Post Viewership from Post Date to 22-Sep-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2518 19 2537

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

प्रारंग पर्यावरण श्रृंखला 2: कैसे बनाये तितलियों को आकर्षित करने वाला बगीचा

जौनपुर

 23-08-2022 10:27 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

निस्संदेह ही तितली पृथ्वी पर सबसे सुंदर कीट में से एक है। हम सभी स्वतः ही इन रंग-बिरंगे जीवों को फूलों और बगीचों से जोड़ देते हैं। तितलियों का बगीचा एक विशेष रूप से विकसित किया जाता है जिससे स्वाभाविक रूप से बहुत सारी तितलियाँ आकर्षित हो जाती है। तितलियाँ पृथ्वी पर सबसे सुंदर और दिलचस्प जीवों में से एक हैं। इनकी भी  जरूरतें हमारे अपने भोजन व पानी और आश्रय से बहुत अलग नहीं हैं। इसलिए, अगर आप उन्हें अपने बगीचे में बुलाना चाहते हैं तो आपको उनके खाने-पीने का भी ख्याल रखना होगा। तितलियों को पौधों के आसपास घूमते हुए देखना काफी अच्छा लगता है। लेकिन यह भी जरूरी है कि आप अपने गार्डन (garden) में बटरफ्लाई (butterfly) को बुलाने के लिए वहां का वातावरण कुछ ऐसा रखें कि तितलियाँ वहां पर बार-बार आएं। आपके गार्डन में पौधे तितलियों के लिए भोजन के रूप में काम करेंगे। यह तरीका केवल तितलियों को आकर्षित करने के लिए नहीं है, बल्कि स्थानीय तितली प्रजातियों को घर जैसा महसूस कराने के लिए भी लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
भारत तितलियों की प्रजातियों में एक समृद्ध विविधता वाला देश है। यहां तक ​​कि भारत के शहरी क्षेत्रों  मुंबई और बैंगलोर जैसे बड़े शहरों में भी स्थानीय तितलियों की एक बड़ी आबादी है। भारत की कुछ सबसे सुंदर शहर में मडराने वाली  तितलियाँ निम्नलिखित हैं: टेल्ड जे (Tailed Jay), स्ट्राइप्ड टाइगर (Striped Tiger), ब्लू टाइगर (Blue Tiger), द् ग्रेट ऑरेंज टिप (the great orange tip), इमिग्रेंट (emigrant), कमांडर (commander), कॉमन ग्रास येलो (common grass yellow), जेजेबेल (Jezebel), लाइम (Lime) आदि। दक्षिणी बर्डविंग (Southern Birdwing)  भारत की सबसे बड़ी तितली है। इसके अलावा एक और बड़ी तितली ब्लू मॉर्मन (Blue Mormon) महाराष्ट्र की राज्य तितली है। एक तितलीका जीवनचक्र उसका सबसे दिलचस्प हिस्सा होता है। मादा तितली होस्ट (Host) पौधे की पत्तियों पर छोटे-छोटे अंडे देती है। अंडे कुछ ही दिनों में लार्वा (larva) में बदल जाते हैं। लार्वा युवा कैटरपिलर (caterpillar) बन जाते हैं, क्योंकि वे लगातार पत्तियों का भोजन करते हैं इसलिए कैटरपिलर हर दिन वजन बढ़ाते हैं और आकार में कई गुना वृद्धि करते हैं। बाद में ये एक प्यूपा (pupa) बनाते हैं। 2-3 सप्ताह में, एक वयस्क तितली अपने प्यूपा को तोड़ती है और अपने पंख फैला कर बाहर आ जाती है।  एक स्थायी बटरफ्लाई गार्डन को बनाए रखने के लिए, आपको दो प्रकार के पौधों की आवश्यकता होती है
-होस्ट प्लांट्स और नेक्टर प्लांट्स (Host plants & nectar plants):
होस्ट प्लांट्स: वे पौधे हैं जहां तितली अंडे देती है, लार्वा, कैटरपिलर और प्यूपा बनते हैं। एक बार लार्वा सेने के बाद ये डेवलपिंग कैटरपिलर (developing caterpillar) के लिए भोजन के रूप में भी काम करते हैं। तितलियों को पृथ्वी का प्रथम वनस्पति विज्ञानी कहा जाता है। वे रासायनिक उत्तेजनाओं द्वारा होस्ट पौधों को पहचानते हैं और केवल प्रजातियों के एक विशेष समूह पर अंडे देते हैं। तितली होस्ट पौधों के उदाहरण: देवदारु / नकली अशोक (False Ashoka), करी पत्ते (Curry leaves), शरीफा (Custard Apple), अरंडी (Castor), रेशमी कपास (Silk cotton) का पेड़, कैलोट्रोपिस (Calotropis), कैसिया (Cassia), नींबू या साइट्रस (Citrus), आदि। 
