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इसी वर्ष 15 जनवरी, 2022, के दिन एक पर्यावरणीय आपदा ने पेरू (Peru) देश के समुद्री तटों पर तबाही मचा दी थी। वास्तव में, इस समय समुद्र में स्पेन (Spain) की ऊर्जा कंपनी रेप्सोल (Repsol) का टैंकर फटने के बाद, 12,000 बैरल कच्चा तेल लीमा (Lima) की खाड़ी में फ़ैल गया। इस हादसे के कारण 180,000 पक्षियों का जीवनखतरे में पड़ गया और लगभग 5,000 परिवारों की आजीविका पूरी तरह से नष्ट हो गई।
अपतटीय ड्रिलिंग (Offshore Drilling) एक यांत्रिक प्रक्रिया होती है, जिसके द्वारा समुद्र तल के नीचे कुआं खोदा जाता है। ऐसा आम तौर पर तल के नीचे के पत्थर की संरचनाओं में निहित कच्चे तेल (Petroleum) का पता लगाने और बाद में निकालने के लिए किया जाता है। सामान्यतया , अपतटीय ड्रिलिंग शब्द का उपयोग महाद्वीपीय क्षेत्रों के सागरतह (Seabed) में ड्रिलिंग गतिविधियों को करने के लिए किया जाता है, परंतु यह शब्द झीलों, तटवर्ती जल और अंतर्देशीय समुद्रों में ड्रिलिंग के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।
अपतट ड्रिलिंग परिचालन के समय उपयोग की जाने वाली सामग्रियों के कारण, अपतटीय और तटवर्ती दोनों स्तर पर हमें पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आज कई अलग-अलग प्रकार की सुविधाएं मौजूद हैं जिनकी सहायता से अपतटीय ड्रिलिंग ऑपरेशन (Offshore Drilling Operations) संपन्न होते हैं। इनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित सम्मिलित हैं:
1.स्थापित ड्रिलिंग रिग (Installed Drilling Rig)
2.संयुक्त ड्रिलिंग (Joint Drilling)
3.फ्लोटिंग प्लेटफार्म (Floating Platform)
4.अर्ध-सबमर्सिबल या ड्रिल शिप (Semi-Submersible or Drill Ship)
ड्रिलिंग की ये विधियां पानी की 3,000 मीटर (9,800 फीट) तक की गहराई में काम करने में सक्षम हैं। उथले पानी में यह इकाइयां समुद्र तल से जुड़ी होती हैं। हालांकि 1,500 मीटर (4,900 फीट) से अधिक गहरे पानी में गतिक स्थिति (Dynamic Positioningship) का उपयोग करके, सेमी-सबमर्सिबल और ड्रिल शिप को आवश्यक ड्रिलिंग स्थान पर बनाए रखा जाता है।
यदि हम अपतटीय ड्रिलिंग के इतिहास की बात करें तो, सन 1891 के आसपास, ओहायो में ग्रैंड लेक सेंट मैरी (Grand Lake St. Mary in Ohio) के ताजे पानी में बने प्लेटफार्मों (Platforms) से पहली बार जलमग्न तेल के कुओं का प्रवेधन (ड्रिल) किया गया था। यह कुएं ब्रायसन (Bryson), रिले ऑयल (Riley Oil), जर्मन-अमेरिकन (German-American) और बैंकर्स ऑयल (Bankers Oil) जैसी छोटी स्थानीय कंपनियों द्वारा विकसित किए गए थे।
1896 के आसपास, सांता बारबरा चैनल (Santa Barbara Channel in California) के द्वारा कैलिफोर्निया में फैले समरलैंड क्षेत्र (Summerland Area) के हिस्से में खारे पानी में पहले जलमग्न तेल के कुओं (Submerged Oil Wells) का प्रवेधन किया गया था। कुओं को जमीन से बाहर चैनल में विस्तारित घाटों से प्रवेधित किया गया था।
इसके अतिरिक्त अन्य उल्लेखनीय शुरुआती जलमग्न ड्रिलिंग गतिविधियां 1900 के दशक में कनाडा की एरी झील (Canada's Lake Erie) और 1910 के दशक में लुइसियाना में कैड्डो झील (Caddo Lake in Louisiana) पर की गई। इसके तुरंत बाद टेक्सास (Texas) और लुइसियाना के खाड़ी तटों पर ज्वारीय क्षेत्रों में कुओं को ड्रिल किया गया।
