सिकुड़ते प्राकृतिक आवासों के बीच, गैर बर्फीले क्षेत्रों के अनुकूलित हो रहे हैं, ध्रुवीय भालू

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सिकुड़ते प्राकृतिक आवासों के बीच, गैर बर्फीले क्षेत्रों के अनुकूलित हो रहे हैं, ध्रुवीय भालू

अपने आशियाने की वास्तविक कीमत केवल उसी को पता होती है, जिससे उसका घर जबरन या प्राकृतिक आपदाओं में छीन लिया गया हो! घर को खो देने के दर्द को, वे पहाड़ी लोग तथा कश्मीरी पंडित भी बेहतर समझ सकते हैं, जिन्हे अपने आशियाने को कुदरती आपदाओं और हिसां के दौरान मजबूरन छोड़ना पड़ा! लेकिन इस दर्द को सुदूर बर्फीले क्षेत्रों में रहने वाला, लेकिन विलुप्ति की कगार पर खड़ा एक खूबसूरत जानवर, ध्रुवीय भालू (Polar Bear) भी बेहतर बयां कर सकता है, जो आज इंसानी करतूतों की वजह से अपने आवास सहित पूरे परिवार को खोने की कगार पर खड़ा है!
लेकिन हाल ही में इन ध्रुवीय भालुओं से जुडी एक रोचक घटना का पता चला है, जो कुछ स्तर तक जौनपुर के पशु प्रेमियों को राहत पंहुचा सकती है। लाइवसाइंस (Live Science) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने ग्रीनलैंड (Greenland) के एक ऐसे आवास में ध्रुवीय भालू की एक छिपी हुई आबादी की खोज की है, जहां इसका जीवित रहना लगभग असंभव माना जाता है। दरअसल ध्रुवीय भालुओं को जीवित रहने के लिए, समुद्री बर्फ के तैरते हुए टुकड़ों में, अपना खाना ढूढ़ना पड़ता है! लेकिन इस बार उन्हें फ्योर्डस (fjords) के आसपास खड़ी ढलानों पर देखा गया, जिसकी वैज्ञानिक कल्पना भी नहीं कर सकते थे। फ्योर्डस, खड़ी चट्टानों के बीच का लंबा सँकरा समुद्री मार्ग होता है।
वे हिमनदों में विघटित होने वाली हिमनदों की बर्फ के एक हिस्से पर शिकार करते हुए पाए गए। यह खोज इस तथ्य की ओर इशारा करती है कि, “कुछ ध्रुवीय भालू समुद्री बर्फ के आभाव में भी अनुकूल होने में सक्षम हो सकते हैं” जो हर गुजरते साल के साथ जलवायु परिवर्तन के साथ गायब हो रही हैं। ध्रुवीय भालू फ्योर्डस के चारों ओर खड़ी ढलानों पर रहते हैं, जहां ग्लेशियर समुद्र से मिलते हैं - और इन इनलेट्स (inlets) में टूटने वाली हिमनद बर्फ के एक टुकड़े पर शिकार करते हैं।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय में पोलर साइंस सेंटर (Polar Science Center) के एक वन्य जीव वैज्ञानिक और प्रमुख शोधकर्ता क्रिस्टीन लैड्रे (Christine Ladre) के अनुसार, "ग्लेशियर की बर्फ, ध्रुवीय भालू को ग्लोबल वार्मिंग के बीच भी लंबे समय तक जीवित रहने में मदद कर सकती है, लेकिन आज यह तेज़ी से पिघल रही है, तथा ध्रुवीय भालू के विशाल बहुमत के लिए उपलब्ध नहीं है।" ऐसा इसलिए है क्योंकि इस प्रकार की ग्लेशियर बर्फ अन्य ध्रुवीय भालू आबादी के एक छोटे से हिस्से के पास ही पाई जाती है। कुछ समय पहले तक, वैज्ञानिकों ने आर्कटिक सर्कल (arctic circle) में रहने वाले ध्रुवीय भालू (ursus maritimus) की, 19 ज्ञात उप-जनसंख्या की पहचान की थी। उनमें से एक आबादी ग्रीनलैंड के पूर्वी तट के 1,988 मील (3,200 किलोमीटर) तक फैली हुई है। लेकिन जब शोधकर्ताओं ने उनकी संख्या की निगरानी के लिए इस समूह पर एक विस्तृत नज़र डाली, तो उन्होंने महसूस किया कि भालुओं में वास्तव में दो पूरी तरह से अलग आबादी शामिल है।
