जौनपुर में कभी ऊंट बड़ी संख्या में पाए जाते थे। 1908 के पहले की गयी पशु जनगणना के अनुसार जौनपुर में ऊँटो की संख्या 1005 के करीब थी, आज 2003 के सी डेप रिपोर्ट के अनुसार, ये संख्या मात्र 16 है। जौनपुर में ऊंट पश्चिमी क्षेत्र में ज्यादा पाए जाते थे। ज्यादातर ऊंटो का प्रजनन स्थानीय स्तर पर किया जाता था लेकिन कुछ पश्चिम से आयात किये जाते थे जैसे बटेसर मेला। ऊँटो की क़ीमत 70 से 150 रुपये के बीच होती थी। उनके खाने पिने के लिए ज्यादा खर्च नहीं होता है जिस वजह से आर्थिक रूप से उन्हें पालना बहुत व्यवहार्य है। जौनपुर में इन्हें सवारी से ज्यादा तथा ख़ास कर बोजा उठाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। बनिया और जमींदार अनाज व्यापार में ऊंटो का बोजा ढोने के लिए इस्तेमाल करते थे। रेलवे बनने से पहले ऊंट-गाडी का इस्तेमाल यात्रा के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता था। आज ऊंट का इस्तेमाल उनकी घटती संख्या तथा व्यापार, यातायात और यात्रा के उपलब्ध अन्य साधनों की वजह से बंद हो चूका है। प्रस्तुत चित्र में ऊंट और ऊंट हांकनेवाला दिखाया है। 1.सी डेप 2007 2.जौनपुर ए गज़ेटियर, बीइंग वॉल्यूम xxviii 1908 https://archive.org/stream/in.ernet.dli.2015.12881/2015.12881.Jaunpur-A-Gazetteer-Being-Volume-Xxviii_djvu.txt
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