भारत और अमेरिका में बंदूक रखने के कानूनों में कितना अंतर है?

जौनपुर

 31-05-2022 07:11 AM
हथियार व खिलौने

पूरी दुनिया में अकेली महाशक्ति होने का दावा करने वाले एक देश में, माता-पिता अपने बच्चे को इस डर से स्कूल भेजने में कतरा रहे हैं की, “कहीं कोई सनकी या दिमागी तौर पर अक्षुप्त व्यक्ति, उनके बच्चे को गोली न मार दे!” कई वर्षों से अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश में हो रही, मास शूटिंग (mass shooting) अर्थात सामूहिक क्षेत्रों में गोलीबारी की घटनाएं, उस देश के रक्षा बजट को ठिगना साबित कर रही हैं! अमेरिका में टेक्सस (Texas) के एक प्राथमिक स्कूल में हाल में हुई गोलीबारी में, 19 बच्चों और दो वयस्कों की मौत हो गई! यह इस साल अमेरिका में 27वीं स्कूल की शूटिंग थी। सैंडी हुक एलीमेंट्री स्कूल हत्याकांड (Sandy Hook Elementary School Massacre) को भी 10 साल हो चुके हैं, जिसमें 20 बच्चों की मौत हो गई थी। इसका सबसे बड़ा कारण अमेरिका में बंदूक रखने के, कम-कठोर कानूनों (less stringent laws) को माना जा रहा है, लेकिन बंदूक हिंसा की उच्च दर के बावजूद, देश के राजनेता और मतदाता, बंदूक कानूनों में किसी भी प्रकार के बदलाव का विरोध ही कर रहे हैं। प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Center) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2021 तक, रिपब्लिकन (Republican), अमेरिकी संविधान के दूसरे संशोधन का हवाला देते हुए, नए बंदूक नियमों का कट्टर विरोध करते रहे हैं। अमेरिकी संविधान का दूसरा संशोधन कहता है की, "एक अच्छी तरह से विनियमित मिलिशिया (regulated militia,), एक स्वतंत्र राज्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक होने के कारण, लोगों के हथियार रखने और धारण करने के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।" प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, यह बंदूक मालिकों की प्रमुख और परिभाषित विशेषताओं में से एक यह है, कि वे बंदूक रखने के अधिकार को, अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की भावना के साथ जोड़ते हैं। लगभग 74% बंदूक मालिकों का कहना है कि यह आवश्यक है।
बंदूक मालिकों द्वारा उद्धृत दूसरा मुख्य कारण, व्यक्तिगत सुरक्षा (personal security) है। पिछले सर्वेक्षणों में भी, अमेरिकी बंदूक मालिकों ने अक्सर कहा है कि, बंदूक रखना उनकी व्यक्तिगत पहचान का अभिन्न अंग है। हालांकि अमेरिका में बंदूक नियंत्रण का सबसे मजबूत विरोध, शक्तिशाली और प्रभावशाली राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन (National Rifle Association) करता है। एसोसिएशन के सीईओ वेन लापियर (Association CEO Wayne Lapierre) का मानना है की, बंदूक प्रतिबंध अमेरिकियों की रक्षा नहीं करेगा। यह गन-फॉर-प्रोटेक्शन (gun-for-protection) विचार के साथ जुड़ा हुआ है, जिसमें बंदूक की बिक्री में वृद्धि को उन्हें प्रतिबंधित करने के बजाय, बड़े पैमाने पर निशानेबाजों का मुकाबला करने में फायदेमंद के रूप में देखा जाता है। लेकिन यहाँ भी दिलचस्प बात यह है कि एनआरए के 77% सदस्यों के पास बंदूकें हैं।
बंदूक नियंत्रण कानूनों के आलोचकों ने, मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों को, ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के मूल कारण के रूप में माना है। 2019 में 24 घंटे से भी कम समय में टेक्सस और ओहायो (Ohio) में दो सामूहिक गोलीबारी के बाद, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Former US President Donald Trump) ने कहा था, “यह भी एक मानसिक बीमारी की समस्या है। ये वे लोग हैं जो मानसिक रूप से बहुत गंभीर रूप से बीमार हैं।"
हालांकि, कोलंबिया विश्वविद्यालय में फोरेंसिक मनोचिकित्सक डॉ माइकल स्टोन (Dr. Michael Stone, a forensic psychiatrist at Columbia University) के शोध बताते हैं कि, 65% मास शूटर (mass shooter) मानसिक रूप से बीमार नहीं होते हैं। टेक्सस स्कूल नरसंहार के मद्देनजर, भारत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का कहना है की, अमेरिकी कानून, बंदूक नियंत्रण पर बहुत उदार हैं और भारत को भी आग्नेयास्त्रों (firearms) के अधिग्रहण और कब्जे से संबंधित कानूनों की समीक्षा करने और उन्हें सख्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा की "चूंकि अभद्र भाषा और नफरत की हत्याएं पनप रही हैं, इसलिए हमें इस पागलपन को पूरी दुनिया में फैलने से रोकने के लिए सभी तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।"