बीबी- हेबत (Bibi- Heybat) कुआं समुद्र के नीचे स्थित सबसे पुराने कुओं में से एक है, जो 1923 में अज़रबैजान (Azerbaijan) में बनाया गया था। यह कुआँ कैस्पियन सागर (Caspian Sea) के उथले हिस्से में एक कृत्रिम द्वीप पर स्थित था। इसके बाद 1930 के दशक की शुरुआत में, टेक्सस की एक कंपनी ने मेक्सिको की खाड़ी (Gulf of Mexico) के खारे तटीय क्षेत्रों में ड्रिलिंग के लिए पहला मोबाइल स्टील बार्स (Mobile Steel Bars) विकसित किया। जून 2010 तक, दुनिया भर में अपतटीय रिग बेड़े में सेवा के लिए 620 से अधिक, मोबाइल अपतटीय ड्रिलिंग रिग उपलब्ध थे। वर्तमान में मेक्सिको की खाड़ी में पेडिडो (Pedido), दुनिया के सबसे गहरे ड्रिलिंग केंद्रों में से एक है, जो 2,438 मीटर (7,999 फीट) पानी की गहराई में तैर रहा है। इसे रॉयल डच शेल (Royal Dutch Shell) नामक कंपनी द्वारा संचालित किया जाता है और इसे $3 बिलियन की लागत से बनाया गया था।
बाज़ार में तेल की उच्च मांग के कारण यह एक फायदे का सौदा प्रतीत होता है लेकिन हमारे पर्यावरण को समुद्र में तेल निकालने की इस विधि के भयावह नुकसान भी झेलने पड़ते हैं। वास्तव में, अपतटीय ड्रिलिंग से निकला हुआ 39 मिलियन लीटर (16 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल भरने के लिए पर्याप्त) तेल प्रत्येक साल हमारे समुद्रों को प्रदूषित करता हैं।
इसी वर्ष एक बड़ी ऊर्जा कंपनी रेप्सोल (Repsol) ने पेरू के लीमा की खाड़ी में 12,000 बैरल कच्चे तेल को गिरा दिया। हालांकि यह पेरू में अब तक का सबसे बड़ा तेल रिसाव था, लेकिन इससे पहले भी दुनिया भर में दर्जनों बड़े तेल रिसाव हो चुके हैं। बार-बार अपतटीय तेल और गैस गतिविधियों के कारण रिसाव की घटनाओं ने तटीय वातावरण, मानव स्वास्थ्य और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को खतरे में डाल दिया है। आज जीवाश्म ईंधन पर वैश्विक निर्भरता (जिसका 30 प्रतिशत समुद्र के नीचे से निकाला जाता है) हमारे गृह (Planet) को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (Greenhouse Gas Emissions) केग्रहीय टिपिंग पॉइंट (Planetary Tipping Point) की ओर ले जा रही है।
अपतटीय तेल और गैस बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करते हैं, जो समुद्र तल के नीचे अन्वेषण और निष्कर्षण के दौरान शुरू होता है। तेल निष्कर्षण से अनुपयोगी और व्यर्थ गैस भी निकलती है जिसे तुरंत ही जला दिया जाता है। इस तरह गैस के जलने से न केवल मीथेन (Methane) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का विस्फोट होता है, बल्कि इससे वातावरण में जहरीले वायु प्रदूषक भी फैलते है।
वर्तमान दर पर, अपतटीय तेल और गैस का, जीवन चक्र-उत्सर्जन 2050 तक 8.4 बिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है। 2018 में, दुनिया में अनुमानित 1.73 ट्रिलियन बैरल तेल था। यह तेल इतना है कि , 95 मिलियन बैरल प्रतिदिन की औसत वैश्विक तेल खपत के साथ भी अगले 50 वर्षों तक चलने के लिए पर्याप्त होगा। परंतु फिर भी तेल की वैश्विक खपत लगातार बढ़ रही है और औद्योगिक क्रांति के बाद से तेल की मांग बिना रुके बढ़ी है। और इसके कम से कम 2030 तक बढ़ने की उम्मीद है।
