जंगल में मोर नाचा किसने देखा जौनपुर? पक्षियों के राजा व मोर नृत्य का परिचय

जौनपुर

 06-05-2022 09:17 AM
पंछीयाँ

हमारे जौनपुर शहर में आपने अक्सर अपने आसपास मोर को घुमते हुए देखा होगा। मोर ज़्यादातर खुले वनों में विचरण करने वाले वन्यपक्षी हैं। नीला मोर भारत और श्रीलंका का राष्ट्रीय पक्षी है। मोर या मयूर (Peacock) पक्षियों के पैवोनिनाए उपकुल के अंतर्गत आता है। मानसून के आगमन के साथ ही यह सुन्‍दर पक्षी अपने पंख फैलाकर सुन्‍दर नृत्‍य करता है मानो मानसून के आगमन का स्‍वागत कर रहा हो। इस नृत्‍य के पीछे प्रमुख कारण बसन्त और बारिश के मौसम में प्रणय निवेदन करना है जिसके लिए वे अपने ख़ूबसूरत और रंग-बिरंगी फरों से बनी पूँछ को फैलाकर नृत्‍य करते हैं। मोर शर्मीला पक्षी है जो प्रणय एकांत में ही करता है। मोर की मादा मोरनी कहलाती है। जावाई मोर हरे रंग का होता है।मोर भारतीय उपमहाद्वीप में सिंधु नदी के दक्षिण और पूर्व में, जम्मू और कश्मीर, पूर्वी असम, दक्षिण मिजोरम और पूरे भारतीय प्रायद्वीप में व्यापक रूप से पाया जाता है। यह भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत पूरी तरह से संरक्षित पक्षी है।1963 में, भारतीय परंपराओं में समृद्ध धार्मिक और पौराणिक भागीदारी के कारण मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था। मोर को राष्‍ट्रीय पक्षी घोषित करने के पीछे कई कारक थे। यह पक्षी भारतीय उपम‍हाद्वीप में व्‍यापक रूप से वितरित है, जिसे आम आदमी आसानी से पहचान सकता है। इसे औपचारिक चित्रण, यानी सरकारी प्रकाशनों आदि पर अमूर्त रूप से चित्रित किया जाता है। यह कई भारतीय मिथकों और किंवदंतियों से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही यह किसी अन्‍य राष्‍ट्र के पक्षी के साथ भ्रमित नहीं किया जा सकता है।
वास्‍तव में नर मोर को मोर कहा जाता है और मादा को मोरनी कहा जाता है।नर के पास एक ख़ूबसूरत और रंग-बिरंगे फरों वाली आकर्षक पूंछ होती है जिसका प्रयोग वे मोरनी को मोहित करने के लिए करते हैं।नर मोर के पास लगभग 200 पंखों की एक विस्‍तृत श्रृंखला होती है। मोरनियों को विस्‍तृत श्रृंखला वाले मोर ज्‍यादा पसंद आते हैं, वे सबसे बड़े और सबसे आकर्षक प्रदर्शन करने वाले नरों की ओर आकर्षित होती हैं। मोर के पंख उनके शरीर का लगभग 60 % हिस्‍सा होते हैं।उनके बीच एकमात्र अंतर यह है कि मादा पक्षी के रंग नर की तुलना में थोड़े कम चमकीले होते हैं। युवा हरे मोर मादा से मिलते जुलते लगते हैं।अपनी अतुलनीय खूबसूरती के कारण इसे पक्षियों का राजा कहा जाता है। पक्षियों का राजा होने के कारण ही प्रकृति ने इसके सिर पर ताज जैसी कलंगी सजा रखी है।अनेक धार्मिक कथाओं में मोर को विशेष दर्जा दिया गया है।नर और मादा मोर की पहचान करना बहुत ही आसान है। नर के सिर पर बड़ी कलंगी तथा मादा के सिर पर छोटी कलंगी होती है।
नर मोर की छोटी-सी पूँछ पर लम्बे व सजावटी पंखों का एक गुच्छा होता है।मादा पक्षी के ये सजावटी पंख नहीं होते। वर्षा ऋतु में मोर जब पूरी मस्ती में नाचता है तो उसके कुछ पंख टूट जाते हैं। वैसे भी वर्ष में एक बार अगस्त के महीने में मोर के सभी पंख झड़ जाते हैं। ग्रीष्म-काल के आने से पहले ये पंख फिर से निकल आते हैं। मुख्यतः मोर नीले रंग में पाया जाता है, परन्तु यह सफेद, हरे, व जामुनी रंग का भी होता है।हरे मोर दक्षिण पूर्व एशिया (Southeast Asia) में चीन (China), थाईलैंड (Thailand), म्यांमार (Myanmar) और वियतनाम (Vietnam) के कुछ हिस्सों में रहते हैं। वे जावा (Java) और इंडोनेशिया (Indonesia) के मूल निवासी भी हैं और कभी-कभी उन्हें जावा मोर भी कहा जाता है।मोर के नृत्‍य से प्रेरित होकर भारत और भारत के बाहर कई एशियाई देशों में कई नृत्‍य रूप उजागर हुए हैं।
