भारतीय संस्कृति में रचे बसे हैं, झूले

घर - आंतरिक सज्जा/कुर्सियाँ/कालीन
12-07-2022 08:36 AM
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भारतीय संस्कृति में रचे बसे हैं, झूले

हम सभी बचपन से श्री-कृष्ण और राधा रानी की अधिकांश छवियों में, उन्हें झूलों पर सवार या एक दूसरे को झूला झुलाते हुए देखते आ रहे हैं! आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा की, भारतीय परंपरा में झूले सदियों से शौक, उत्सव और विलासिता के रूपक रहे हैं। साथ ही भारतीय परंपरा में झूलों की जड़ें भी बेहद गहरी हैं। भारत के वस्त्र, शिल्प, पेंटिंग और वास्तुकला की दृश्य कलाओं में, झूले की एक ठोस उपस्थिति मिलती है। लेकिन झूले की इस अमूर्त दुनिया में काव्य गीत, नृत्य, अनुष्ठान, परंपराएं और विश्वास भी शामिल हैं।
भारतीय परंपरा में झूले को प्रत्याशा, प्रेम और प्रजनन क्षमता के विषयों से जुड़ा एक रूपक भी माना गया है। उदाहरण के लिए, ओडिशा में धरती माता के मासिक धर्म को चिह्नित करने के लिए झूले का तीन दिवसीय उत्सव, राजो परबा मनाया जाता है। राजों या राजा परबा को मिथुन संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। यह ओडिशा में नारीत्व का जश्न मनाने वाला त्योहार है। ऐसा माना जाता है कि पहले तीन दिनों में धरती माता को मासिक धर्म आता है। चौथे दिन को वसुमती स्नान या भूदेवी का औपचारिक स्नान कहा जाता है।
उत्तर भारत के कई हिस्सों में श्रावण के मानसून महीने के तीसरे दिन को हरियाली (हरी) तीज के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान महिलाएं हरे रंग की पोशाक पहने, पेड़ों पर झूले लटकाती हैं। इस दौरान विवाहित महिलाएं जहां व्रत रखती हैं और दाम्पत्य सुख की कामना करती हैं, वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छे पति की कामना करती हैं। झूले के माध्यम से उनकी इच्छाएं प्रकृति में लहराती हैं, बारी-बारी से आकाश को छूती हैं और पृथ्वी को प्रणाम करती हैं। तमिलनाडु में विवाह समारोह में एक रस्म के हिस्से के रूप में, युवा नवविवाहित जोड़ा एक झूले (ओंजल) पर बैठ जाता है। और घर की महिलाएं विशेष गीत गाते हुए धीरे से झूले को हिलाती हैं।
बौद्ध अजंता गुफाओं के विश्व धरोहर स्थल में, गुफा संख्या 2 के अंदर एक अंधेरे कोने में विधुरपंडिता जातक कथा चित्रित है। इस कहानी की पेंटिंग में सुंदर राजकुमारी, इरंदाती को यक्षों के शक्तिशाली सेनापति (भारतीय मिथकों या गाथाओं में परोपकारी प्रकृति की आत्माएं) पूर्णका को आकर्षित करने के लिए एक प्रेम गीत गाते हुए झूलते हुए दिखाया गया है। वसंत ऋतु के दौरान होली के मौसम में, पूर्वी तटीय राज्य ओडिशा में डोला (झूल) उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान तीन केंद्रीय देवताओं (कृष्ण, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम) की मूर्तियों को मंडप में स्थानांतरित किया जाता है और झूलों पर रखा जाता है।
भगवान कृष्ण और उनकी संगिनी राधा की झूले से जुड़ी कई मान्यताएं हिंदू धर्म में बेहद प्रचलित हैं। आज भी, उत्तर भारत में मथुरा और वृंदावन के क्षेत्र राधा और कृष्ण के बीच प्रेम को विस्तृत झूलों, गीत और नृत्य के साथ झूलन महोत्सव मनाते हैं! इसे दर्शाने के लिए एक उत्सव के रूप में एक महीने तक, सभी कृष्ण मंदिरों में झूले लटकाए जाते हैं और हर दिन दोपहर में एक घंटे के लिए कृष्ण-राधा की मूर्तियों को निकालकर एक झूले पर रखा जाता है। इस दौरान चांदी, सोना, दर्पण, फल, सब्जियां, चमेली, भारतीय गुलाब और हरियाली से बने झूले मिलन में उर्वरता और प्रेम का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही एक डोरी से झूलों को इधर-उधर खींचा जाता है और उनपर गीतों और फूलों की वर्षा की जाती है।
झूले सदियों से, शौक, उत्सव और आनंद का एक रूपक रहे हैं! उनका गतिशील रूप, मन और शरीर में उत्साह की भावना पैदा करता है। झूलों के प्रारंभिक साहित्यिक संदर्भ वेदों में देखे जा सकते हैं, बाद में मुगल काल के लघु चित्रों के साथ-साथ बीजापुर से दक्कन-शैली के चित्रों में भी झूलों के दृश्य चित्रण देखे जा सकते हैं। प्राचीन काल में अपने सरलतम रूपों में, झूलों का निर्माण एक लकड़ी के बोर्ड के साथ किया जाता था। जोड़ों के लिए झूलों के अधिक विस्तृत संस्करण चांदी या पीतल से बनाए जाते थे। आज भी घरों के अंदर या बाहर आंगनों में निलंबित झूले देखे जा सकते हैं, जिन्हें अक्सर विलासिता का प्रतीक माना जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि आप मुंबई के कई पुराने अपार्टमेंट (apartment) में खिड़कियों के पास खड़े होकर, ऊपर की ओर देखते हैं, तो आपको छत पर दो हुक (hook) दिखाई देंगे।
हालांकि आमतौर पर उनका उपयोग पौधों या वाशिंग लाइन (washing line) को लटकाने के लिए किया जाता है, लेकिन एक ऐसा समय था जब इन खूटों में भी झूले लटका करते थे! तब बड़ी झूलती हुई सीटें पूरे भारत में घरों में आम थीं। लेकिन मुंबई जैसे शहरों में आज झूले बरामदे को घेरने, गली के शोर, धूल और अराजकता के खिलाफ घरों को सील करने की प्रवृत्ति के शिकार हो गए हैं।

संदर्भ

https://bit.ly/3InSr0K
https://bit.ly/3apyGcE
https://bit.ly/3uuGocf

चित्र संदर्भ
1. झूले में राधा रानी और श्री कृष्ण को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. उदयपुर, भारत, सिटी पैलेस, महिलाओं के लिए शाही झूले , को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. फूलों से सजाए गए राधा रानी और श्री कृष्ण के झूले को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. घर में लटके झूले को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)