जौनपुर गंगा की क्वाटरनरी अवसादों के कछारी तालिय मिट्टी से बना प्रदेश है। इन कछार की अवसादों को उनके निर्माण समय के अनुसार मोटे तौर पर पुराना/बड़ा और नया/छोटा इन दो विभागों में बांटा गया है। जो पुराना अवसाद है वो गाद, रेत और चिकनी मिट्टी के साथ अस्थायी चुने के टुकड़ों से भरा है तथा नया, गाद और रेत से बना है जो सई और गोमती के संकीर्ण बाढ़ के मैदानों तक सिमित है। पुराने अवसादों में कंकड़, चुने के टुकड़े और चिकनी मिट्टी सबसे ज्यादा मिलते हैं। उपसतह भूवैज्ञानिक विवरण से पता चलता है की जमीन से तक़रीबन 422 मी. से 538 मी. की गहराई तक विन्ध्य बेडरॉक मिलता है। इस भौगोलिक वजह से जौनपुर में ज्यादा खनिज़ नहीं मिलता सिर्फ कंकड़ जो चुने के टुकड़ों से और रेह जो ऊसर भूमि में मिलता है, यहीं उपलब्ध हैं। चुने के टुकड़े खंड और छोटे परिमाण दोनों में उपलब्ध हैं। चुने के पत्थरों को पिघलाकर मिला चुना, रेत और रेह तथा चिकनी मिट्टी से बने ईंटों को भवन-निर्माण इत्यादि कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कंकड़ का इस्तेमाल पूलों तथा कीचड़ के बने घरों की बुनियाद तथा रेल पटरी, रास्तों और तट-बंध के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। डायरेक्टरेट ऑफ़ जियोलॉजी एंड माइनिंग, उत्तर प्रदेश सरकार के वर्त्तमान खनिज़ अन्वेषण के अनुसार जौनपुर का इलाका जो गोमती के नज़दीक है वहाँ पर कंकड़ और चुने के पत्थर की उपलब्धि जांचने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है की क्या यह सब ज्यादा मात्रा में मिल सकते हैं। 1. जौनपुर ए गज़ेटियर, बीइंग वॉल्यूम xxviii 1908 https://ia801601.us.archive.org/2/items/in.ernet.dli.2015.181603/2015.181603.Jaunpur---A-Gazetteer.pdf 2. अबाउट डिस्ट्रिक्ट जौनपुर http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/166834/9/09_chapter%202.pdf 3. एम.एस.एम.ई जौनपुर http://dcmsme.gov.in/dips/Jaunpur.pdf 4. उत्तर प्रदेश माइनर मिनरल कन्सेशन http://ibm.gov.in/writereaddata/files/10262016093010Mineral%20digest%20UP.pdf 5. डायरेक्टरेट ऑफ़ जियोलॉजी एंड माइनिंग उत्तर प्रदेश http://mineral.up.nic.in/ongoing_mineral.htm 6. उत्तर प्रदेश माइनर मिनरल कन्सेशन रूल्स, 1963 http://www.stonafigsi.com/figsi/images/stone_policy/UPMMCR.pdf
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