City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1017 | 971 | 1988 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
भारत को विविध प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध परिदृश्य वाला देश माना जाता है, जो घने जंगलों सहित विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्रों का आवास स्थल भी है। भारत का वन आवरण अर्थात जंगलों से ढका क्षेत्र, देश के पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किंतु पिछले कुछ वर्षों से भारत के जंगलों को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है ।
द्विवार्षिक भारत वन स्थिति रिपोर्ट (Indian State of Forest Report (ISFR) 2021) के अनुसार, पिछले दो वर्षों के दौरान भारत के वनावरण क्षेत्र (Forest Cover Area) में सर्वाधिक वृद्धि, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक और झारखंड राज्य में दर्ज की गई है, जबकि पूर्वोत्तर क्षेत्र के जंगलों में सबसे अधिक नुकसान देखा गया है। 2019 के बाद से कुल 1,643 वर्ग किलोमीटर घने जंगलों को नष्ट कर दिया गया है। हालांकि, इस नुकसान का लगभग एक-तिहाई हिस्सा 549 वर्ग किलोमीटर वन रूपांतरण से भर गया है।
2003 के बाद से, भारत ने 19,708 वर्ग किलोमीटर घने जंगलों को खो दिया है, जो केरल के क्षेत्रफल के आधे से अधिक दायरे के है। इन प्राकृतिक वनों को नष्ट किये जाने की दर, जो कि 2003-2013 के दौरान 7,002 वर्ग किलोमीटर थी, से बढ़कर 2013 के बाद से 12,706 वर्ग किलोमीटर हो गई है।
हालांकि 2019 के बाद से भारत में वन आवरण में 21.71% की वृद्धि होना एक सकारात्मक प्रवृत्ति है, क्योंकि भारत वन आवरण के मामले में शीर्ष 10 देशों में से एक है। किंतु, वन आवरण में वृद्धि की यह दर सभी राज्यों में नहीं देखी गई है। दक्षिण में आंध्र प्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक जैसे राज्यों ने घने जंगलों (Dense Forests) में शुद्ध नुकसान का अनुभव किया है। इसके विपरीत, तेलंगाना में 348 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि के साथ घने वन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। पूर्वी राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम और मेघालय ने भी घने जंगलों के बड़े नुकसान का अनुभव किया है। दूसरी ओर, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सभी ने घने जंगलों में महत्वपूर्ण शुद्ध लाभ देखा है।
वन क्षेत्रों के विशाल आवरण के साथ भारत का कुल हरित आवरण कुल क्षेत्र का अब 24.62% हो गया है। वहीं विश्व में सर्वाधिक वन आवरण ब्राजील और पेरू (Brazil and Peru) देशों में क्रमशः 59.4% और 56.5% के साथ दर्ज किया गया है। वनाच्छादन में वृद्धि के अलावा, मैंग्रोव (Mangrove) के तहत क्षेत्र में भी 17 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, और वृक्षों के आवरण में 721 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
भारत में स्थित 52 बाघ अभयारण्यों में से 20 में भी 2011 के बाद से वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है, हालांकि इस बीच कुल बाघ अभयारण्यों के वन क्षेत्र में 0.04% की गिरावट आई है। संरक्षण प्रयासों, वृक्षारोपण और कृषि वानिकी को वन आवरण और जंगलों के घनत्व में वृद्धि का श्रेय दिया जा रहा है, जबकि झूम खेती (Shifting cultivation), पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक आपदा, मानव दबाव और विकास परियोजनाएं नुकसान का प्रमुख कारण बनकर उभरी हैं। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि देश के 35.46% वन क्षेत्र में जंगल की आग फैलने का खतरा है। रिपोर्ट में, वन क्षेत्र के हिस्से के रूप में 10% से अधिक के चंदवा घनत्व (Canopy Density) वाले 1 हेक्टेयर या बड़े भूखंडों पर प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से उगे हुए बांस, फलों के पेड़, नारियल और ताड़ के पेड़ सहित सभी पेड़ प्रजातियों को शामिल किया गया है। इस द्विवार्षिक भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) 2021 को जारी करते हुए, पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में “वन गुणवत्ता बनाए रखने" पर जोर दिया। हालांकि, रिपोर्ट बताती हैं कि देश में प्राकृतिक पुराने विकास वाले वनों का लगातार नुकसान हो रहा है।
नेचर पत्रिका (Nature Magazine) में प्रकाशित येल विश्वविद्यालय (Yale University) के एक अध्ययन का अनुमान है कि हमारी पृथ्वी पर लगभग 3 ट्रिलियन पेड़ हैं। यह लगभग उतने ही पेड़ हैं जितने कि सभ्यता की शुरुआत से अब तक इंसानों द्वारा काटे गए हैं। प्रति वर्ग किलोमीटर 72,000 पेड़ों के साथ पूरे विश्व में “फ़िनलैंड के जंगल” सबसे घने पाए गए। वैश्विक स्तर पर, हमारे ग्रह पर प्रति व्यक्ति 420 पेड़ हैं, जबकि, यदि बात सिर्फ फिनलैंड की की जाए, तो फिनलैंड में प्रति व्यक्ति लगभग 4,500 पेड़ ( कुल मिलाकर लगभग 22 बिलियन पेड़) हैं। शीर्ष 5 सूची में स्लोवेनिया (Slovenia), स्वीडन (Sweden) और ताइवान (Taiwan) भी शामिल हैं। अध्ययन के प्रमुख लेखक थॉमस क्राउथर (Thomas Crowther) कहते हैं “पृथ्वी पर पेड़ सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण जीवों में से हैं, फिर भी, हम हाल ही में उनकी वैश्विक सीमा और वितरण को समझने लगे हैं।"
वास्तव में पेड़ों की वैश्विक सीमा और वितरण को समझकर ही हमारे देश में उनकी कमी और महत्व को समझा जा सकता है और उनको कटने से बचाया जा सकता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3jsiJ9G
https://bit.ly/3Vh9lTU
चित्र संदर्भ
1. भारत के पश्चिमी घाट में एक झील के आसपास जंगल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. भारत का वनावरण-2019 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. उत्तराखंड के दूरदराज गांव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. झूम खेती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. वैश्विक वनावरण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.