Post Viewership from Post Date to 29-Oct-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2594 26 2620

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि की तपोभूमि माना जाता है जौनपुर का जमैथा गाँव

जौनपुर

 28-09-2022 10:32 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

अपने अतीत एवं वैभव के लि‍ए सुवि‍ख्‍यात हमारा जौनपुर अपना एक वि‍शि‍ष्‍ट ऐति‍हासि‍क, सामाजि‍क एवं राजनैति‍क अस्‍ति‍त्‍व रखता है। साथ ही साथ यह धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए जौनपुर में महर्षि जमदग्नि ऋषि का आश्रम वर्तमान समय में आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। इस स्थान का सम्बंध भगवान परशुराम, उनके पिता महर्षि जमदग्नि तथा माता रेणुका से है। तो आइए आज महर्षि जमदग्नि और जौनपुर में मौजूद उनके आश्रम के महत्व की जानकारी प्राप्त करते हैं।
पुराणों की मानें तो भगवान परशुराम की जन्मस्थली शाहजहांपुर जिले में है, लेकिन उनकी कर्मभूमि और तपोस्थली मुख्य रूप से जौनपुर को माना जाता है, विशेष रूप से आदि गंगा गोमती के पवित्र तट पर स्थित जमैथा गाँव को। यहां भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि का आश्रम मौजूद है। माना जाता है कि उनके नाम पर ही नगर का नाम जमदग्निपुरम् रखा गया था, जो बाद में जौनपुर में बदल गया। ऐसी मान्यता है, कि जब महर्षि जमदग्नि जमैथा (जौनपुर) स्थित अपने आश्रम में तपस्या कर रहे थे, तो आसुरी प्रवृत्ति का राजा कीर्तिवीर (जिसे अब केरार वीर के नाम से जाना जाता है) उन्हें परेशान करता था। जमदग्नि ऋषि तब तमसा नदी (आजमगढ़) गए, जहां भृगु ऋषि रहते थे। उन्होंने भृगु ऋषि को अपनी सारी बात बताई, तथा भृगु ऋषि ने उन्हें अयोध्या जाकर राजा दशरथ के दो पुत्र भगवान राम व लक्ष्मण से सहायता मांगने को कहा। जमदग्नि अयोध्या गए और भगवान राम और लक्ष्मण को अपने साथ ले आए। भगवान राम व लक्ष्मण ने कीर्तिवीर को मारा और फिर गोमती नदी में स्नान किया। यही कारण है, कि तब से यहां मौजूद घाट, राम घाट के नाम से जाना जाने लगा।
महर्षि जमदग्नि से जुड़ी ऐसी अनेकों कथाएं मौजूद हैं। मान्यता है कि एक बार महर्षि जमदग्नि ने भगवान परशुराम की पिता भक्ति देखनी चाही। उन्होंने भगवान परशुराम को माता रेणुका का वध करने का आदेश दिया। पिता के आदेश का पालन करते हुए भगवान परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया। जब महर्षि जमदग्नि ने यह देखा तो भगवान परशुराम की पिता भक्ति देखकर उन्हें आशीर्वाद मांगने को कहा। भगवान परशुराम ने माता रेणुका को जीवित करने और वध वाली यह घटना याद न रहने का वरदान मांगा। मां रेणुका को नया जीवन मिल गया तथा भगवान परशुराम मातृ व पित्रृ दोनों ऋणों से मुक्त हो गए। महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका ने भगवान परशुराम के साथ यहां काफी समय व्यतीत किया था।
माना जाता है कि जमैथा के पावन स्थल पर भगवान परमहंस ने जीवित समाधि ली थी।गोमती तट पर ऋषि जमदग्नि ने तपस्या कर कई सिद्धियां प्राप्त की थीं। यहां माता रेणुका को अखड़ देवी के नाम से जाना जाता है, तथा उनका यहां पर मंदिर भी स्थापित है। अखड़ देवी मंदिर के पास ही भगवान परशुराम का समाधि स्थल भी है। मान्यता है कि यहां पर भगवान परशुराम ने जीवित समाधि ली थी। मंदिर में ही भगवान भोलेनाथ, दुर्गा और हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है।
जमैथा का इतिहास अत्यंत प्राचीन है, लेकिन यह उपेक्षाओं का भी शिकार रही है। समय के साथ-साथ इस स्थान का विकास अभी तक नहीं हो पाया है। मंदिर आने-जाने वाले मार्ग भी सही से नहीं बने हैं। मंदिर की बात की जाए तो गोमती नदी के किनारे होने के बाद भी यहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। ऋषि जमदग्नि की तपोभूमि होने के बाद भी यहां पर भगवान परशुराम और जमदग्नि ऋषि की कोई भी मूर्ति नहीं है। हालांकि इसकी बहाली के लिए कई योजनाएं तैयार की जा रही हैं। विख्यात जमैथा स्थित जमदग्नि आश्रम का 50 लाख रुपये की लागत से सुंदरीकरण करने की योजना बनाई गई है। इसके अलावा आश्रम तक आने के लिए खराब पड़ी 1700 मीटर रोड को भी सही किया जाएगा। उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ की तरफ से टिन शेड, रैन बसेरा, पांच किलो वाट का सोलर प्लांट, सोलर पंप व सोलर लाइट लगाने की योजना भी बनाई गई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में भगवान परशुराम की मूर्ति लगाने की बात भी कही गई है।

संदर्भ:

https://bit.ly/3S5SQJn
https://bit.ly/3UwuSse
https://bit.ly/3Sk1p3D

चित्र संदर्भ
1. जमदग्नि की तपोभूमि, जौनपुर के जमैथा गाँव के मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia, youtube )
2. तपस्या में लीन ऋषि जमदग्नि को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. ऋषि जमदग्नि मंदिर गेट को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. ऋषि जमदग्नि मंदिर प्रांगण को दर्शाता एक चित्रण (youtube)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • जौनपुरी मूली व विशेष समोसे,जौनपुर के व्यंजनों को अनूठा बनाते हैं
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:21 AM


  • जौनपुर शहर की नींव, गोमती और शारदा जैसी नदियों पर टिकी हुई है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:14 AM


  • रंग वर्णकों से मिलता है फूलों को अपने विकास एवं अस्तित्व के लिए, विशिष्ट रंग
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:11 AM


  • क्या हैं हमारे पड़ोसी लाल ग्रह, मंगल पर, जीवन की संभावनाएँ और इससे जुड़ी चुनौतियाँ ?
    मरुस्थल

     16-09-2024 09:30 AM


  • आइए, जानें महासागरों के बारे में कुछ रोचक बातें
    समुद्र

     15-09-2024 09:22 AM


  • इस हिंदी दिवस पर, जानें हिंदी पर आधारित पहली प्रोग्रामिंग भाषा, कलाम के बारे में
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:17 AM


  • जौनपुर में बिकने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है बी आई एस
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:05 AM


  • जानें कैसे, अम्लीय वर्षा, ताज महल की सुंदरता को कम कर रही है
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:10 AM


  • सुगंध नोट्स, इनके उपपरिवारों और सुगंध चक्र के बारे में जानकर, सही परफ़्यूम का चयन करें
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:12 AM


  • मध्यकाल में, जौनपुर ज़िले में स्थित, ज़फ़राबाद के कागज़ ने हासिल की अपार प्रसिद्धि
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id