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हमारा शहर जौनपुर अपनी स्वादिष्ट इमरती के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यहां तक की कई पुरानी दुकानों पर “जौनपुरी इमरती” के ऑर्डर विदेशों से भी आते हैं। न केवल इमरती, बल्कि गुंधे हुए आटे से निर्मित अधिकांश भारतीय तली हुई मिठाइयां पूरे विश्व में अपने स्वाद और सुगंध का जादू व् मिठास बिखेर रही हैं।
इमरती का मुख्य अवयव यानी आटा गूंध या घोल कर उसे तलना (Fried dough)”, पूरी दुनिया में सबसे सर्वव्यापी खाद्य पदार्थों में से एक माना जाता है। आटे, पानी और गर्म तेल का उपयोग करने वाली पेस्ट्री (Pastry) या मिश्रण की कुछ भिन्नताएँ आप हर देश में पा सकते हैं। जैसे भारत में किण्वित आटे के घोल से निर्मित, जलेबी एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है, जिसे गर्म तेल में घुमाकर, सर्पिल रूप देकर तला जाता है। फिर इसे रंगने के लिए केसर और इलायची की चाशनी में रखा जाता है, जिससे इसका रंग आकर्षक नारंगी हो जाता है।
चीन में, यूटियाओ (Youtiao) एक तली हुई आटा स्टिक होती है, जिसे नाश्ते के दौरान परोसा जाता है। यूटियाओ को जब गर्म और ताजा परोसा जाता है, तो यह क्रिस्पी (Crispy) और कुरकुरा प्रतीत होता है। इसके अलावा आटे को गूंध कर और उसे तल कर निर्मित बीवरटेल्स (Beavertails) एक लोकप्रिय कैनेडियन पेस्ट्री (Canadian Pastry) है जिसकी उत्पत्ति 1978 में हुई थी। इसमें गुंधे हुए गेहूं के आटे को तलने से पहले चौड़े, सपाट आकार में हाथ से फैलाया जाता है।
गुंधे हुए आटे के मिश्रण को तलना, सांस्कृतिक सीमाओं से भी परे है, और इसका एक समृद्ध तथा पुराना इतिहास भी है। इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि मिट्टी के बर्तनों के आविष्कार तथा बर्तनों में तेल गर्म करने की संभावना के बाद, 8000 और 5500 ईसा पूर्व के बीच विभिन्न प्रकार के आटे को तलना शुरू हो गया था। तलने या डीप-फ्राइंग (Deep-Frying) की कला वास्तव में जापान में विकसित हुई थी, फिर लगभग 600-700 ईसा पूर्व चीन में लाई गई। 1440 और 1530 के बीच, पुर्तगालीयों ने आटे को तलने के सुसमाचार और संभावना को फैलाने का काम किया। बाद में सुनहरे तले हुए आटे की खुश्बू उत्तर और दक्षिण अमेरिका तथा हवाई (Hawaii) में भी फ़ैल गई।
19वीं शताब्दी के दौरान, अमेरिकी लेखक, इतिहासकार और राजनयिक वाशिंगटन इरविंग (Washington Irving) ने डोनट्स (Donuts) या "आटे की मीठी गेंदों" का संदर्भ दिया। आटे को तल कर निर्मित व्यंजन का एक लोकप्रिय उदाहरण लोकमा (Lokma) भी है, जिसे इसके ग्रीक नाम लौकौमाडेस (Loukoumades) से भी जाना जाता है। यह खमीर और आटे की गेंदों को तल कर बनी पेस्ट्री (Pastry) होती हैं, जिसे चाशनी या शहद में भिगोया जाता हैं और कभी-कभी दालचीनी या अन्य सामग्री के साथ लेपित किया जाता हैं। इस पकवान को 13वीं शताब्दी की अरबी पाक कला पुस्तकों में लुकमत अल-क़ादी (لقْمَةَ ٱلْقَاضِيِ) या "न्यायाधीश का निवाला" के रूप में जाना जाता था। इसे बनाने के लिए खमीर के आटे को तेल में तला जाता है, और शहद या चीनी की चाशनी में गुलाब जल के साथ डुबोया जाता है।
गुंधे हुए आटे को तल कर निर्मित कुछ अन्य प्रमुख व्यंजनों की सूची निम्नवत दी गई है:
