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स्वच्छ हाइड्रोजन और अक्षय ऊर्जा होगी, भविष्य का ईंधन

जौनपुर

 23-07-2022 09:57 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

पिछले कुछ दिनों से भारत के परिवहन मंत्री, श्री नितिन गडकरी जी का एक बयान बेहद चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा है की, "अगले पांच वर्षों के भीतर देश में पेट्रोल पर प्रतिबंध लग जाएगा और देश को इसकी जरूरत ही नहीं रहेगी!" आपको जानकर आश्चर्य होगा की भारतीय परिवहन मंत्री जी के इस कथन को जो चीज ठोस आधार प्रदान कर रही है, वह है भारत का हाइब्रिड ऊर्जा (hybrid energy) में बढ़ता निवेश, और यदि सरकार पूरी जागरूकता एवं समझदारी से अक्षय ऊर्जा में निवेश करती है, तो अगले पांच वर्षों में पेट्रोल मुक्त भारत का सपना पूरा हो जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है! इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (institute for energy economics and financial analysis) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 वित्तीय वर्ष में भारत का अक्षय ऊर्जा में निवेश रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। भारत सरकार द्वारा अक्षय ऊर्जा में कुल $ 14.5 बिलियन का निवेश किया गया था, जो वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में 125% अधिक और 2019-20 वित्तीय वर्ष की पूर्व-महामारी अवधि की तुलना में 72% अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2022 के अंत तक 175GW अक्षय क्षमता तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है, और साथ ही अपने 2030 के लक्ष्य को 450GW तक बढ़ा दिया है। 2016 में, भारत ने 2022 तक 175GW अक्षय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था, जिसमें 100GW सौर, 60GW पवन, 10GW बायोमास शक्ति और 5GW छोटी जल विद्युत क्षमता शामिल है। 2022 में अभी 5 महीने ही शेष हैं, लेकिन हमारा 100GW सौर लक्ष्य का लगभग 57% और पवन लक्ष्य का 67% ही पूरा हो पाया है। इसका मतलब यह है कि भारत अपने 2022 के सौर तथा पवन क्षमता लक्ष्यों को क्रमशः 27% और 18% से चूक सकता है। COVID के दौरान भारत में बिजली की मांग गिर गई, लेकिन औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के साथ ही इसमें भी तेजी से वृद्धि दर्ज की गई! साथ ही हाल ही में अत्यधिक गर्मी ने शीतलन की मांग को भी बढ़ा दिया है। हम देख रहे हैं की भारत में अक्षय ऊर्जा की कीमतें गिर रही हैं, जिसके साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा अब कोयला आधारित बिजली की तुलना में बिजली के एक सस्ते स्रोत के रूप में उभर रही है। रूस- यूक्रेन युद्ध ने देश में आयातित कोयले और गैस की कीमतों को और अधिक बढ़ा दिया है, जिससे उच्च लागत वाली बिजली की प्रेषण क्षमता में तनाव भी बढ़ा रहा है। अतः बैटरी भंडारण और पंप किए गए हाइड्रोन जैसे उर्जा भंडारण प्रणालियों के साथ, अक्षय ऊर्जा चौबीसों घंटे बिजली की मांग को पूरा करने के लिए बिजली का एक सस्ता स्रोत बन गई है। बिजली की बढ़ती मांग, अक्षय ऊर्जा के लिए गिरती कीमतें, सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल (Solar Photovoltaic Module) के निर्माण के लिए भारत का जोर, भारतीय निर्माताओं की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से सरकारी सहायता योजनाएं (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं), तथा अक्षय ऊर्जा के लिए संचरण शुल्क की छूट जैसे शानदार उपाय अभी भारत के नवीकरणीय ऊर्जा विकास के प्रमुख चालक साबित हो रहे हैं। भारत में अक्षय ऊर्जा की संभावनाओं को देखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) द्वारा i2u2 के ढांचे के तहत भारत में $330 मिलियन (लगभग 2,500 करोड़) का निवेश करके द्वारका, गुजरात में एक हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना स्थापित की जाएगीI दरअसल I2U2 भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका का एक समूह है। 14 जुलाई, 2022 को जारी समूह के पहले संयुक्त बयान में कहा गया है कि, इन संयुक्त देशों का उद्देश्य "जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में नई पहल" पर सहयोग और संयुक्त निवेश करना है। I2U2 के पहले शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा संबोधन में कहा गया की “हमने कई क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं की पहचान की है, और उनमें आगे बढ़ने के लिए एक रोड मैप भी तैयार किया है। अपने देशों-पूंजी, विशेषज्ञता और बाजारों की आपसी ताकत को लामबंद करके हम अपने एजेंडे को तेज कर सकते हैं, और वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं”। पश्चिम एशियाई क्वाड के रूप में पहचाने जाने वाले, I2U2 ने छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में संयुक्त निवेश बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है। I2U2 