Post Viewership from Post Date to 29-Oct-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2389 10 2399

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

धार्मिक सीमाओं से परे, जौनपुर सहित देशभर में दीपावली की समृद्ध परंपरा व प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख

जौनपुर

 24-10-2022 11:14 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

भारतीय संस्कृति में दीपावली के महोत्सव का इतिहास स्वयं में ही बेहद विस्तृत एवं दिलचस्प है। वर्षों से चल रही दीपावली की यह समृद्ध परंपरा इस वर्ष भी पूरे देश में, भव्यता के नए कीर्तिमान स्थापित करने जा रही है। किंतु हमारे अपने जौनपुर में इस वर्ष की दीपावली कुछ मायनों में अनोखी होने जा रही है।
त्यौहारों के देश भारत में दीपों का पर्व दीपावली खूब हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार पूरे देश में सभी लोगों के जीवन से अंधकार को दूर करने तथा जीवन में रोशनी भरने के लिए मनाया जाता है। दिवाली का त्यौहार विविधता में एकता का प्रतीक है, क्योंकि भारत में हर राज्य एवं कई धर्म इसे आस्था की परवाह किए बिना अपने विशेष तरीके से मनाते है। दीपावली या दिवाली एक राष्ट्रीय त्यौहार है, और दिलचस्प रूप से इस त्यौहार का एक नास्तिक पहलू भी है। दरअसल इस चार दिवसीय पर्व के उत्सव का पहला दिन, नरक चतुर्दशी के त्यौहार से शुरू होता है, जो भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा द्वारा राक्षस नरकासुर को परास्त करने का प्रतीक माना जाता है। दूसरे अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। तीसरा दिन "कार्तिका शुद्ध पद्यमी" का होता है एवं इसे "बालीपद्यमी" के रूप में भी जाना जाता है। चौथे दिन को "यम द्वितीया" कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों से आशीर्वाद लेने के लिए अपने घरों में आमंत्रित करती हैं।
लेकिन दीपावली को मुख्यतः रावण का वध करने के बाद, अयोध्या के राजा प्रभु श्री राम, उनकी पत्नी माता सीता और भाई लक्ष्मण के अयोध्या वापसी की ख़ुशी में मनाया जाता है। दीपावली एक ऐसा त्यौहार है, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग भाग लेते हैं। वे मिट्टी के दीये जलाकर, घरों को सजाकर, पटाखे फोड़कर, अपने प्रियजनों को भोज में आमंत्रित करके और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं। दीपावली का उल्लेख संस्कृत ग्रंथों जैसे पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी किया गया है, जो दोनों पहली सहस्राब्दी सीई के उत्तरार्ध में पूरे हुए थे। दीयों (दीपक) का उल्लेख स्कंद किशोर पुराण में सूर्य के कुछ हिस्सों के प्रतीक के रूप में किया गया है, जो इसे सभी जीवों के लिए प्रकाश और ऊर्जा के ब्रह्मांडीय दाता के रूप में वर्णित करता है। राजा हर्ष सात वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक “नागानंद” में दीपावली को दीप प्रतिपादोत्सव (दीप = प्रकाश, प्रतिपदा = पहला दिन, उत्सव = त्यौहार) के रूप में संदर्भित करते हैं, जहां दीप जलाए जाते थे तथा नवविवाहित वर और वधू को उपहार दिए जाते थे। राजशेखर ने अपनी नौवीं शताब्दी के काव्य मीमांसा में दीपावली को दीपमालिका के रूप में संदर्भित किया। दिवाली का वर्णन भारत के बाहर के कई यात्रियों द्वारा भी किया गया था। भारत पर अपने ग्यारहवी वीं शताब्दी के संस्मरण में, फारसी यात्री और इतिहासकार अल बिरूनी (Al Biruni) ने लिखा है कि कार्तिक महीने में अमावस्या के दिन हिंदुओं द्वारा भव्य दीपावली मनाई जाती है। विनीशियन व्यापारी और यात्री (Venetian Traveller) निकोलो डी कोंटी (Nicolo de Conti) ने पन्दरहवीं शताब्दी की शुरुआत में भारत का दौरा किया और अपने संस्मरण में लिखा, "इनमें से एक अन्य त्यौहार पर सभी अपने मंदिरों के भीतर, और छतों के बाहर, असंख्य संख्या में तेल के दीपक जलाते हैं, जो दिन-रात जलते रहते हैं" और इस दिन सभी लोग "नए वस्त्र पहनते हैं, गाते हैं, नृत्य करते हैं एवं दावत देते हैं।“ सोलहवीं सदी के पुर्तगाली यात्री डोमिंगो पेस (Domingo Paes) ने हिंदू विजयनगर साम्राज्य की अपनी यात्रा के बारे में लिखा, “अक्टूबर में दीपावली मनाई जाती थी, जिसमें घरवाले अपने घरों और अपने मंदिरों को दीपों से रोशन करते थे।“
दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य काल के इस्लामी इतिहासकारों ने भी दिवाली और अन्य हिंदू त्यौहारों का उल्लेख किया है। हालांकि मुगल सम्राट अकबर ने, उत्सवों का स्वागत किया और उनमें भाग भी लिया, लेकिन अन्य शासकों जैसे की औरंगजेब ने 1665 में दिवाली और होली जैसे त्यौहारों पर प्रतिबंध लगा दिया।
कभी-कभी दीपोत्सव, दीपावली, दिवाली और दिवालिगे जैसे शब्दों के साथ, दीपावली का उल्लेख करते हुए पत्थर और तांबे में संस्कृत शिलालेख, पूरे भारत में कई स्थलों पर खोजे गए हैं। बारहवीं शताब्दी का मिश्रित संस्कृत-कन्नड़ सिंदा शिलालेख कर्नाटक में धारवाड़ के ईश्वर मंदिर में खोजा गया है, जहां शिलालेख इस त्यौहार को "पवित्र अवसर" के रूप में संदर्भित करता है। कई भारतीय शिलालेखों का अनुवाद करने के लिए जाने वाले जर्मन इंडोलॉजिस्ट लोरेंज फ्रांज किलहार्न (German Indologist Lorenz Franz Kilhorn) के अनुसार, इस त्यौहार का उल्लेख तेरहवीं शताब्दी के केरल हिंदू राजा रविवर्मन समग्राधिरा के रंगनाथ मंदिर में संस्कृत शिलालेख के छंद 6 और 7 में दीपोत्सवम के रूप में किया गया है। देवनागरी लिपि में लिखा गया तेरहवीं शताब्दी का एक और प्रारंभिक संस्कृत शिलालेख, जालोर, राजस्थान में एक मस्जिद स्तंभ के उत्तरी छोर में पाया गया है, जाहिर तौर पर यह एक ध्वस्त जैन मंदिर से सामग्री का उपयोग करके बनाया गया है। शिलालेख में कहा गया है कि रामचंद्राचार्य ने दीवाली पर एक सुनहरे गुंबद के साथ एक नाटक प्रदर्शन हॉल बनाया।
कुछ के लिए दिवाली एक नए साल की शुरुआत भी है। लेकिन दिवाली को सबसे अधिक रोशनी के त्यौहार के रूप में ही जाना जाता है। संस्कृत से व्युत्पन्न, दीपावली शब्द का अर्थ है "रोशनी की पंक्ति", यही कारण है की, दीवाली चमकीले जलते हुए मिट्टी के दीयों के लिए जानी जाती है। इस त्यौहार की तारीखें हिंदू चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती हैं, जो हर महीने चंद्रमा को पृथ्वी की परिक्रमा करने के समय से चिह्नित करती है। अश्विन और कार्तिका के हिंदू महीनों के बीच अमावस्या के आगमन से ठीक पहले दिवाली शुरू होती है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) के अक्टूबर या नवंबर में आती है। 2022 में, दिवाली के पांच दिन 22 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार की तारीख 24 अक्टूबर है। दिवाली मूलतः हिंदू त्यौहार होने के बावजूद व्यापक रूप से मनाई जाती है। जैनियों, सिखों और बौद्धों में भी इसका उत्साह देखते ही बनता है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हमारे जौनपुर में दीपावली का उत्साह अपने चरम पर है, और कुछ अनोखे अंदाज़ में मनाया जा रहा है। दरसल इस दीपावली पर देश के कई हिन्दुओं के घरों में मुस्लिम महिलाओं द्वारा बनाये गए खूबसूरत दीयों का प्रकाश फैलेगा। अपने हाथों से दीपक को तराश रही जौनपुर शहर के ग्रामीण क्षेत्र की ये महिलाएं उत्तर प्रदेश आजीविका मिशन के तहत एक समूह से जुड़ी हुई हैं। इन आत्मनिर्भर महिलाओं के द्वारा बनाए जा रहे दीपक की खासियत है कि, ये बिना तेल के भी जलेगा और करीब 45 मिनट तक जलता रहेगा। इस दीपक को 6 स्तरों के बाद जलाने योग्य बनाया जाता है, और इस दीपक को जलाने के लिए मोम का प्रयोग किया जाता है। निःसंदेह इसकी जगमगाहट हमारे पूरे जौनपुर शहर को रौशनी से भर देगी।

संदर्भ
https://bit.ly/3shg2t6
https://bit.ly/3Dj8gFe
https://on.natgeo.com/3TC83Cc
https://bit.ly/3VL75pl

चित्र संदर्भ
1. अवध में प्रभु श्री राम के आगमन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. नरकासुर वध को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. दीप प्रज्वलन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. बादामी में गुफा मंदिर # 3 में 578 सीई मंगलेश कन्नड़ शिलालेख को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. दिवाली पर रंगोली के साथ एक भारतीय परिवार को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id