१. चुरो (Churro): यह स्पेन की एक स्वदेशी मिठाई है, जहां वे इसे बनाने के लिए आमतौर पर पिघले हुए चॉकलेट में तला हुआ आटे का मिश्रण घोलते हैं। अधिकांश अन्य तली हुई आटे की किस्मों के विपरीत, चूरो को सीधे गर्म तेल में बनाया जाता है।
२. ज़ेपोल (Zeppole): यह इतालवी व्यंजन पारंपरिक रूप से ला फेस्टा डि सैन ज्यूसेप (La Festa di San Giuseppe) और न्यूयॉर्क में सैन गेनारो (San Gennaro) पर्व के दौरान परोसा जाता है।
३. सोपापिल्लस (Sopapillas): तले हुए आटे से निर्मित यह न्यू मैक्सिको (New Mexico) की सबसे लोकप्रिय मिठाई है। साथ ही अन्य सीमावर्ती राज्यों और कुछ लैटिन अमेरिकी देशों में भी यह व्यापक रूप से लोकप्रिय है।
४. शनीबॉलन (Schneeballen): शनीबॉलन या 'स्नोबॉल' एक जर्मन (German) मिठाई है जो सख्त आटे को टुकड़ों में काटकर, उन्हें एक गेंद में बनाकर, इसे तलने और फिर पाउडर चीनी, चॉकलेट, या अन्य सामग्री के साथ टॉपिंग करके बनाई जाती है।
५. तुलुम्बा (Tulumba): आटे की इस तुर्की की मिठाई को चाशनी में भिगोया जाता है,
६.डोनट (Donut): लोकप्रिय व्यंजन डोनट को आटे को तल कर ही बनाया जाता है। यह कई देशों में लोकप्रिय है और इसे विभिन्न देशों में एक मीठे नाश्ते के रूप में तैयार किया जाता है।
यदि हम अपने जौनपुर या पूरे भारत में तले हुए आटे से निर्मित सबसे लोकप्रिय व्यंजनों की बात करें, तो “स्वादिष्ट इमरती ” को कदापि नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता है। जौनपुर में इमरती का इतिहास 164 वर्ष पुराना है जिसे अंग्रेज़ों के ज़माने से बनाया जा रहा है।
कहा जाता है की एक बार ब्रिटिश राज में बेनीराम देवी प्रसाद नामक एक डाकिये ने, एक अंग्रेज़ अफ़सर के लिए खाने के साथ-साथ मीठे में इमरती भी बनाई और उनके सामने पेश की। अंग्रेज़ अफ़सर ने जब उसका स्वाद चखा तो वो उंगलियां चाटता ही रह गया। जिसके बाद अंग्रेज़ अफसर ने बेनीराम को नौकरी छोड़ इमरती बनाने का सुझाव दिया। उसने बेनीराम से कहा की तुम्हारे हाथ में जादू है। शुरू में ना नुकुर करने के बाद आखिरकार अफ़सर के ज़्यादा जोर देने पर वो मान गए और डाक विभाग से एक साल की छुट्टी लेकर 1855 में इमरती बनाने का काम शुरू किया। उनकी दुकान चल पड़ी और आज भी लोग दूर-दूर से बेनीराम की इमरती खाने के लिए हमारे जौनपुर आते हैं। आज यह दुकान जौनपुर के ओलन्दगंज के नक्खास मुहल्ले में मौजूद है। और यहां से जौनपुर की स्वादिष्ट इमरतियां विदेश में भी भेजी जाती है।
संदर्भ
shorturl.at/HMU39
shorturl.at/iR159
shorturl.at/aqMS3
shorturl.at/PS138
shorturl.at/pBHO0
चित्र संदर्भ
1. इमरती के कारीगर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. दो इमरतियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. यूटियाओ (Youtiao) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. आटे को तल कर से निर्मित व्यंजन का एक लोकप्रिय उदाहरण लोकमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. चुरो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. ज़ेपोल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
7. सोपापिल्लस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. शनीबॉलन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. तुलुम्बा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. डोनट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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