आपने अंग्रेजों के अधीन भारत में, बर्बरता और अत्याचारों की अनेक किस्से और कहानियां सुनी होंगी!
लेकिन इसी दौरान भारतीयों द्वारा प्रेम और साहस की भी कई अमर कहानियां रची गई, जिन्हे बाद में
भारतीय नाटककारों और लेखकों ने सिनेमाघरों और पुस्तकों में प्रदर्शित करके खूब लोकप्रियता अर्जित की!
लोकप्रिय नाटकों की इसी सूची में भारत के सर्वश्रेष्ठ नाटक लेखकों में से एक, प्रताप शर्मा का वास्तविक
घटना से प्रेरित रोमांचक नाटक "बेगम सुमरू - ए थ्री पार्ट प्ले" ("Begum Sumru - A Three Part
Play") भी शामिल है!
प्रताप शर्मा (12 दिसंबर 1939 - 30 नवंबर 2011), एक भारतीय नाटककार, उपन्यासकार, बच्चों की
पुस्तकों के लेखक, टिप्पणीकार, अभिनेता और वृत्तचित्र (documentaries) फिल्म निर्माता थे। उनका
जन्म डॉ बैजनाथ शर्मा और दयावती पंडित के सबसे बड़े पुत्र के रूप में लाहौर, पंजाब, (आज के पाकिस्तान)
में हुआ था। शर्मा के पिता एक सिविल इंजीनियर (civil engineer) थे, जिन्होंने सीलोन (अब श्रीलंका ),
तांगानिका और लीबिया (Libya) में, सरकारों के तकनीकी सलाहकार के रूप में कार्य किया और बाद में
सेवानिवृत्त होकर पंजाब में अपनी पैतृक संपत्ति में किसान के रूप में जीवन यापन किया।
प्रताप शर्मा का भारतीय राष्ट्रीय रंगमंच , मुंबई के साथ जुड़ाव 1961 में उनके पहले पूर्ण-लंबाई वाले नाटक
"बार्स इनविजिबल" (full-length play "Bars Invisible") के निर्माण के साथ शुरू हुआ। अपने लेखन पर
काम करते हुए, शर्मा ने लघु फिल्मों और न्यूज़रील (Short films and newsreels) के लिए एक कथाकार
के रूप में स्वतंत्र रूप से काम किया और भारत सरकार के लिए कुछ वृत्तचित्रों का निर्देशन भी किया। शर्मा ने
कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता वृत्तचित्रों और लघु फिल्मों को भी आवाज दी है। उन्हें द
प्रोफेसर वॉर क्राई (The Professor War Cry), ए टच ऑफ़ ब्राइटनेस (a touch of brightness) और
एक उपन्यास, द डेज़ ऑफ़ टर्बन (The Days of Turban) जैसे, उनके प्रसिद्ध नाटकों के लिए जाना जाता
है । हालांकि उनके अनुसार, वह एक विपुल लेखक नहीं थे, लेकिन उन्होंने जो कुछ भी लिखा है, उसमें एक
ठोस गुण था। एक थिएटर मैन (theater man) होने के नाते, उन्हें रंगमंच की बहुत अच्छी समझ थी, जो
उन्हें किसी भी चुनी हुई सामग्री का सफलतापूर्वक नाटक मंचन करने में सक्षम बनाती थी। इसलिए उनके
नाटक मूल रूप से प्रदर्शन के लिए होने के बावजूद पठनीय नाटकों (readable plays) के रूप में भी सुखद
हैं। उनके नाटकों के विषय अकादमिक से सामाजिक और ऐतिहासिक तक भिन्न होते थे।
वास्तविक व्यक्तित्व से प्रेरित उनका नवीनतम नाटक “बेगम समरू” ("Begum Samru"), उनके पहले
के सभी नाटकों से भिन्न था। इस नाटक में उन्होंने 18वीं सदी के भारत के एक ऐतिहासिक विषय को चुना
है, जिसमें उन्होंने एक बेहद बोल्ड डांसिंग लड़की “bold dancing girl” (नर्तकी), “बेगम समरू” के
असाधारण जीवन का चित्रण किया है।
बेगम समरू का असली नाम फजराना था और उनका जन्म मेरठ से 30 मील उत्तर-पश्चिम में, कुटाना में
लगभग 1750-51 के दौरान हुआ था। वह एक सैय्यिदिनी थी और उनके पिता लुफ्त अली खान एक कुलीन
व्यक्ति थे। महज छह साल की उम्र में छोटी सी बच्ची, फजराना ने अपने पिता को खो दिया, जिसके बाद
उसकी मां, उसे अपने साथ लेकर दिल्ली पहुंच गई।
दरिद्रता से बचने के और आजीविका कमाने के लिए, फजराना, नाचौनियों (Dancers) में शामिल हो गई।
इसी दौरान समरू भरतपुर में वर्ष 1765 के अंत में या उसके आसपास जनरल वाल्टर रेनहार्ड (General
Walter Reinhardt Sombre) के संपर्क में आईं, और उनकी जीवन साथी बन गई! वाल्टर रेनहार्ड्ट
सोम्ब्रे 1760 के दशक से भारत में एक साहसी और भाड़े के यूरोपीय सैनिक थे। लगभग 1767 में, जब वे 42
