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इंसान सौ सालों तक भी जिंदा रहा सकता है, किन्तु अपने जीवन के सौ वर्षों को अधिकांश लोग,
मौत के अंतिम क्षणों को याद करके व्यर्थ ही गवां देते हैं! वह न ही दिल खोलकर जी पाते हैं, और न
ही शान से मौत को गले लगा पाते हैं। मौत का खौफ हर दिन उन के सिर पर सवार रहता है। लेकिन
सोचिए कैसा हो,यदि आप अपने दिमाग को जीवन और मृत्यु से ऊपर उठा पाने में सफल हो जाएं!
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा लेकिन एक अमेरिकी सांस्कृतिक मनोविज्ञान, अंतःविषय
विचारक और लेखक अर्नेस्ट बेकर ( Ernest W. Baker) ने अपनी पुस्तक "द डिनायल ऑफ डेथ" के
माध्यम से जीवन और मृत्यु के गूण रहस्यों को उजागर कर दिया है!
द डिनायल ऑफ डेथ (The Denial of Death), अमेरिकी सांस्कृतिक मनोविज्ञान अर्नेस्ट बेकर
द्वारा 1973 में लिखित एक प्रसिद्ध किताब है। इस पुस्तक के माध्यम से लेखक बताते है कि,
लोगों और संस्कृतियों ने मौत की अवधारणा पर कैसे प्रतिक्रिया दी है। डिनायल ऑफ डेथ डॉ.
अर्नेस्ट बेकर की एक दार्शनिक मनोविज्ञान पुस्तक है। यह पुस्तक इस बात पर विचार करती है कि
हम क्यों मौजूद हैं, हम अपनी मृत्यु दर को क्यों नकारते हैं, और हमारे अस्तित्व का क्या अर्थ है?
इस पुस्तक को पहली बार 1973 में प्रकाशित किया गया और बाद में 1997 में इसका एक नए
परिचय के साथ इसे पुनर्मुद्रित किया गया! इसने 1974 में जनरल नॉनफिक्शन के लिए पुलित्जर
पुरस्कार (Pulitzer Prize for General Nonfiction) भी जीता।
बेकर ने अपने सबसे प्रसिद्ध काम, द डिनायल ऑफ डेथ को पूरा करने के लिए जीवन भर का
समय लिया। टर्मिनल कैंसर से पीड़ित होने के बाद, पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त करने से पहले 1974
में उनकी मृत्यु हो गई। उनका अंतिम काम, एस्केप फ्रॉम एविल (Escape from Evil), मरणोपरांत
प्रकाशित हुआ था। अपनी पुस्तक में बेकर ने लिखा है की "इंसान अनिवार्य रूप से इतने पागल होते
हैं कि पागल न होना पागलपन के दूसरे रूप के समान होगा।"
बेकर जिस मौलिक संघर्ष की ओर इशारा करते हैं, वह एक अद्वितीय द्विभाजन है जिससे केवल
मनुष्यों को जूझना पड़ता है! जैसे “मनुष्य की एक प्रतीकात्मक पहचान है, वह एक प्रतीकात्मक
आत्म है, एक नाम वाला प्राणी है, हमारे भीतर ब्रह्मांड और परमाणुओं को समझने की क्षमता है
इत्यादि। "मानव व्यवहार के लिए मूल प्रेरणा, हमारी बुनियादी चिंता को नियंत्रित करने, मौत के
आतंक को नकारने के लिए हमारी जैविक आवश्यकता है," ऐसा न हो कि हम पागल हो जाएं।
द डिनायल ऑफ डेथ में, बेकर का तर्क है कि हम सभी अपनी मृत्यु दर से डरते हैं। हम मृत्यु के बारे
में बात करने से भी इनकार करते हैं या अपने जीवन में इसकी उपस्थिति को स्वीकार करते हैं,
लेकिन हम अपनी खुद की भेद्यता से डरते हैं।
संस्कृति हमें किसी बड़ी और अविनाशी चीज़ का हिस्सा महसूस करने की प्रेरणा देती है, जिससे हमें
यह भूलने की अनुमति मिलती है कि हम कितने नाजुक हैं। मनुष्य अपनेपन और दीर्घायु की
भावना चाहता है और यह भावना हमें संस्कृति ही प्रदान करती है।
बेकर इस पुस्तक के माध्यम से सामाजिक संरचनाओं से चिपके रहने के परिणामों को भी उजागर
करते है। जब हम एक विचारधारा जैसे कि एक राजनीतिक या धार्मिक समूह, का पालन करते हैं, तो
अजेय और अमर महसूस करना आसान होता है। किसी धर्म या समूह से जुड़ा होना हमें शक्तिशाली
महसूस कराता है। बेकर बताते हैं कि चूंकि हम कृत्रिम सामाजिक निर्माणों को बनाए रखने के लिए
दृढ़ होते हैं, इसलिए संस्कृति, धर्म और राजनीति, युद्ध और भयानक नुकसान का कारण बनते हैं।
बेकर मनोविज्ञान, रहस्यवाद और धर्म को एक साथ लाने के बजाय फ्रॉयडियन विचारों (Freudian
ideas) की आलोचना करते हैं।
उनका मानना है कि मानव स्थिति को वास्तव में समझने
का एकमात्र तरीका यह स्वीकार करना है कि, सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है और धर्म को समझना
असंभव है। बेकर स्वीकार करते हैं कि हर कोई एक सार्थक जीवन जीने की आशा करता है। यदि हम
सोचते हैं कि हम केवल मरने के लिए पैदा हुए हैं तो हम सभी अस्तित्व के भय का अनुभव करने
