City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2286 | 2286 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
अपनी मिठास के लिए विख्यात हमारा जौनपुर शहर, सिख समुदाय की एक प्रसिद्ध घटना का भी गवाह रहा है। सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी ने 1670 में पंजाब की ओर अपनी वापसी यात्रा के दौरान, स्वयं जौनपुर का दौरा भी किया था। आज गुरुपुरब के इस पावन अवसर पर उनकी जौनपुर यात्रा सहित कुछ सिख परंपराओं के बारे में विस्तार से जानेंगे। गुरु तेग बहादुर जी ने 1670 में स्वयं जौनपुर का दौरा किया था। आज भी उनका स्मारक मंदिर यानी गुरुद्वारा तप अस्थान श्री गुरु तेग बहादुर जी (बारी संगत), गोमती नदी के बाएं किनारे पर शहर के पूर्व में स्थित है।
गुरूद्वारे का गर्भगृह, विशाल आयताकार हॉल के एक छोर पर स्थित है। इसके बीच में एक वर्गाकार मंच वाला एक छोटा कमरा, मूल तप अस्थान का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वास्तव में वर्तमान गुरुद्वारे से डेढ़ किलोमीटर दक्षिण-पूर्व की ओर नदी के बाएं किनारे पर एक रेतीले टीले पर था। चाचकपुर गांव की राजस्व सीमा में इस टीले के ऊपर एक आयताकार इमारत के खंडहर आज भी देखे जा सकते हैं। इसके आसपास की करीब दो एकड़ जमीन आज भी गांव के राजस्व रिकॉर्ड में गुरुद्वारा बारी संगत के नाम से ही दर्ज है।
जौनपुर के राव मंडल मोहल्ला में एक निजी घर में एक और मंदिर छोटी संगत भी स्थित था, लेकिन 1960 के दशक के मध्य में इसमें रहने वाले अंतिम सिख, सरदार जवाहर सिंह की मृत्यु के बाद इसका अस्तित्व भी समाप्त हो गया। इसके दो पवित्र अवशेष, गुरु ग्रंथ साहिब की एक हस्तलिखित प्रति और गुरु तेग बहादुर का एक उपहार माना जाने वाला एक स्टील का तीर अब गुरुद्वारा तप अस्थान बड़ी संगत में रखा गया है। इस गुरुद्वारा में 1742 विक्रमी (ए.डी. 1985) और 1801 विक्रमी (ए.डी. 1744) की शास्त्र की दो हस्तलिखित प्रतियां भी हैं।
सिख समुदाय में कीर्तन की एक लोकप्रिय परंपरा है, जिसे सिखों में मूलतः नगर कीर्तन के नाम से जाना जाता है। दरसल 'नगर कीर्तन एक पंजाबी शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ "क्षेत्रीय कीर्तन" होता है। स्पष्ट रूप से "नगर" शब्द का अर्थ "शहर या क्षेत्र," और "कीर्तन" एक ऐसा शब्द है जो शबद (दिव्य भजन) के गायन को संदर्भित करता है। यह शब्द सिख संगत द्वारा, संपूर्ण शहर में पवित्र भजन गाने को संदर्भित करता है। जहां भी सिख समुदाय मौजूद होते हैं वहाँ पर नगर कीर्तन होना आम बात है।
नगर कीर्तन के प्रचलन की शुरुआत का श्रेय चैतन्य महाप्रभु को दिया जाता है। एक नगर कीर्तन की अवधारणा भगवान के संदेश को हर समुदाय के दरवाजे तक पहुचाने की है। पंज प्यारे (गुरु के पांच प्यारे) आम तौर पर नगर कीर्तन के जुलूस का नेतृत्व करते हैं। इसके बाद आमतौर पर एक मुख्य नाव पट्टे पर दी जाती है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाती है। इस दौरान हर कोई पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिर झुकाकर सम्मान देता है और साथ ही साथ सेवादारों द्वारा प्रसाद (पवित्र भोजन) भी प्रदान किया जाता है।
गुरु ग्रंथ साहिब का अनुसरण करते हुए कीर्तन के गायन में लिप्त होने पर कोई भी निर्वाण की स्थिति में पहुंच सकता है । युवा और बूढ़े, सिख, तथा गैर-सिख, जो नगर कीर्तन मार्ग का अनुसरण करते हैं, किनारों पर खड़े होते हैं और सभी को समान रूप से जलपान भी वितरित किया जाता हैं। पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के गुरुद्वारे में फिर से प्रवेश करने के साथ ही नगर कीर्तन का समापन हो जाता है। नगर कीर्तन का आयोजन कई सिख पर्वों, आयोजनों जैसे की बैसाखी या गुरु पर्व के अवसर पर किया जाता है।
गुरुपर्व को गुरु नानक प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। यह (2022 में 8 नवंबर के दिन मनाया जाने वाला) दिन सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन का प्रतीक है। गुरु नानक देव जी सबसे प्रसिद्ध सिख गुरुओं में से एक हैं, साथ ही वे सिख धर्म के संस्थापक भी माने जाते हैं। सिख समुदाय द्वारा गुरु नानक देव जी का बहुत सम्मान किया जाता है। यह सिख धर्म में सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है।
सिख धर्म में अधिकांश त्यौहार, दस सिख गुरुओं की जयंती के आसपास ही मनाये जाते हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म विक्रमी कैलेंडर के अनुसार 1469 में पाकिस्तान के वर्तमान शेखूपुरा जिले, अब ननकाना साहिब में राय-भोई-दी तलवंडी में कटक की पूर्णिमा पर हुआ था। इसी दिन भारत में राजपत्रित अवकाश होता है। हालंकि विवादास्पद भाई बाला जन्म साखी के अनुसार, गुरु नानक देव जी का जन्म भारतीय चंद्र मास कार्तिक की पूर्णिमा (पूर्णिमा) को हुआ था। इसी वजह से सिख नवंबर के आसपास गुरु नानक देव जी का गुरु पर्व मनाते रहे हैं और यह सिख परंपराओं का हिस्सा बन गया है।
संदर्भ
https://bit.ly/3U3XMzn
https://bit.ly/3hdSW3Z
https://bit.ly/3U3Q6NOb
https://bit.ly/3E11X9Obr>
चित्र संदर्भ
1. एक गुरुद्वारे को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
2. जौनपुर शहर के गुरुद्वारा तप अस्थान को दर्शाता एक चित्रण (google)
3. गुरु तेग बहादुर का एक उपहार माना जाने वाली एक स्टील का तीर अब
गुरुद्वारा तप अस्थान बड़ी संगत में रखी गया है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पंजाब में नगर कीर्तन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.