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हथियारों के रूप में कीड़ों का उपयोग

जौनपुर

 21-06-2022 10:02 AM
तितलियाँ व कीड़े

एंटोमोलॉजिकल वारफेयर (ईडब्ल्यू) (Entomological Warfare (EW)) एक प्रकार का जैविक युद्ध है जिसमें फसलों को नुकसान पहुंचाकर आपूर्ति लाइनों को बाधित करने के लिए कीड़ों का उपयोग किया जाता है, या दुश्मन लड़ाकों और नागरिकों को सीधे नुकसान पहुंचाया जाता है। ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिन्होंने इस पद्धति को स्थापित करने का प्रयास किया है; हालांकि, सैन्य या नागरिक लक्ष्यों के खिलाफ कीटविज्ञान युद्ध का सीमित प्रयोग किया गया है, जापान एकमात्र ऐसा देश है जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चीन जैसे किसी अन्य देशों के खिलाफ इस युद्ध का सहारा लिया था। हालांकि, घेराबंदी को दूर करने या देशों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए, प्राचीन काल में ईडब्ल्यू का अत्‍यधिक व्यापक रूप से उपयोग किया गया था। कीट विज्ञान युद्ध कोई नई अवधारणा नहीं है; इतिहासकारों और लेखकों ने कई ऐतिहासिक घटनाओं के संबंध में ईडब्ल्यू का अध्ययन किया है। आईये इन पर एक नज़र डालें:  200 ई.पू. : कार्थागिनियन जनरल महारबल (Carthaginian General Maharbal) युद्ध के दौरान जानबूझकर अपने डेरे से पीछे हट गए और वहां पर शराब के एक बड़े भंडार को छोड़ दिया, जिसमें उन्‍होंने मंगोरा एक जहरीली जड़ जो एक मादक प्रभाव पैदा करती है,को मिलाया था। दुश्मन, दागी शराब पीने के बाद गहरी नींद में सो गए तथा कार्थेजियन अपने दुश्मन को मारने के लिए लौट आए।
 190 ई.पू. : हैनिबल (Hannibal) ने राजा यूमेनस (Eumenes) के जहाजों में सांपों से भरे मिट्टी के जहाजों से हमला करके पेर्गमोन (Pergamon) के राजा यूमेनस पर नौसैनिक जीत हासिल की। शत्रुओं की जल आपूर्ति को प्रदूषित करने के लिए सेनाओं द्वारा कुओं, तालाबों, नालों और नदियों में मृत मनुष्यों और जानवरों को डंप करने के कई रिकॉर्ड मिले हैं।
 1300 के दशक में: मंगोल टार्टर्स (tartars) ने, काला सागर पर बंदरगाह शहर फियोदोसिया (Feodosia) (तब काफ़ा) की घेराबंदी करते हुए, शहर की दीवारों पर प्लेग से पीड़ित शवों को लटकाकर तीन साल की घेराबंदी को तोड़ा। 1346 तक शहर पूरी तरह से प्लेग से घिर गया था और संभवत: शहर के निवासियों ने जान बचाने के लिए इटली (Italy) में पलायन किया जिससे 1348 और 1350 के बीच यूरोप में प्‍लेग की महामारी (ब्लैक डेथ) फैली और एक बड़ी आबादी नष्‍ट हो गयी।
 1763 में जैविक हथियार का अगला रिकॉर्ड दर्ज किया गया। फ्रांसीसी और भारतीय युद्ध में भारतीयों के खिलाफ फ्रांसिसियों द्वारा संभवत: चेचक का उपयोग किया गया था।
 द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस (France) को कीटविज्ञान संबंधी युद्ध कार्यक्रम चलाने के लिए जाना जाता है। 1939 में ही फ्रांस में जैविक युद्ध विशेषज्ञों ने सुझाव दिया था कि जर्मन फसलों के खिलाफ बीटल का इस्तेमाल किया गया था।
 सोवियत संघ (Soviet Union), संयुक्त राज्य अमेरिका (United States America), जर्मनी (Germany) और कनाडा (Canada) जैसे कई राज्यों द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध और शीत युद्ध दोनों के दौरान ईडब्ल्यू में अनुसंधान किया गया था। यह भी सुझाव दिया गया है कि इसे गैर-राज्‍यों द्वारा जैव आतंकवाद के रूप में लागू किया जाए ।
1972 के जैविक और विषाक्त हथियार सम्मेलन के तहत, शत्रुतापूर्ण उद्देश्यों के लिए एजेंटों या विषाक्त पदार्थों को प्रसारित करने के लिए कीड़ों का उपयोग अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ माना जाता है।ईडब्ल्यू में सीधे हमले या प्लेग या हैजा जैसे जैविक एजेंट को वितरित करने के लिए संचालक के रूप में कीड़ों का उपयोग किया जाता है। सामान्‍यत: ईडब्ल्यू तीन किस्मों में मौजूद है:
 पहला एक रोगज़नक़ के साथ कीड़ों को संक्रमित करना और फिर लक्षित क्षेत्रों में कीड़ों को फैलाना। कीड़े तब एक संचालक के रूप में कार्य करते हैं, जब तक किसी भी व्यक्ति या जानवर को काट सकते हैं।
 एक अन्य प्रकार का ईडब्ल्यू फसलों में सीधे कीटों का हमला करवाना है; कीट किसी भी रोगज़नक़ से संक्रमित नहीं हो सकते हैं, बल्कि कृषि के लिए एक खतरे का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।