वर्ष के थे, तब से उन्होंने 14 वर्षीय फरज़ाना (बेगम समरू) के साथ रहना शुरू कर दिया था।
1778 में जनरल की मृत्यु के बाद, उन्हें वाल्टर रेनहार्ड की सरधना विरासत, जागीर में मिली और उन्होंने
स्थायी रूप से वहीं रहने का फैसला किया। उनके शाशनकाल के बीच की अवधि को शांति और समृद्धि के
कारण मेरठ मंडल के स्वर्ण युग के रूप में चिह्नित जाता है। बेगम ने राजस्व प्रशासन, पुलिस, जेल
प्रशासन, सैन्य नवाचारों के साथ-साथ अपनी जागीर में लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार
और ग्रामीण इलाकों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई सकारात्मक बदलाव किए।
प्रताप शर्मा ने अपने नवीनतम नाटक “बेगम समरू” में इसी क्रांतिकारी महिला का वर्णन किया है। जिसकी
कहानी ब्रिटिश, स्विस-जर्मन और फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों तथा भारत के मूल राजाओं के बीच
राजनीतिक संघर्षों से संबंधित है।
“बेगम समरू” का नाटक प्रदर्शित करने वाले, प्रताप शर्मा, जानी मानी थिएटर और मीडिया पर्सनैलिटी
(Theater and Media Personality) रहे हैं, इसलिए उन्हें मंच और उसकी तकनीक की काफी अच्छी
समझ थी। वह जानते थे कि कैसे अनुभव को नाटकीय भाषा में बदलकर अपील और जीवंतता की एक
तात्कालिकता प्राप्त की जा सकती है। उनके सभी नाटकों में संवाद, तीखे, स्मार्ट और नुकीले होते थे और
इसलिए वह मंच पर बहुत प्रभावी भी साबित होते थे।
किसी 18वीं शताब्दी के भारतीय इतिहास से एक विषय को उठाना और उसे इक्कीसवीं सदी के पाठकों के
अनुकूल बनाना, कोई आम बात नहीं है, लेकिन प्रताप ने इस संबंध में निश्चित रूप से उल्लेखनीय
उपलब्धि हासिल है।
बेगम समरू का जीवन जिम्मेदारियों के बिना आज़ादी की चाह रखने वाली, हमारी आधुनिक नारीवादियों
के लिए, एक अच्छा आदर्श प्रस्तुत करता हैं। इस नाटक की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा
सकता है कि, भारत में खचाखच भरे घरों में, एक साल से अधिक समय तक इसका प्रदर्शन किया गया,
जिसका प्रीमियर जुलाई 1997 में बॉम्बे (Mumbai) में हुआ और यह 1998 तक चला।
नाटक में दिखाया गया है कि कैसे एक बेहद सक्षम भारतीय महिला ने, एक गरीब नृत्य-लड़की (dancing
girl) के रूप में विनम्र शुरुआत करके अपने मृत पति, यूरोपीय कमांडर की विरासत में मिली ब्रिगेड को
संभाला, इसका नेतृत्व किया, इसे भारत में सबसे कुशल बनाया, कभी भी लड़ाई नहीं हारी तथा एक सम्राट
को भी बचाया।
फिल्म विशेषज्ञ मानते हैं की "बेगुन सुमरू एक उल्लेखनीय महिला को चित्रित करने वाला एक नाटक है!
बेगम सुमरू सिर्फ एक नाटक नहीं है बल्कि एक मील का पत्थर है! प्रताप शर्मा के सबसे प्रसिद्ध नाटक, ए
टच ऑफ़ ब्राइटनेस (a touch of brightness), बेगम सुमरू, सैमी और ज़ेन कथा, का विभिन्न देशों में
मंचन किया गया है। उनकी पुस्तकें भारत, इंग्लैंड, अमेरिका, फ्रांस, डेनमार्क, हॉलैंड और कनाडा में प्रकाशित
भी हुई हैं। एक अभिनेता के रूप में, उन्होंने पांच हिंदी फीचर फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई है और अपने
शानदार प्रदर्शन के लिए 1971 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता।
संदर्भ
https://bit.ly/37s5ro6
https://bit.ly/39RBVJz
https://bit.ly/3vY0xZJ
https://bit.ly/3lbStOR
चित्र संदर्भ
1 प्रताप शर्मा बेगम समरू को दर्शाता एक चित्रण (amazon, wikimedia)
2. प्रताप शर्मा की दो छवियों को दर्शाता एक चित्रण (Old Cottonians Association)
3. जनरल वाल्टर रेनहार्ड (General Walter Reinhardt Sombre) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. बेगम समरू को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.