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मियाज़ाकी आम को दुनिया के सबसे महंगे फलों में से एक में गिना जाता है
और यह बांग्लादेश (Bangladesh), इंडोनेशिया (Indonesia), फिलीपींस
(Philippines) सहित कुछ ही देशों में पाया जाता है। इनके पौधों को पुर्णत:
विकसित होने के लिए अत्यधिक धूप की आवश्यकता होती है, यह मूलत:
जापानी आम है। इसे जापान (Japan) के मियाज़ाकी में ताइयो-नो-तमागो के
नाम से भी जाना जाता है। डायनासोर के अंडे की आकृति का यह आम पकने
पर बैंगनी से लाल हो जाता है।
इसे एग्स ऑफ सन (Eggs of Sun) के नाम
से भी जाना जाता है।यह असाधारण रंग दक्षिण पूर्व एशिया (Asia) में व्यापक
रूप से उगाए जाने वाले पेलिकन आमों (pelican mangoes) के पीले रंग से
भिन्न होता है। मियाज़ाकी आमों को विशिष्ट रूप से वर्गीकृत किया जाता है
और इनके औसत आकार में लगभग 350 ग्राम वजन होता है और आम की
अन्य किस्मों की तुलना में यह लगभग 15 प्रतिशत अधिक मीठा होता है। इस
आम का वजन 900 ग्राम तक हो सकता है।अंतरराष्ट्रीय बाजार में मियाजाकी
आम की कीमत करीब 2.70 लाख रुपये प्रति किलो है।
जापान में आम की खेती 80 के दशक के मध्य में शुरू हुई। वे इरविन (Irwin)
आम से उत्पन्न हुए हैं, जो फ्लोरिडा (Florida) से जापान के गर्म जलवायु में
खेती के लिए आए थे। यह आम जापान के दक्षिण में क्यूशू (Kyushu) द्वीप
पर उगाए जाते हैं, यहां पर इन आमों के लिए आदर्श जलवायु मौजुद है।जापानी
प्रेस रिपोर्टों के अनुसार, मियाज़ाकी आम की खेती शुरू में मियाज़ाकी में 1970
और 1980 के दशक के बीच की गई थी। यहां पर हल्का मौसम, लंबे समय
तक धूप और भरपूर बारिश होती है।
मियाज़ाकी आम अतिरिक्त मीठे और स्वादिष्ट होते हैं जिस कारण इन्हें
मूल्यवान माना जाता है। इन आमों को पेड़ों पर ही पकाया जाता है जब यह
आम पूरी तरह से पक जाता है तो यह पूर्णत: मीठा हो जाता है तथा स्वत: ही
शाखा से नीचे गिर जाता है।आमों को इस तरह से पकाने का एक और फायदा
यह है कि पेड़ों पर इनको अधिकतम धूप मिलती है, जिससे उन्हें उनका
विशिष्ट रंग मिलता है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक दंपति रानी
और संकल्प परिहार ने दो मियाज़ाकी आम के पेड़ लगा रखे हैं और उनकी
सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी और कुत्ते भारी पहरा देते हैं। उन्होंने इस विशेष प्रकार
के आम की खेती करने की कोई विशेष योजना नहीं बनाई थी; यह सिर्फ संयोग
से हुआ। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संकल्प परिहार, चेन्नई में पौधे खरीदने
के लिए जा रहे थे। ट्रेन में, वह एक आदमी से मिले, जिसने उन्हें आम के ये
पौधे भेंट किए और निर्देश दिया कि वे उनकी देखभाल ऐसे करें जैसे कि वे
उनके बच्चे हों। संकल्प और रानी परिहार ने यह जाने बिना कि वे किस तरह
के आम लगा रहे हैं, आम के पौधे रोप दिए। पिछले साल जब पेड़ों ने फल
दिया, तो उन्होंने देखा कि आम काफी अलग थे। वे गहरे लाल रंग के और बड़े
थे।बाद में, इन्होंने कुछ ऑनलाइन शोध किया और पता चला कि यह जापानी
मियाज़ाकी था, जो दुनिया का सबसे महंगा आम था। संकल्प ने अपनी मां के
नाम पर इस किस्म के आम का नाम दामिनी रखा। संकल्प के दामिनी आम
या मियाज़ाकी आम दोनों उच्च कीमत वाले फल हैं।
जापानी मीडिया सूत्रों के
अनुसार, 2020 में ये विदेशी बाजार में लगभग 2.7 लाख प्रति किलोग्राम के
हिसाब से बिके। चूंकि ये आम इतने मूल्यवान हैं, इसलिए इनकी अक्सर चोरी
हो जाती है।चोरों ने कथित तौर पर उनके बगीचे से आम चोरी करने का प्रयास
किया। इस घटना के बाद अब उनकी सुरक्षा के लिए उन्होंने चार सुरक्षा
अधिकारी और 6 कुत्तों को लगाया है। उन्हें पिछले साल एक व्यापारी द्वारा
आम के लिए 21,000 रुपये प्रति किलो की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने
इसे ठुकरा दिया। वे भगवान को पहला आम अर्पित करना चाहते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3xbIhfM
https://bit.ly/3mbnx1G
https://bit.ly/3Nf14wh
चित्र संदर्भ
1. कटे हुए मियाज़ाकी आम को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. बिक्री हेतु रखे गए मियाज़ाकी आम को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. मियाज़ाकी आम के पेड़ को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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