मोर नृत्य एक पारंपरिक एशियाई लोक नृत्य है जो मोर की सुंदरता और गति का वर्णन करता है। एशिया में विकसित कई मोर नृत्य परंपराएं हैं, इनमें म्यांमार, कंबोडिया के पश्चिमी और उत्तरी भागों में, इंडोनेशिया में पश्चिम जावा, श्रीलंका, बांग्लादेश और भारतीय उपमहाद्वीप में मोर नृत्य प्रचलित हैं। चीन (China): मोर दक्षिण-पश्चिमी चीनी प्रांत युन्नान (Yunnan) में चीन के 56 जातीय समूहों में से एक, दाई लोगों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहलुओं का एक अनिवार्य हिस्सा है। दाई लोगों के लोक नृत्यों के बीच सबसे प्रसिद्ध और पारंपरिक प्रदर्शन नृत्य के रूप में मोर नृत्य रुइली (Ruili), देहोंग दाई (Dehong Dai) और जिंगपो (Jingpo) स्वायत्त प्रान्त, मेंगडिंग (Mengding), मेंगडा (Mengda), जिंगगु दाई (Jinggu Dai) और यी (Yi) स्वायत्त प्रदेश, कांगयुआन वा (Cangyuan Va) स्वायत्त प्रदेश में प्रसिद्ध है। यह दाई लोगों के अन्य निवास क्षेत्र हैं।दाई नैतिक समूह के मोर नृत्य का एक बहुत लंबा इतिहास है और यह उनकी विशिष्ट नैतिक संस्कृति के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। किसी भी त्यौहार के अवसर या उत्सव जैसे वार्षिक जल महोत्सव और गेट क्लोजिंग / ओपनिंग फेस्टिवल (Gate Closing / Opening Festival) के साथ मोर नृत्य होता है, क्योंकि यह खुशी व्यक्त करने का एक अच्छा तरीका है। भारत: मयिलाट्टम, जिसे मोर नृत्य के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय राज्यों तमिलनाडु और केरल में थाई पोंगल के फसल उत्सव के दौरान लड़कियां मोर के रूप में तैयार होकर यह नृत्‍य करती हैं। इंडोनेशिया (Indonesia) इंडोनेशिया में मोर नृत्य (मेरक नृत्य या तारी मरक) की उत्पत्ति पश्चिम जावा में हुई थी। यह नृत्‍य मोर की चाल से प्रेरित महिला नर्तकियों द्वारा किया जाता है और इसका कुछ भाग सुंडानी नृत्य के शास्त्रीय गति के साथ मिश्रित है। यह 1950 के दशक के आसपास सुंडानी कलाकार और कोरियोग्राफर (choreographer) राडेन त्जेजे सोमांत्री (Raden Tjeje Soemantri) द्वारा रचित नए सृजन नृत्य में से एक है। यह नृत्य माननीय अतिथि के स्वागत के लिए एक बड़े आयोजन में किया जाता है जिसे कभी-कभी सुंडानी विवाह समारोहों में भी किया जाता है। यह नृत्य इंडोनेशिया के कई अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में किए जाने वाले नृत्यों में से एक है, जैसे कि श्रीलंका में परहारा त्योहारों में।

संदर्भ:
https://bit.ly/3sb96xW
https://bit.ly/3kHbRmi
https://bit.ly/3FhOrxf
https://bit.ly/3kD2jZt
https://bit.ly/3OXfX7F

चित्र संदर्भ
1  मोर नृत्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. पार्क में मोर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. विविध प्रकार के मोर पंखों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मोर नृत्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मयिलाट्टम, जिसे मोर नृत्य के रूप में भी जाना जाता है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. सुंडानी मोर नृत्य, पश्चिम जावा, इंडोनेशिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id