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क्या आप जानते हैं कि यदि हम अपने घरों की धूप से तप रही खाली छतों पर रूफ टॉप सोलर ( Roof Top Solar Panel) पैनल लगा दें, तो यकीनन हमारे द्वारा उठाया गया यह एक अच्छा कदम हमें न केवल बिजली के लंबे-चौड़े बिलों से बचा सकता है, बल्कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने में एक अहम भागीदार भी बना सकता है। चलिए जानते हैं कैसे?
एक आवासीय सोलर प्रतिष्ठापन कंपनी सनसन एनर्जी (Sunson Energy) की मुख्य परिचालन अधिकारी अर्शी चड्ढा जी के अनुसार, भारत में 5 kW रूफटॉप सोलर सिस्टम (Rooftop Solar System) अपने घरों की छत पर लगाकर घर के मालिक, प्रति माह लगभग 600 यूनिट (Unit) बिजली बचा सकते हैं, जिससे उनके बिजली के बिल में लगभग 5,500 रुपए की कमी आ सकती है। यह गणना इस धारणा पर आधारित है कि 1 kW सिस्टम प्रति दिन औसतन 4 यूनिट (kWh) बिजली उत्पन्न करेगा, इसलिए 5 kW सिस्टम 20 kWh/दिन या 600 यूनिट प्रति माह बिजली उत्पन्न करेगा।
5.50 रुपए /kWh के टैरिफ के आधार पर, सौर प्रणाली लगभग 3,300 रुपए प्रति माह की बिजली पैदा कर सकती है। अगर किसी घर के मालिक का मासिक बिजली बिल करीब 3,000 रुपये आता है, तो 5 kW रूफटॉप सोलर संयंत्र लगाने से उनका बिजली का बिल पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। यदि उनका मासिक बिल लगभग 7,000 रुपए है, तो यह संयंत्र उनके बिलों को घटाकर 4,000 रुपए प्रति माह कर देगा।
यदि नेट मीटरिंग (Net Metering) के साथ रूफटॉप सोलर सिस्टम की स्थापना के बाद उनका मासिक बिल लगभग 1,500 रुपएहै, तो वे 1,500 रुपए प्रति माह भुगतान करने के बजाय, वितरण लाइसेंसधारी (डिस्कॉम “Discom”) से, संभावित रूप से प्रति माह 1,800 रुपए प्रति माह कमा भी सकते हैं। दरसल, नेट मीटरिंग उपभोक्ताओं को राज्य द्वारा निर्धारित मूल्य पर उत्पादित अतिरिक्त बिजली के लिए मुआवजा देने की अनुमति देती है। ग्रिड को अतिरिक्त बिजली बेचने और इसके लिए भुगतान प्राप्त करने के लिए नेट मीटरिंग कनेक्शन होना महत्वपूर्ण है। हालांकि, नेट मीटरिंग कनेक्शन प्राप्त करना कठिन हो सकता है साथ ही इसकी उपलब्धता स्थान के अनुसार भिन्न होती है। रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित करने से स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न की जाती है जिससे कोयले पर आधारित ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करके, हवा में जहरीले कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) की मात्रा को कम करने में भी मदद मिल सकती है। 5 kW सौर प्रणाली सालाना लगभग 7.3 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम कर सकती है। इसके अलावा, घर की छत पर सौर प्रणाली घर के मालिक की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करते हुए हर हफ्ते लगभग दो पेड़ों को भी बचा सकती है।
भारत में उच्चतम सौर विकिरण वाले राज्यों में से एक होने के बावजूद, उत्तर प्रदेश राज्य बिजली की कमी और नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि की कमी से जूझ रहा है। यह वर्तमान में केवल 2 GW सौर ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है, जबकि 2022 के अंत तक इसका लक्ष्य 10.7 GW उर्जा का उत्पादन करना था। वर्तमान में, राज्य की अधिकांश बिजली मांग कोयले से चलने वाले संयंत्रों द्वारा पूरी की जा रही है। हालांकि, इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (Institute for Energy Economics and Financial Analysis(IEEFA) के एक अध्ययन में पाया गया कि अगर यूपी 23.5 GW सौर ऊर्जा पैदा करने में सक्षम हो जाए, तो इसकी मांग पूरी हो जाएगी। हालांकि, इस लक्ष्य तक पहुंचना आसान नहीं होगा क्योंकि इसके लिए राज्य को हर साल 2.5 गीगावॉट अतिरिक्त सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की जरूरत है।
2022 के अंत तक 14.1 GW अक्षय क्षमता हासिल करने का लक्ष्य होने के बावजूद, राज्य ने इस लक्ष्य का केवल 30% ही पूरा किया है, जबकि गुजरात, राजस्थान और तमिलनाडु जैसे अन्य राज्यों ने उच्च प्रतिशत हासिल कर लिया है। जिसके बाद राज्य में सौर ऊर्जा की व्यवहार्यता को समझते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी हाल ही में “उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति (Uttar Pradesh Solar Energy Policy 2022) की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य अगले पांच वर्षों में राज्य में सौर ऊर्जा की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि करना है।
इस नीति के अंतर्गत, सौर पार्कों की स्थापना, के माध्यम से 14,000 मेगावाट, आवासीय क्षेत्रों में रूफटॉप सौर परियोजनाओं के माध्यम से 4,500 मेगावाट, गैर-आवासीय रूफटॉप परियोजनाओं के माध्यम से 1,500 मेगावाट और पीएम कुसुम योजना के माध्यम से 2,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए संयंत्र शामिल होंगे।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार सौर क्षेत्र में करीब 40,000 करोड़ रुपये (40 अरब रुपये) के निवेश को आकर्षित करना चाहती है। इस नई नीति में सौर परियोजनाओं के लिए कई प्रोत्साहन भी शामिल हैं, जिनमें राज्य से वित्तीय सहायता, बैटरी और भंडारण प्रणालियों के लिए पूंजीगत सब्सिडी (Subsidy), तथा भूमि खरीद या सौर परियोजनाओं के लिए पट्टों पर स्टांप शुल्क की छूट शामिल है।
इसके अतिरिक्त, सरकारी भवनों और शैक्षणिक संस्थानों को नेट मीटरिंग सिस्टम पर रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी। निजी ऑन-ग्रिड पंपों (Private On-Grid Pumps) पर सोलर संयंत्र लगाने के लिए कुछ समुदायों के किसानों को क्रमशः 70% और 60% की सब्सिडी भी प्रदान की गई है। पांच साल की अवधि में पॉलिसी के तहत कुल 1,000 करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे ।
सोलर पार्कों (Solar Parks) के लिए सरकारी उपक्रमों को 30 साल के लिए 1 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष और निजी क्षेत्र की कंपनियों को 30 साल के लिए 15,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। खरीदी या पट्टे पर ली गई भूमि पर स्टांप शुल्क में 100% छूट की पेशकश की जाएगी और सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन करने वाले संयंत्रों को 10 वर्षों के लिए बिजली शुल्क से छूट दी जाएगी।
संदर्भ
http://bitly.ws/yp9D
http://bitly.ws/yp9G
http://bitly.ws/yp9K
चित्र संदर्भ
1. सोलर ऊर्जा का प्रयोग करते किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. रूफटॉप सोलर सिस्टम को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. तेलंगाना के सोलर प्लांट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. ग्रामीण क्षेत्र में सोलर ऊर्जा की पहुंच को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)