के तहत स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में 330 मिलियन डॉलर का निवेश अमेरिकी व्यापार और विकास एजेंसी द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा, जबकि संयुक्त अरब अमीरात स्थित कंपनियां भी महत्वपूर्ण ज्ञान और निवेश भागीदारों के रूप में सेवा करने के अवसर तलाश रही हैं। भारतीय सरकार ने भी महसूस किया है कि भारत के नवीकरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा भंडारण महत्वपूर्ण होगा। इसके अंतर्गत सरकार ने जून 2025 से पहले शुरू की गई ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली शुल्क माफ कर दिया है। मार्च 2022 में ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए मानक बोली दिशानिर्देश जारी करने के अलावा, सरकार उद्योग के सामने आने वाली प्रमुख बाधाओं को दूर करने के लिए एक राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण नीति पर काम कर रही है। भारत का 2030 तक हर साल 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन क्षमता (green hydrogen potential) हासिल करने का लक्ष्य है। कुछ प्रमुख डेवलपर्स ने भारत में हरित हाइड्रोजन के लिए बड़ी वित्तीय प्रतिबद्धताएं भी की हैं। दावोस (Davos) में हाल ही में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में, भारतीय अक्षय ऊर्जा डेवलपर एसीएमई ने कर्नाटक की राज्य सरकार के साथ एक एकीकृत सौर से हरी हाइड्रोजन से हरी अमोनिया सुविधा विकसित करने के लिए, $ 7 ​​बिलियन के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत 2027 तक सालाना 1.2 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जायेगा। जून में, फ्रांसीसी तेल और गैस की दिग्गज कंपनी Total Energies ने अडानी समूह की सहायक कंपनी अडानी न्यू इंडस्ट्रीज (Adani New Industries) के साथ एक और साझेदारी की घोषणा की, जिसमें हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए 10 वर्षों में $ 50 बिलियन का निवेश किया जाएगा। भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में हाइड्रोजन विकास के लिए 25 साल के रोडमैप का अनावरण किया और 100 तक ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के बड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की। जहाँ उन्होंने कहा की हमें भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है। ऊर्जा की कमी वाले देश भारत के लिए, जो 2070 तक कार्बन तटस्थता का लक्ष्य रखता है, ऊर्जा सुरक्षा का मार्ग तेल, कोयला, मिश्रित ईंधन, प्राकृतिक गैस, नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली के मिश्रण से होकर जाता है। वर्तमान में भारत की $3.12 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को लगभग 400 GW क्षमता से निर्मित 1,650 बिलियन यूनिट (BU) बिजली की आवश्यकता है। इसमें से हरित बिजली केवल 17% है। जब अर्थव्यवस्था अगले दशक में 5-7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी, तो उसे कम से कम 3,000-4,000 गीगावॉट बिजली की आवश्यकता होगी। ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टीईआरआई) ने 2050 तक 23 मीट्रिक टन हाइड्रोजन मांग का अनुमान लगाया है। भारत का वर्तमान हाड्रोजन उत्पादन 6.7 मीट्रिक टन है, जो ज्यादातर प्राकृतिक गैस से भाप-मीथेन सुधार प्रक्रिया के माध्यम से उत्पादित होता है इसके अलावा, वर्तमान दर पर, ऊर्जा आयात बिल भी 2040 तक तीन गुना हो जाएगा। इन बड़ी चुनौतियों से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका, जितना संभव हो उतने हरे और स्थानीय रूप से उपलब्ध ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और स्वच्छ हाइड्रोज़न का दोहन करना है।

संदर्भ
https://bit.ly/3chOC1c
https://bit.ly/3IZBudC
https://bit.ly/3PF5OMt
https://bit.ly/3oien4d

चित्र संदर्भ
1. टोयोटा की Toyota Mirai नितिन गडकरी ने लॉन्च की. ये देश की पहली ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (India's First Green Hydrogen Based FCEV) है. इस इलेक्ट्रिक कार में हाइड्रोजन से चार्ज होने वाला बैटरी पैक है, कार को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. RH2cycle, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. हाइड्रोजन ऊर्जा प्रभाव कारक और उद्धरण के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल को दर्शाता एक चित्रण (Exaly)
4. टोयोटा मिराई ईंधन सेल स्टैक और हाइड्रोजन टैंक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. I2U2 भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका का एक समूह है।, को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
6. यूरोपीय अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करना: हाइड्रोजन प्लांट को दर्शाता एक चित्रण (ISPI)



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