-4,000 हेक्टेयर भूमि पर की जाती है; और अगले पांच सालों में इस खेती को 50,000 हेक्टेयर तक बढ़ाने की योजना है।
गुजरात सरकार ने हाल ही में ड्रैगन फ्रूट का नाम बदलकर ‘कमलम’ (Kamlam) कर दिया है और इसकी खेती करने वाले किसानों के लिए प्रोत्साहन की घोषणा भी की है। हरियाणा सरकार भी उन किसानों को, जो इस फल को लगाने के लिए तैयार हैं, अनुदान प्रदान करती है। ड्रैगनफ्रूट मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है,यह ऊष्मांक (Calories) में कम और आयरन (Iron), कैल्शियम (Calcium), पोटेशियम (Potassium) और जिंक (Zinc) जैसे पोषक तत्वों से भरा होता है। इसके पोषण मूल्यों के कारण हमारे देश और साथ ही वैश्विक बाजारों में इस फल की अत्यधिक मांग है। अनुमान है इस फल की मांग बनी ही रहेगी, जिससे किसानों को भी अच्छे भाव मिलने की उम्मीद है। । ड्रैगन फ्रूट का लाभ यह है कि इस फल की खेती बंजर और वर्षा आधारित भूमि दोनों पर ही की जा सकती है।
वही केंद्र सरकार किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री प्रदान करने में राज्यों की सहायता भी करेगी । केंद्र सरकार ‘बागवानी के एकीकृत विकास मिशन’ (Mission for Integrated Development of Horticulture (MIDH) )के तहत राज्यों और किसानों को विशिष्ट सहायता भी प्रदान कर सकती है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की मदद से प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे को भी विकसित करने की तैयारी है। अतः इसकी खेती किसानों और उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट के पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है और इसे सूखी भूमि पर भी उगाया जा सकता है। फिलहाल ड्रैगन फ्रूट लगभग 400 रुपए प्रति किलो की कीमत पर बेचा जाता है किंतु अब इसे उपभोक्ताओं को 100 रुपए प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसकी खेती की लागत शुरू में तो अधिक होती है, लेकिन पौधे को उत्पादक भूमि की आवश्यकता नहीं होती है, और यह कम उपजाऊ क्षेत्र से भी एक साल के भीतर ही तेज और अधिकतम उत्पादन देता है। इसके फल की लाल एवं गुलाबी रंग की किस्में बेहतर उपज देती हैं। साथ ही इसका एक पौधा 20 से अधिक वर्षों के लिए उपज बनाए रखता है। केंद्र सरकार इसकी खेती के लिए अन्य राज्य सरकारों को प्रेरित करने के लिए एक वार्षिक कार्य योजना बनाने पर विचार कर रही है। फिलहाल, इस फल की खेती करने वाले राज्यों में मिजोरम सबसे ऊपर है। ठंडे क्षेत्रों को छोड़कर भारत के सभी राज्य ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त हैं। चूंकि बाजार में इसकी मांग अधिक तथा उत्पादन कम है, भारत में इसकी कृषि की संभावनाएं अधिक है।
भारत में हर साल इस फल का लगभग 12,000 टन उत्पादन होता है। वही देश अब लगभग 15,491 टन ड्रैगन फ्रूट का आयात कर रहा है। भारत में चीन और वियतनाम (Vietnam) के उत्पादन की बराबरी करने की क्षमता है, जहां इसकी खेती क्रमशः 40,000 और 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र में होती है । ड्रैगन फ्रूट, जिसका वैज्ञानिक नाम हाईलोसेरियस अनडेटस (Hylocereus undatus) है, मेक्सिको (Mexico) देश का मूल है और अब मुख्य रूप से वियतनाम में उत्पादित होता है। इस फल के निर्यात ने वियतनाम के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बहुत बड़ा योगदान दिया है। इसका नाम इसके चमड़े जैसी त्वचा और फल के बाहरी हिस्से पर पपड़ीदार कीलो जैसे स्वरूप से आता है। ड्रैगन फ्रूट का पौधा कैक्टि परिवार (Cacti family) का सदस्य है। यह पौधा विविध जलवायु परिस्थितियों में, विशेष रूप से भारत के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में किसी भी मिट्टी में बढ़ सकता है । किंतुयह थोड़ी अम्लीय मिट्टी में अच्छा बढ़ता है है और यह मिट्टी में कुछ लवणों को भी सहन कर सकता है।
