City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
82 | 2 | 84 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
कबीर के एक प्रसिद्ध दोहे की दो पंक्तियां वर्तमान के भू-राजनीतिक हालातों पर एकदम सटीक
बैठती हैं। पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार हैं:
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए ॥
जब भी अत्याधुनिक एवं विनाशकारी हथियारों से सक्षम दो देशों के बीच युद्ध छिड़ता है, तो इस
युद्ध में भाग लेने वाले सैनिक एवं आम जनता, चक्की के दो पाटों के बीच में अनाज की भांति,
पिस ही जाती है। युद्ध के परिणाम तब और भी घातक हो जाते हैं, जब प्रभुत्वता की सनक, परमाणु
हथियारों का प्रयोग करने पर विवश कर देती है।
दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्ति के तौर पर शासन करने वाले, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर
पुतिन (Vladimir Putin) ने बार-बार पश्चिम को आगाह किया है कि, रूस पर किया गया कोई भी
हमला, परमाणु प्रतिक्रिया को भड़का सकता है।
पुतिन ने हालिया घोषणा की, कि डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया (Donetsk,
Luhansk, Kherson and Zaporizhzhya) अब क्रीमिया (Crimea) की भांति, रूस के अभिन्न
अंग हैं। वास्तव में, अगर नाटो (NATO) सैन्य सहायता द्वारा समर्थित यूक्रेन की सेना, रूसी सेना
को इन क्षेत्रों से बाहर निकालना जारी रखती है, तो पुतिन अंततः परमाणु हथियारों का विकल्प भी
चुन सकते हैं।
पाकिस्तान या चीन जैसी अन्य परमाणु-सशस्त्र संशोधनवादी शक्तियां क्रमशः कश्मीर या
ताइवान के साथ भी कुछ इसी तरह की कोशिश करने के लिए उत्साहित हो सकती हैं। कोई भी राष्ट्र
आमतौर पर दो कारणों से परमाणु हथियार चाहता हैं: आत्मरक्षा और वैश्विक प्रतिष्ठा।
पिछले साल अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु संघर्ष अपने क्षितिज पर था। दो परमाणु-
सशस्त्र देश भारत और पाकिस्तान, किसी भी समय अपने दशकों पुराने विवाद को फिर से शुरू कर
सकते हैं। वहीँ दुनिया की सबसे प्रमुख परमाणु शक्तियां अमेरिका और रूस शीत युद्ध के शुरुआती
दिनों से ही एक-दूसरे की ओर नजरें गढ़ाए बैठी हैं। सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन-प्रोलिफरेशन
(Center for Arms Control and Non-Proliferation) के परमाणु विशेषज्ञ एलेक्जेंड्रा बेल
(Alexandra Bell) के अनुसार, “हालांकि यह बहुत सुनने में सुकूनदायक नहीं हो सकता है, लेकिन
परमाणु हमला होने की संभावना शून्य नहीं है, क्योंकि परमाणु हथियार वास्तव में मौजूद हैं।”
यकीनन परमाणु युद्ध से अतुलनीय क्षति होगी और मिनटों के भीतर सैकड़ों हजारों लोगों की जान
जा सकती है, तथा शायद आने वाले दिनों, हफ्तों और वर्षों में लाखों और लोगों की मृत्यु हो सकती
है। इसके अलावा तीव्र ठंडी जलवायु के कारण व्यापक अकाल पड़ सकता है, जो संभावित रूप से
एक पूरी सभ्यता को ही समाप्त कर सकता है।
अब प्रश्न यह उठता है की परमाणु हमले की वास्तविक स्थिति कैसी होगी?
