गिद्ध, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके पेट में एक अम्ल होता है, जो अत्यंत संक्षारक है। यह अम्ल उन्हें मृत जीवों के सड़े हुए मांस को पचाने में मदद करता है, अन्यथा यदि इस सड़े मांस को ऐसे ही छोड़ दिया जाए, तो यह अन्य जीवों के लिए खतरा पैदा करेगा। इन खतरों में से एक खतरा एंथ्रेक्स(Anthrax) है। एंथ्रेक्स,बैसिलस एंथ्रेसीस (Bacillus anthracis) के कारण होने वाला एक गंभीर संक्रामक रोग है। यह जीव प्राकृतिक रूप से मिट्टी में होता है, और मिट्टी से यह जानवरों में संचरित हो जाता है। यह जीव तब उन लोगों को संक्रमित करता है जो उस जानवर के संपर्क में आता या खाता है, जिसके शरीर में यह पहले से मौजूद है। गिद्ध जब एंथ्रेक्स से संक्रमित जानवर का मांस खाता है, तो उसे कोई समस्या नहीं होती। उसके पेट में मौजूद अम्ल उसे इसके लिए सक्षम बनाता है, कि वह आसानी से एंथ्रेक्स से संक्रमित जानवर को खा सके और इसका उस पर कोई बुरा प्रभाव न हो। अगर कोई जानवर रेबीज या विषाक्त पदार्थों से पीड़ित हो, तो भी उसे खाने से गिद्ध पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। गिद्ध पर्यावरण को प्रभावी रूप से साफ करता है,लेकिन एक यौगिक है जिसका वह सामना नहीं कर सकता है, और वो है, डाइक्लोफेनाक (Diclofenac)। यह एक उत्तेजक-रोधी दवा है जो मवेशियों और सूअरों को दी जाती है। अगर किसी ने गिद्धों को मारने के लिए कुछ योजना बनाई हो, तो इससे ज्यादा प्रभावी कुछ और नहीं है। यहां तक कि इसकी छोटी सी खुराक भी गिद्धों के लिए जहरीली होती है। यह उनके गुर्दे को खराब करती है, जिससे उनकी शीघ्र मृत्यु हो जाती है। 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में एशिया (Asia) में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया गया था और एशियाई गिद्धों का लगभग सफाया कर दिया गया था।