भारतीय कानून भी मई-इश्यू (may-issue) के आधार पर बन्दूक रखने की अनुमति देता है। प्रति 100 लोगों पर लगभग पांच नागरिक आग्नेयास्त्रों के साथ, भारत दुनिया का 120 वां सबसे अधिक सशस्त्र देश है। 1857 में भारतीय प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से पहले, भारत में कुछ बंदूक नियंत्रण कानून बनाए गए थे। भारतीय शस्त्र अधिनियम (Indian Arms Act), 1878 ने आग्नेयास्त्रों के निर्माण, बिक्री, कब्जे और ढुलाई को नियंत्रित किया। अधिनियम में हथियार ले जाने के लिए अनिवार्य लाइसेंस शामिल था, लेकिन इसमें कुछ समूहों और व्यक्तियों उदाहरण के लिए "कोडवा (कूर्ग) जाति के सभी लोगों के लिए बहिष्करण भी शामिल था, "।
1907 में ब्रिटिश अधिकारियों ने ब्रिटिश सैन्य केंद्र फायर कारतूस (British Military Center Fire Cartridge) (जैसे, .303, .450, और .577) के अनुरूप, कैलिबर (Caliber) में राइफल रखने से नागरिकों पर प्रतिबंध लगा दिया, ताकि उन्हें ब्रिटिश सैनिकों और अधिकारियों के खिलाफ इस्तेमाल होने से रोका जा सके। 1959 में नए सख्त नियमों के साथ आर्म्स एक्ट पास किया गया। जिसे बार-बार संशोधित किया गया है।
भारतीय कानून आग्नेयास्त्र लाइसेंस को दो प्रकारों में विभाजित करता है:
१.निषिद्ध बोर (Prohibited Bore (PB) में पूरी तरह से स्वचालित, अर्ध-स्वचालित आग्नेयास्त्र शामिल हैं, और कुछ अन्य निर्दिष्ट प्रकार, केवल कुछ समूहों के लोगों के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी किए जा सकते हैं।
२.गैर-निषिद्ध बोर (Non-prohibited bore (NBP) में शेष प्रकार के आग्नेयास्त्र शामिल हैं, जो आम नागरिकों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी किए जा सकते हैं।
गैर-निषिद्ध बोर लाइसेंस कानून (Non-Prohibited Bore License Act) कहता है कि, यह लाइसेंस किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जारी किया जा सकता है, जिसके पास इसे रखने का कोई बेहद ठोस कारण हो। आमतौर पर आत्मरक्षा उद्देश्यों के लिए लाइसेंस चाहने वाले आवेदकों को, अपने जीवन के लिए खतरा साबित करने की आवश्यकता होती है। अनुच्छेद 14. "सार्वजनिक शांति या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए" हथियारों की बिक्री को प्रतिबंधित करता है। धारकों को हर तीन साल में हथियारों के लाइसेंस का नवीनीकरण कराना होगा। भारत में हथियारों के केवल 50% आवेदन ही स्वीकार किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, अप्रैल 2015 और मार्च 2016 के बीच 12.8 मिलियन निवासियों में से, मुंबई में अधिकारियों ने 342 आग्नेयास्त्र आवेदनों में से 169 को खारिज कर दिया गया था।
कुछ स्थानीय न्यायालयों में लाइसेंस देने के लिए अतिरिक्त आवश्यकताएं हो सकती हैं। उदाहरण के लिए 2019 में पंजाब के फिरोजपुर जिले के आयुक्त ने आदेश दिया कि, प्रत्येक लाइसेंस आवेदक को कम से कम 10 पेड़ लगाने चाहिए और उनके साथ तस्वीरें लेनी चाहिए। आग्नेयास्त्रों को खुले में ले जाना प्रतिबंधित है। सभी आग्नेयास्त्रों को विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए होल्स्टर्स (holsters) में ले जाना आवश्यक है। 2016 तक भारत में 3,369,444 आग्नेयास्त्र लाइसेंस सक्रिय हैं, जिनमें 9,700,000 आग्नेयास्त्र पंजीकृत हैं। स्मॉल आर्म्स सर्वे (small arms survey) के अनुसार भारत में 61,401,000 अवैध आग्नेयास्त्र हैं। भारत में प्रति वर्ष प्रति 100,000 लोगों पर लगभग 3.22 बंदूक हत्याएं होती हैं। उनमें से लगभग 90% मामलों में अवैध बंदूकों का उपयोग किया गया हैं।

संदर्भ

https://bit.ly/3GtNyCn
https://bit.ly/3GwyVyu
https://bit.ly/3lUzzvY

चित्र संदर्भ
1. बंदूक के साथ विदेशी महिला और भारतीय महिला प्रकाशी तोमर को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay, wikimedia)
2. टीवी पर मास शूटिंग की घटना को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. अमेरिका में मास शूटिंग से हुई मौतों के आंकड़ों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पुरानी बंदूक के साथ भारतीय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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