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (International Union for Conservation of Nature (IUCN) की लाल सूची (Red List) के अनुसार, ध्रुवीय भालू विलुप्त होने की चपेट में हैं, और इनकी जंगली आबादी में लगभग 36,000 ध्रुवीय भालू ही बचे हैं। लेकिन कुछ अध्ययनों ने यह भी चेताया है कि, “जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण सदी के अंत तक इनकी कई प्रजातियां लुप्त हो सकती हैं।” दुनिया का सबसे बड़ा भूमि शिकारी होने के बावजूद, ध्रुवीय भालू को वास्तव में समुद्री स्तनधारियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, क्योंकि वे मुख्य रूप से जलीय आहार पर निर्भर होते हैं, और इनके आहारों में मुख्य रूप से सील शामिल हैं। लेकिन भोजन हेतु शिकार करने के लिए, सफेद भालू समुद्री बर्फ पर भरोसा करते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान से उपलब्ध समुद्री बर्फ की मात्रा कम हो रही है, जिससे उनका प्राकृतिक आवास भी सिकुड़ रहा है। ध्रुवीय भालू आम तौर पर बिना भोजन के 100 से 180 दिनों तक जीवित रहते हैं, क्योंकि गर्मियों में समुद्री बर्फ गायब हो जाती है। लेकिन आर्कटिक में तापमान के गर्म होने का मतलब है कि, समुद्री बर्फ जल्दी पिघल रही है और देरी से जम रही है, जिससे ध्रुवीय भालू भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।
हालांकि, ध्रुवीय भालुओं को पार करने के लिए फ्योर्डस की खड़ी ढलान भी काफी मुश्किल हो सकती है, जो उनके शिकार क्षेत्रों को सीमित कर सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि ये अप्रवासी भालू ग्लेशियल मेलेंज पर शिकार करने के लिए बहुत अच्छी तरह से अनुकूलित हो गए हैं! शोधकर्ताओं ने अन्य समान स्थानों की भी पहचान की है, जहां हिमनद स्थितियां उत्तरी ग्रीनलैंड और स्वालबार्ड (Greenland and Svalbard) के समान ही, ध्रुवीय भालू का समर्थन कर सकती हैं। हालांकि, अधिकांश भालुओं के लिए इन स्थानों पर जाना संभव नहीं हो सकता है। शोध से पता चला है कि ध्रुवीय भालू ने खुद को फ्योर्डस के पास शिकार करने के लिए शानदार ढंग से अनुकूलित कर लिया है, और यदि बर्फ की स्थिति और बिगड़ती है तो, शायद ध्रुवीय भालुओं की शेष आबादी भी इस प्रवृत्ति को विकसित कर सकती है। हालांकि शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि “अधिकांश भालुओं के लिए, इन स्थानों पर जाना संभव नहीं हो सकता है। " इसलिए आर्कटिक की समुद्री बर्फ का नुकसान, अभी भी सभी ध्रुवीय भालू के लिए प्राथमिक खतरा है।

संदर्भ
https://bit.ly/3Ouw4bW
https://bit.ly/3OuTj5N

चित्र संदर्भ
1. सील का शिकार किये ध्रुवीय भालू को दर्शाता एक चित्रण (Look & Learn)
2. बर्फ में छलांग लगाते ध्रुवीय भालू को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. लाल छायांकन भूरे भालू की सीमा को इंगित करता है। नीला रंग ध्रुवीय भालू की सीमा को दर्शाता है। बैंगनी छायांकन उन क्षेत्रों को इंगित करता है जहां दोनों रहते हैं। जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. स्वालबार्ड के पास भूखे भालू को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)