2030 के आसपास तेल उत्पादन के अपने शीर्ष स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। शीर्ष स्तर पर पहुंचने की स्थिति को "पीक ऑयल (Peak Oil)" के रूप में जाना जाता है। लेकिन यह निश्चित रूप से कहना असंभव है कि यह कब होगा। 2018 में विश्व में तेल की कुल खपत लगभग 1.5 ट्रिलियन बैरल होने का अनुमान है। इसलिए यदि हम दुनिया के सभी भंडारों का उपयोग करते हैं, तो हम 2018 से 2068 तक 50 वर्षों में उतना ही तेल जलाएंगे जितना हमने 1950 से 2018 तक 68 वर्षों में जलाया था। इसीलिए यदि इस सदी में वैश्विक तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस तक ही सीमित रखना है तो हमें ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में अत्यंत कमी करनी होगी।
अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने से बिजली के लिए कोयले को जलाने की आवश्यकता में अत्यंत कमी आ सकती है। इस बीच, वैश्विक शिपिंग बेड़े को डीकार्बोनाइज (Decarbonize) करने के लिए समन्वित प्रयास पहले से ही चल रहे हैं। इसके साथ ही मैंग्रोव (Mangrove), समुद्री घास और साल्ट मार्शेस (Salt Marshes) जैसे तटीय पारिस्थितिक तंत्रों की रक्षा और पुनर्स्थापन, कार्बन को दूर करने की क्षमता को बढ़ाएगा।
वर्तमान में, अपतटीय तेल और गैस बाजार में केवल 10 देशों का 65 प्रतिशत प्रभुत्व है। 2025 तक, 48 देशों में लगभग 355 नई अपतटीय तेल और गैस परियोजनाओं का संचालन शुरू होने की उम्मीद है। COP 27 में, कुछ तटीय अफ्रीकी देशों ने ऊर्जा की पहुंच में सुधार के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने के इरादे व्यक्त किए। बेलीज (Belize) जैसे देशों ने अपतटीय तेल और गैस अन्वेषण के लिए लाइसेंस देना बंद कर दिया है। 2017 से, कोस्टा रिका (Costa Rica), बेलीज (Belize), डेनमार्क (Denmark), आयरलैंड (Ireland) और न्यूजीलैंड (New Zealand) जैसे देशों ने भी अपतटीय तेल और गैस अन्वेषण के लिए लाइसेंस देना बंद कर दिया है।
यूरोपीय संघ, भारत और कई अन्य द्वीप राष्ट्रों ने भी इस वर्ष के संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते में सभी जीवाश्म ईंधन उत्पादन को चरणबद्ध रूप से कम करने का आह्वान किया। वियतनाम और भारत जैसे वैश्विक बाजार भी अपतटीय तेल और गैस से दूर जा रहे हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3iEPRKY
https://bit.ly/3UsVhpF
https://bit.ly/2lfyH63
चित्र संदर्भ
1. अपतटीय ड्रिलिंग संयंत्र में लगी आग को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
2. अपतटीय ड्रिलिंग के डाइग्राम को दर्शाता एक चित्रण (NDLA)
3. त्रिनिदाद के तट पर एक तेल मंच को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक विशिष्ट तेल मंच के संचालन को दर्शाने वाला आरेख: 1. ड्रिलिंग रिग; 2. रॉक परतें; 3. तेल रिसाव; 4. तेल और प्राकृतिक गैस। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. उत्तरी सागर में ऑयल प्लेटफॉर्म मित्तलप्लेट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. डेविल्स टॉवर स्पार प्लेटफॉर्म को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. ट्रोल नॉर्वे में निर्माणाधीन एक प्राकृतिक गैस प्लेटफॉर्म, एक गुरुत्वाकर्षण-आधारित संरचना। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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