 कीटविज्ञान युद्ध की अंतिम विधि असंक्रमित कीड़ों, जैसे मधुमक्खियों, का उपयोग सीधे दुश्मन पर हमला करने के लिए किया जाता है। 2016 के बाद से, अमेरिका में उन्नत सैन्य अनुसंधान संस्थान ने एक रक्षा कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा, जिसे "कीट सहयोगी" के रूप में जाना जाता है, जो कि संभावित खाद्य आपूर्ति जोखिमों का सामना करने के लिए सहायक था। हालांकि, पेंटागन (pentagon) एक "आनुवंशिक रूप से इंजीनियर वायरस" देने के लिए कीड़ों का उपयोग करता है जो पौधों द्वारा व्यक्त जीन को बदलकर फसल की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। इस योजना को दुनिया भर के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा व्‍यापक आलोचना की गयी। कीट सहयोगी योजना को पश्चिमी विद्वानों द्वारा "जैविक हथियार" के रूप में लेबल किया गया है। कीट सहयोगी कार्यक्रम कई उदाहरणों में से एक है जिसमें अमेरिका के शोध पर विशेष रूप से जैविक प्रयोगशालाओं के उपयोग के माध्यम से दुनिया भर में गंभीर परिणाम पैदा करने का आरोप लगाया गया था। अमेरिका ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि वह यूक्रेन (Ukraine) में 26 सहित दुनिया भर के 30 देशों में 336 जैविक प्रयोगशालाएं चलाता है। हालाँकि, अनुबंधों से पता चलता है कि अमेरिका ने 49 देशों के साथ अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो कि उससे कहीं अधिक है जिसे उसने स्वीकार किया था।
पेंटागन में रोग वाहक के रूप में कीड़ों का उपयोग करने का एक लंबा इतिहास रहा है। 1981 की अमेरिकी सेना की आंशिक रूप से अवर्गीकृत रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी जैविक युद्ध वैज्ञानिकों ने कीड़ों पर कई प्रयोग किए।2014 में, जॉर्जिया (Georgia) की राजधानी त्बिलिसी (Tbilisi) के पास यूएस-निर्मित लुगर सेंटर (US-built Luger Center) एक कीट सुविधा से लैस था और "जॉर्जिया और काकेशस (Caucasus) में रेत मक्खियों के बारकोडिंग (barcoding) के बारे में जागरूकता बढ़ाना" नामक एक परियोजना शुरू की। बाद के वर्षों में केंद्र में दो अन्य कार्यक्रम भी शुरू किए गए। नतीजतन, त्बिलिसी 2015 से मक्खियों के काटने से पीड़ितों की संख्‍या बढ़ गयी, यहां पहले की अपेक्षा अविशिष्‍ट व्‍यवहार विकसित हुए, जैसे कि नई उभरी हुई मक्खियाँ साल भर घर के अंदर जीवित रहती हैं, और ठंड के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी भी होती हैं। काटने वाली मक्खियाँ रूस (Russia) के पास के दागिस्तान क्षेत्र में भी पाई गईं। इसके अलावा, घातक वायरस और बैक्टीरिया में अनुसंधान करते समय, अमेरिका अपनी जैविक प्रयोगशालाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थ था। पेंटागन ने 2015 में स्वीकार किया कि 2003 से, एंथ्रेक्स (anthrax) के जीवित नमूने गलती से साल्ट लेक सिटी, यूटा (Salt Lake City, Utah) के पास डगवे प्रोविंग ग्राउंड (Dugway Proving Ground) सैन्य अड्डे से सभी 50 राज्यों के साथ-साथ यूके (UK, United Kingdom), दक्षिण कोरिया (South Korea) और जर्मनी (Germany) सहित नौ देशों में भेजे गए थे।
1969 में, राष्ट्रपति निक्सन (Nixon) ने जैविक हथियारों के पूर्णत: विनाश का आह्वान किया। तीन साल बाद, अमेरिका ने इस हथियार सम्मेलन संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसने जैविक हथियारों के विकास, उत्पादन, भंडारण, हस्तांतरण और अधिग्रहण पर प्रतिबंध लगा दिया। 1975 में, अमेरिका ने 1925 के जिनेवा प्रोटोकॉल (Geneva Protocol) पर भी हस्ताक्षर किए, जिसने युद्ध में इन हथियारों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया। हालाँकि, संधियाँ जैविक हथियारों पर शोध पर प्रतिबंध नहीं लगाती हैं। 1975 के बाद का जैविक हथियार विकास वस्तुतः अज्ञात है। चूँकि सभी प्रमुख राष्ट्रों ने जैविक हथियार को अवैध बनाते हुए जैविक हथियार कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए थे, आज इससे संबंधित क्या गतिविधियां चल रही हैं इसकी बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।

संदर्भ:
https://bit.ly/39q6k1J
https://bit.ly/2SYfWCX
https://bit.ly/3NW3JeR

चित्र संदर्भ
1. सैनिकों और मच्छर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. रंगीन कीड़े को दर्शाता एक चित्रण (FreeSVG)
3. जैविक हथियारों को दर्शाता एक चित्रण (FreeSVG)
4. फसल में लगे कीड़े को दर्शाता चित्रण (pixabay)



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