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इस्लामी परंपरा में एक ऐसे प्राणी का नाम शामिल है, जो कुछ ही क्षण में किसी को एक
स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकता था तथा वो था, अल बुराक। माना जाता है, कि अल
बुराक ने पैगंबर मुहम्मद को जन्नत तक की यात्रा कराई थी। बुराक का जिक्र मूल रूप से
इसलिए किया जाता है, क्यों कि इसने मक्का से यरुशलम और वापस यरुशलम से मक्का की
पैगंबर मुहम्मद की रात की यात्रा (इस्रा) को पूरा किया तथा इस प्रकार एक ही रात में दो
शहरों के बीच की यात्रा पूरी हुई। तो आइए आज बुराक की आइकनोग्राफी (Iconography)तथा इसके छवि निरूपण के विकास को समझें।
कुरान में इस बात का जिक्र मिलता है, कि 7 वीं शताब्दी में,पैगंबर मुहम्मद ने इस्रा और
मिराज के दौरान अपने रात के सफर को पूरा किया, लेकिन इस बात का उल्लेख नहीं किया
गया है कि यह यात्रा किस वाहन के द्वारा पूरी हुई। क्योंकि धर्मग्रंथों में बुराक का कोई
स्पष्ट चित्रण नहीं मिलता है, इसलिए धर्मशास्त्रियों ने इसका वर्णन अपने-अपने अनुसार
किया। बुराक का जिक्र पहली बार आठवीं शताब्दी में, पैगंबर की सबसे पुरानी जीवनी में
किया गया था जिसमें इसे सफेद रंग के पंख वाले जानवर के रूप में दर्शाया गया था।
जानवर को खच्चर से छोटा और गधे से बड़ा बताया गया। शुरुआती लेखनों में इसकी छवि
अस्पष्ट तथा अधूरी थी तथा आकार भी अनिश्चित था। बुराक के लिए एक मानवीय चेहरे
को विकसित करने में सदियाँ लगीं। इतिहासकार अल-थलाबी ने जब यह लिखा कि बुराक के
पास एक इंसान के गाल जैसा गाल है, तब पांच सौ साल बीत चुके थे।बुराक महिला के रूप
में पैदा नहीं हुआ, बल्कि समय के साथ उसे यह रूप प्राप्त हुआ। हालांकि यह समय अब
तक स्पष्ट नहीं हुआ है। समय के साथ बुराक को कलाकारों ने विभिन्न तरीकों से सजाया।
इस्लाम में अल-बुराक को फेमिनिन डिवाइन (Feminine Divine) के रूप में माना गया है।
विभिन्न चित्रणों में पैगंबर के चारों ओर एक आभामंडल प्रदर्शित किया गया है, तथा पैगंबर
स्वर्ग दूतों के साथ अल बुराक पर सवार हैं। इसकी व्याख्या एक ऐसे जानवर के रूप में की
गई है, जिसका शरीर सफेद है,तथा वह आधा खच्चर और आधे गधे की तरह दिखता है,
जिसके शरीर के किनारों पर चमकीले पंख भी हैं।
कुछ परंपराओं के अनुसार यह एक घोड़ा
था, जिसका सिर एक महिला के समान तथा पूंछ मोर के समान थी। जब रात की यात्रा की
कहानी मुहम्मद के जन्नत पहुंचने (मिराज) के साथ जुड़ी, तब मुहम्मद के जन्नत में प्रवेश
के साधन के रूप में बुराक ने सीढ़ी को प्रतिस्थापित कर दिया।यह भी कहा जाता है कि
बुराक की मदद से इब्राहीम जैसे कुछ पैगंबरों ने एक ही पल में लंबी दूरी की यात्रा पूरी
की।अल बुराक की विशेषता यह है कि इसका सिर एक महिला के जैसा तथा पूंछ मोर के
समान है। महिला जैसे सिर के साथ बुराक ने कानों में झुमके पहने हुए हैं, तथा उसके
काले बाल भी हैं। कुछ छवियों में अल बुराक के चील जैसे पंख भी दिखाए गए हैं।घोड़े के
समान शरीर और चील जैसे पंखों के होने का अर्थ यह है, कि यह तेज गति से यात्री को एक
स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सक्षम है। एक कदम की गति को प्राणी की दृष्टि की
दूरी के बराबर बताया गया है। इस प्रकार यह न केवल यात्री को अपने घोड़े जैसे शरीर पर
वहन कर सकता है, बल्कि शरीर के किनारों पर मौजूद बड़े पंखों के कारण जल्दी से आगे
बढ़ सकता है।तीव्र गति से चलने के कारण भी शायद इसे अल बुराक नाम दिया गया है,
जिसका अंग्रेजी में अर्थ है लाइटनिंग (Lightening)। अब अल बुराक के कई रूप देखने को
मिलते हैं, जिसमें कभी उसकी पूंछ मोर जैसी है तो कभी तेंदुए-प्रिंट के आवरण की।
उसके
सिर पर लगभग हमेशा एक रत्न-जड़ित मुकुट होता है तथा शरीर पर चमकीले रंग के पंख।
अल-बुराक की छवि काफी हद तक हिंदू देवी कामधेनु से मिलती-जुलती है, जिसे इच्छा-पूर्ति
करने वाली गाय माना जाता है, उसे भी अक्सर पंखों और एक मोर की पूंछ के साथ चित्रित
किया जाता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3SZI9cf
https://bit.ly/3K81Haw
https://bit.ly/3K2FkmL
चित्र संदर्भ
1. पाकिस्तान से अल-बुराक के पवित्र प्रिंट को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. बुराग-हिब्रू-बिन सीमा को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. अल-बुराफ़ हफ़ीफ़ा को दर्शाता एक चित्रण (GetArchive)
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