परमाणु हमले की स्थिति में केंद्र में पीला वृत्ताकार आग का गोला (मशरूम का बादल) बन सकता है,
जो लगभग 0.25 वर्ग मील तक फैला होगा। ग्रीन जोन यानि लगभग 1.2-वर्ग-मील क्षेत्र के भीतर
आने वाले लोगो को विकिरण की सबसे भयानक एवं भारी खुराक का सामना करना पड़ेगा।
चिकित्सा उपचार के बिना, बम के तीव्र प्रभावों से 50% और 90% मृत्यु दर की उम्मीद की जा
सकती है। अन्य प्रभावित लोगो के मरने में कई घंटे और कई सप्ताह भी लगते हैं।
नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच एक परमाणु लड़ाई "परमाणु शरद ऋतु" का कारण बन सकती
है। यहां तक कि भारत और पाकिस्तान के बीच एक 'छोटा' परमाणु युद्ध भी जिसमें प्रत्येक
देश 50 हिरोशिमा-आकार के परमाणु बम विस्फोट करता है, इतना गहरा एवं जहरीला धुआं पैदा
कर सकता है कि तापमान चौदहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी के छोटे हिमयुग से भी नीचे गिर जाएगा।
उस आकार की भारत-पाकिस्तान परमाणु लड़ाई से समताप मंडल में कम से कम 5 मिलियन से 6
मिलियन टन काला धुआं निकल सकता है।
हालांकि हर सरकार उन्हें वहन नहीं कर सकती क्योंकि परमाणु हथियार बनाने, बनाए रखने और
ठीक से लॉन्च करने के लिए ही अरबों डॉलर लगते हैं। आज, पृथ्वी पर केवल नौ देशों के पास
लगभग 14,500 परमाणु हथियार हैं।
वैश्विक परमाणु भंडार में वृद्धि और गिरावट के लिए दो देश रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका
मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। वर्तमान में उनके पास सभी परमाणु हथियारों का 93 प्रतिशत हिस्सा है,
जिसमें मास्को (Moscow) में 6,850 और वाशिंगटन (Washington) के पास 6,450 हथियार हैं।
अन्य सात देशों – यूके (United Kingdom, UK), फ्रांस (France), चीन, इजराइल (Israel), भारत,
पाकिस्तान और उत्तर कोरिया (North Korea) के पास कुछ सौ से अधिक परमाणु हथियार नहीं
हैं। फिर भी, मानवता की विलुप्ति करने के लिए हर देश के पास पर्याप्त से अधिक हथियार हैं।
भारत और पाकिस्तान 1947 के बाद से चार बार युद्ध कर चुके हैं। हालाँकि, आज चिंता की बात
यह है कि पाँचवाँ संघर्ष परमाणु युद्ध में तब्दील हो सकता है। दशकों के परीक्षण के बाद, भारत
आधिकारिक तौर पर 1998 में एक परमाणु शक्ति बन गया। इस्लामाबाद, जिसने 1970 के दशक
में एक यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम शुरू किया था, वह भी जल्द ही परमाणु क्लब में शामिल हो गया
था। हालांकि कोई वास्तविक संकेत नहीं है कि पांचवां भारत-पाकिस्तान युद्ध क्षितिज पर है,
लेकिन यह संभव है कि एक गलती दोनों देशों को परमाणु संकट के रास्ते पर खड़ा कर दे।
परमाणु युद्ध से बचाव के तौर पर कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे सामरिक हथियार रखना
वास्तव में एक अच्छा विचार हो सकता है। अमेरिका द्वारा उपयोग किए जा सकने वाले छोटे बम
होने से, परमाणु संघर्ष की संभावना कम हो जाती है। यूक्रेन में युद्ध से लेकर उत्तर कोरिया के
हालिया मिसाइल परीक्षण की होड़ तक, सामरिक परमाणु हथियारों पर बहस और विकास किया जा
रहा है, जैसा शीत युद्ध के बाद से नहीं देखा गया है।
सामरिक परमाणु हथियार क्या है?
रणनीतिक हथियारों के विपरीत सामरिक परमाणु हथियारों को अक्सर "गैर-रणनीतिक हथियार"
के रूप में संदर्भित किया जाता है, जिसे अमेरिकी सेना "दुश्मन की युद्ध क्षमता और युद्ध करने
की इच्छा" को लक्षित करने के लिए डिज़ाइन के रूप में परिभाषित करती है, तथा जिसमें
विनिर्माण, बुनियादी ढांचा, परिवहन और संचार प्रणाली शामिल हैं।
इसके विपरीत, सामरिक हथियारों को युद्ध जीतने वाले अधिक सीमित और तत्काल सैन्य लक्ष्यों
को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सामरिक हथियारों को अक्सर मिसाइलों, हवा से
गिराए गए बमों, या यहां तक कि तोपखाने के गोले के रूप में रखा जाता है, जिनकी दूरी
अपेक्षाकृत कम होती है।
यूएस कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (US Congressional Research Service (CRS) की एक मार्च
की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के पास लगभग 230 गैर-रणनीतिक परमाणु
हथियार हैं, जिनमें यूरोप में विमानों के साथ तैनात लगभग 100 बी61 बम शामिल हैं। सीआरएस
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के पास अपने शस्त्रागार में गैर-रणनीतिक परमाणु हथियारों में
1,000 से 2,000 हथियार हैं।
भविष्य में परमाणु हथियारों के उपयोग को पूर्णतः रोकने का केवल एक ही अचूक तरीका है: उन्हें
पूरी तरह से हटा दें। अमेरिका के चार बड़े राजनेताओं ने वॉल स्ट्रीट जर्नल (wall street journal)
में 2007 में लिखा था कि वे "परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया" देखना चाहते थे। परमाणु
हथियारों पर चिंताओं ने कई लोगों, संगठनों एवं देशों को भी एक गैर-परमाणु दुनिया के लिए प्रेरित
किया है।
सन्दर्भ
https://bit.ly/3yQc7a5
https://bit.ly/3yP0Jv5
https://bit.ly/2OyzsrO
चित्र संदर्भ
1. एक सैनिक जोड़े को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. उत्तर कोरिया की बैलिस्टिक मिसाइल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक परमाणु विस्फोट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. भारत पाकिस्तान वाघा बॉर्डर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. 177 ब्रिटिश परमाणु बम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. वैश्विक शांति के प्रतीक चिन्ह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.