लगते हैं। इससे पता चलता है कि हम हर चीज में उद्देश्य और अर्थ क्यों ढूंढते हैं।
हम दर्शन, धर्म, राष्ट्रीयता और अन्य प्रणालियों को अपनाते हैं जो हमें हमारे सापेक्ष महत्व से परे
एक पहचान और उद्देश्य प्रदान करते हैं। मौत का इनकार हमें खुशी की खोज को छोड़ने के लिए
नहीं कहता है, बल्कि यह स्वीकार करने के लिए कहता है कि कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता है।
इन सबसे ऊपर, बेकर का तर्क है, हमें बहादुर होना चाहिए और मौत को स्वीकार करते हुए इसका
सामना करना चाहिए। अर्थहीन सामाजिक निर्माणों से आगे बढ़ने के लिए हमें अपनी स्वयं की
मृत्यु को स्वीकार करना चाहिए। बेकर पाठकों को आत्म-उत्थान में विश्वास रखने के लिए भी
प्रोत्साहित करते हैं। विश्वास रखने का अर्थ, यह स्वीकार करना है, कि ब्रह्मांड में काम करने वाली
एक बड़ी रचनात्मक शक्ति है। इस रचनात्मक शक्ति का कोई नाम नहीं है, और किसी भी धर्म या
संगठित समूह को इस पर पूर्ण सत्य या स्वामित्व का दावा करने का अधिकार नहीं है।
हम स्वयं नाजुक और सीमित हैं, ब्रह्मांड शाश्वत है, और हम एक बड़ी योजना के हिस्से के रूप में
मौजूद हैं। यद्यपि कई आलोचकों का तर्क है कि एक बड़ी योजना, या निर्माता में विश्वास करना
मानव निर्मित धर्म में विश्वास करने के समान ही व्यर्थ होता है। हालांकि, बेकर यह साबित करने
की कोशिश भी करते हैं, कि रचनात्मक शक्ति और मानव निर्मित प्रणालियों के बीच बड़ा अंतर है।
सामाजिक निर्माण विश्वास का नहीं युद्ध का कारण बनते हैं। यदि हम सभी केवल एक बड़े
उद्देश्य में विश्वास करते हैं, तो हम सभी एकजुट होंगे, और लड़ने के लिए बहुत कुछ नहीं बचेगा।
बेकर पाठकों से इस पर विचार करने का आग्रह करते हैं कि हम राजनीति, धर्म और अन्य संगठित
व्यवस्थाओं को, हमारे मृत्यु के भय और कुछ मूर्त और चिरस्थायी होने की इच्छा को दूर करने की
अनुमति देते हैं। हम नेताओं को अपने स्वयं के उपयोग के लिए, और मृत्यु दर के अपने स्वयं के
भय के कारण हमें मोहरा बनाने की अनुमति देते हैं। अपने वास्तविक स्वरूप को अपनाने के
बजाय, हम उस उद्देश्य का पीछा करने में समय बर्बाद करते हैं जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है।
बेकर हमें याद दिलाते है कि मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो मृत्यु दर और मृत्यु को समझता
है। अन्य जीव केवल अस्तित्व पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे अपनी अपरिहार्य मृत्यु पर विचार नहीं
करते हैं। दूसरी ओर, क्योंकि हम मृत्यु दर को समझते हैं,इसलिए हम अपनी अमरता के तरीकों की
खोज में अपना जीवन व्यतीत करते हैं। हम किसी तरह इस दुनिया पर छाप छोड़ने के तरीकों की
तलाश करते हैं। अधिकांश लोगों के लिए, अर्थ की खोज के बिना जीवन जीना असंभव है, और
इसलिए मनोविज्ञान और धर्म को एक साथ लाना इतना महत्वपूर्ण है। मनुष्य की स्थिति और
अमरता की अपनी इच्छा को समझने से ही हम धर्म को समझ सकते हैं। अर्नेस्ट बेकर द्वारा
लिखित इस पुस्तक का मनोविज्ञान और दर्शन के क्षेत्र से परे भी व्यापक सांस्कृतिक प्रभाव पड़ा है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (Bill Clinton) ने अपनी 2004 की
आत्मकथा में इसे अपनी पसंदीदा पुस्तकों की सूची में 21 शीर्षकों में से एक के रूप में भी शामिल
किया।
संदर्भ
https://bit.ly/39UO6pj
https://bit.ly/3nkYvh9
https://bit.ly/3ORmAb3
चित्र संदर्भ
1. द डिनायल ऑफ डेथ पुस्तक को दर्शाता एक चित्रण (amazon)
2. लेखक अर्नेस्ट बेकर (Ernest Baker) को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. घटते जीवन को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
4. एक आदमी और एक औरत मौत से पहले अपना पैसा गिन रहे हैं, जिसको दर्शाता एक चित्रण (Look and Learn)
5. मौत एक महिला नर्तकी पर तीर चलाती है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (Look and Learn)
6. प्रसन्न साधु को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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