ड्रैगन फ्रूट को 1990 के दशक में भारत में घरेलू बागानों में लाया गया था। ड्रैगन फ्रूट के कम रखरखाव और उच्च लाभप्रदता ने पूरे भारत में कृषक समुदाय को आकर्षित किया है। इससे महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के साथ-साथ कई उत्तर पूर्वी राज्यों में ड्रैगन फ्रूट की खेती में भारी वृद्धि हुई है। देश से ड्रैगन फ्रूट को फारस की खाड़ी के देशों ( Persian Gulf countries), यूरोपीय संघ (European Union) और संयुक्त राज्य अमेरिका ( The United States of America) में निर्यात किया जा सकता है। जून 2021 में, भारत ने महाराष्ट्र के एक किसान से संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) में दुबई में ड्रैगन फल की अपने पहली खेप का निर्यात किया था।
भारत में, किसान इस फल की तीन मुख्य किस्मों (रंग द्वारा) की खेती करते हैं: गुलाबी त्वचा का सफेद गूदे वाला फल, गुलाबी त्वचा का लाल गूदे वाला फल और पीली त्वचा का सफेद गूदे वाला फल। अच्छी तरह से प्रबंधित बगीचों में, पौधे रोपण के पहले वर्ष से फल देना शुरू कर सकते हैं लेकिन महत्वपूर्ण पैदावार तीसरे वर्ष से शुरू होती है। भारत में इसके पौधे पर फूल और फूलों का आना मानसून के मौसम के साथ मेल खाता है। आमतौर पर, फूल और फलन एक श्रृंखला में होता है और सामान्य रूप से जून से नवंबर तक तीन से पांच खंडों में होता है। प्रबंधन प्रथाओं के आधार पर प्रत्येक फल का वजन लगभग 200 से 700 ग्राम होता है। इसकी औसत उपज पांच टन प्रति एकड़ तक हो सकती है।
फलों के पोषक मूल्य के कारण महानगरों में फलों की अत्यधिक मांग है। मुंबई, पुणे और सूरत के बाजारों में फलों के दाम 50 रुपये से लेकर 120 रुपये प्रति किलो तक हैं। वही खुदरा विक्रेता स्थानीय बाजार में 60 रुपये से 100 रुपये प्रति फल के हिसाब से भी इस फल को बेचते हैं। बाजार में दरें अत्यधिक परिवर्तनशील हैं और मुख्य रूप से फलों के आकार और गूदे के रंग पर निर्भर करती हैं। ड्रैगन फ्रूट पर कीटों और बीमारियों के लिए बहुत कम ध्यान देने की आवश्यकता होती है, इसलिए किसान इसमें अधिक रुचि दिखा रहे हैं। ड्रैगन फ्रूट की लोकप्रियता को भुनाने के लिए, कई किसान और हितधारक नर्सरी व्यवसाय में आ गए हैं और फल के पौधे की कटिंग को 30 से 80 रुपये प्रति पौधे की दर से बेच रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने भी ‘बागवानी के एकीकृत विकास पर मिशन’ के माध्यम से अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री और इसकी खेती के लिए सब्सिडी प्रदान करके राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में ड्रैगन फलों की खेती को बढ़ावा देने की पहल की है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती और उत्पादन के तहत क्षेत्र में वृद्धि, देश में इस फल के आयात को कम करके भारत को आत्मनिर्भर बना सकती है। यह एक ऐसा फल है जो गरीबों के लिए सस्ता और पौष्टिक है तथा किसान की आय में इजाफा करता है। इन्ही सब कारणों से इस फल की लोकप्रियता भारत में बढ़ रही है। और कुछ ही वर्षों में भारत में इसका उत्पादन और भी बढ़ेगा ऐसी हम आशा कर सकते है।

संदर्भ–
https://bit.ly/3vFzbqk
https://bit.ly/3Crumo9

चित्र संदर्भ
1. ड्रैगन फ्रूट की खेती को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बाजार में ड्रैगन फ्रूट को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. ड्रैगन फ्रूट जूस को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. ड्रैगन फ्रूट की छोटी पोंध को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. ड्रैगनफ्रूट के पेड़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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