हममें से अधिकांश लोगों के पास ऐसे भोजन की स्मृति होती है जो हमें बचपन में वापस ले जाता
है।भोजन हमेशा से ही पुरानी यादों को ताजा करने का एक प्रमुख स्त्रोत रहा है। जीवन में पुरानी
यादों से जुड़े अन्य सभी कारक इसके बाद आते हैं, भोजन हमें हमेशा हमारे बचपन की ओर ले
जाता है। भारत में लंबे समय से भोजन और पुरानी यादों को दिखाया जा रहा है।
कुछ लोग तर्क देते
हैं जब सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने गए थे तो वे अपने साथ उनके लिए कुछ चावल ले गए थे,
जिससे श्री कृष्ण जी ने अपने बचपन की यादें ताजा की, जो सुदामा के लिए एक राहत भरा क्षण
था। जब बाबर भारत आया तो वह फ़रगना में स्थित अपने घर के लिए उदासीन था क्योंकि भारत
में अंगूर, कस्तूरी-खरबूजे या प्रथम श्रेणी के फल नहीं थे, बर्फ या ठंडा पानी नहीं था, बाजारों में कोई
रोटी या पका हुआ भोजन नहीं था।जब अंग्रेज पहली बार भारत आए, तो भोजन को लेकर उनकी
शिकायतों भी बाबर के समान ही थीं, लेकिन भारत में उनकी अगली पीढ़ी में बदलाव आया। जब
उनके बच्चे यहां पैदा हुए तो उनकी बचपन की यादें भारतीय भोजन से जुड़ी हुयी थीं, और जिसे वे
इंग्लैंड (England) में वहां तलाशने लगे। इन्होंने ही यूके (UK) में पहला भारतीय रेस्तरां खोला,
जैसे हैदराबाद में जन्मे एडवर्ड पामर (Edward Palmer), जिन्होंने वीरस्वामी रेस्तरां की स्थापना
की, भारतीय खाना पकाने की पहली ब्रिटिश (British) पुस्तकों में से एक लिखी, और अपने जैसे
अन्य लोगों को भारतीय खाद्य उत्पाद बेचे।
मैसाचुसेट्स (Massachusetts) विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक और मस्तिष्क विज्ञान के प्रोफेसर
सुसान व्हिटबोर्न (Susan Whitborne) बताते हैं, "खाद्य यादें अन्य यादों की तुलना में अधिक
संवेदी होती हैं, जिसमें वास्तव में सभी पांच इंद्रियां शामिल होती हैं, इसलिए जब हम उत्तेजना के
साथ पूरी तरह से जुड़े होते हैं तो इसका अधिक शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है।"हम इसमें न केवल
अपनी दृष्टि, या सिर्फ स्वाद का उपयोग कर रहे होते हैं, बल्कि सभी इंद्रियों का भी उपयोग कर रहे
होते हैं और यह एक खाद्य स्मृति को समृद्धि बनाने में सहायक सिद्ध होता है।मनोवैज्ञानिक और
न्यूरोसाइंटिस्ट हेडली बर्गस्ट्रॉम (Hadley Bergstrom)कहते हैं कि "स्वाद की यादें सहयोगी यादों में
सबसे मजबूत होती हैं जो आप बना सकते हैं," और बताते हैं कि यह एक जीवित रणनीति के कारण
है जिसे वातानुकूलित स्वाद विरोध कहा जाता है।वातानुकूलित स्वाद का विरोध मूल रूप से तब होता
है जब आपको फूड पॉइज़निंग (food poisoning) हो जाती है और परिणामस्वरूप, एक निश्चित
समय के लिए किसी व्यंजन, सामग्री या पूरे रेस्तरां के प्रति घृणा विकसित हो जाती है।
बर्गस्ट्रॉम ने कहा"वातानुकूलित स्वाद के साथ बीमारी का प्रभाव इतना गहरा होता है कि भले ही आप
खाना खाने के कुछ घंटे बाद बीमार हो जाते हैं, फिर भी आप ये बेहद मजबूत यादें बना लेंगे कि
आपने क्या खाया और आपने खाना कहाँ खाया,"।हालांकि यह हमारे बचपन से जुड़ी कोई सुखद याद
नहीं होती है, किंतु यह दर्शाती है कि भोजन से जुड़ी हमारी यादें कितनी प्रबल है।
जब भोजन की
यादों की बात आती है तो इसके साथ ही कई पुरानी यादें भी ताजा हो जाती है, जैसे आप कहां थे,
आप किसके साथ थे, क्या अवसर था, यह हमारी पुरानी यादों कोऔर अधिक प्रभावी बनाता है।
आज भारत से निर्वासित भारतीय स्वयं दो प्रकार के हो गए हैं, पहली पीढ़ी, जिनके लिए घर के
स्वाद की लालसा तेज होती है, और दूसरी पीढ़ी, जिनके लिए यह अधिक सूक्ष्म होती है, फिर भी
अभी बलवान है।अमेरिका (America) में भारतीय भोजन भलि भांति पल रहा है - भारत से जुड़े
रसोइये वास्तव में अपनी जड़ों का सम्मान कर रहे हैं / वे अपने भोजन का संपूर्ण 'अमेरिकीकरण'
(Americanization) नहीं कर रहे हैं।
साथ ही आपके लिए चिकित्सीय भोजन खाने के बारे में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। भारतीय
भोजन हमेशा लंदन में सबसे लोकप्रिय व्यंजन था।यही खाद्य स्मृतियों की प्रकृति है। वे केवल तथ्यों,
या हमारे जीवित रहने की आवश्यकता पर आधारित नहीं होती हैं, संगत, स्थिति और इसमें शामिल
भावनाओं से आकार लेती हैं। बर्गस्ट्रॉम ने निष्कर्ष निकाला, "यह भोजन की प्रबल प्रकृति में है, और
यही मस्तिष्क में स्मृति निर्माण को प्रेरित करता है।"
संदर्भ:
https://bit.ly/3yYWuht
https://bit.ly/3NnMSkq
चित्र संदर्भ
1 पांच इन्द्रियों और ड्राई फ़ूड को दर्शाता एक चित्रण (PxHere)
2. भोजन, पाक कला और पांच इन्द्रियों को दर्शाता एक चित्रण (Chef Network)
3. पारंपरिक भोजन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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