वहीं नेक्टर पौधे विकसित तितलियों के लिए भोजन हैं। ये फूल वाले पौधे हैं जो फूलों के रस के लिए मँडराती तितलियों को आकर्षित करते हैं। तितली को आकर्षित करने वाले फूल ज्यादातर रंगीन, आकार में छोटे और कई संख्या में होते हैं। ये पौधे बारहमासी या वार्षिक हो सकते हैं। जॉयवीड (Joyweed), गैंदा या मैरीगोल्ड (Marigold), कॉसमॉस (Cosmos), डाहलिया (Dahlia), ब्लू चिप (Blue Chip), गुलाबी डॉगवुड (Pink Dogwood), चंपा, हाइबिस्क्स या गुडैल (Hibiscus), लैंटाना (Lantana), ओलियंडर (Oleander), जमैका (Jamaica), स्पाइक (Spike), हेलियोट्रोपियम प्रजातियां (Heliotropium Species) आदि ऐसे कई पौधे हैं, जो तितलियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसलिए आप इन्हें अपने गार्डन एरिया में लगाने पर विचार कर सकते हैं। तितलियों की आबादी को बेहतर पर्यावरणीय दशाओं के संकेतक के तौर पर जाना जाता है। परागण, खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक तंत्र में भी तितलियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। लेकिन, प्रदूषण, कीटनाशकों के उपयोग, जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन की मार पड़ने से तितलियों की आबादी पर संकट मंडराने लगा है। अगर तितलियां पृथ्वी से खत्म हो जाएं तो हम कई खाद्य फसलों के स्वाद से वंचित हो जाएंगे। तितलियाँ जब फूलों का रस पीकर परागण करती हैं तो फूलों का रूपांतरण फल में संभव हो पाता है। पर्यावरणविदों का मानना है कि तितलियों के खत्म होने का असर दूसरे जीवों पर भी पड़ सकता है। मंगलुरु के पास बेलवई में बटरफ्लाई पार्क के संरक्षणवादी और संस्थापक शेट्टी कहते हैं, "यदि आप प्राकृतिक आवासों का संरक्षण करते हैं और देशी वनस्पतियों को अपने बगीचे में लगाते हैं, तो कहीं भी तितलियों को आकर्षित करना संभव है।"
अगर आप अपने बगीचे में तितलियों को बुलाना चाहते हैं तो आपको इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा कि आप अपने बगीचे में किसी भी तरह के कीटनाशक या केमिकल्स (Chemicals) का इस्तेमाल ना करें। दरअसल, कीटनाशकों की महक से कभी भी तितली गार्डन में नहीं आती हैं। अगर आपको जरूरत महसूस हो तो आप प्राकृतिक और जैविक खाद का प्रयोग करें। तितलियों को अपने बगीचे में आकर्षित करना है तो अपने बगीचे को कीटनाशक मुक्त रखना होगा। कृषि कीट विज्ञानी एस राजकुमार ने भी अपने घर के मिनी गार्डन में एक शानदार तितली आवास बनाया है और यहाँ तितली की कई प्रजातियों का घर है। उन्होंने नींबू और करी पत्ते के पेड़ जैसे होस्ट पौधे और कुछ फूलो के पौधे यहां लगाये थे। उनकी पत्नी अब बगीचे की देखभाल करती है। कई बार उनके बगीचे में मॉर्मन, स्वॉल टेल, कॉमन क्रो, प्लेन टाइगर, क्रिमसन रोज आदि तितलियाँ देखने को मिल जाती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3RacOC7
https://bit.ly/3QAzH1B
https://bit.ly/3QFgGew

चित्र संदर्भ
1. तितलियों के बगीचों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. बटरफ्लाई हाउस, मिसौरी बॉटनिकल गार्डन में तितलियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. (ग्राफियम डोसन) जीवन चक्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. फूल पर बैठी तितली को दर्शाता एक चित्रण (PIXNIO)
5. पेड़ों पर क्लस्टरिंग मोनार्क तितलियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id