कालीन एक अत्यन्त विशिष्ट वस्तु है जिसके इतिहास के विषय में यदि बात कि जाये तो कुछ छोटे-मोटे साक्ष्यों से यह अपनी उपस्थिती करीब 8 से 9 हजार वर्ष पीछे तक ले जाती है। कई स्थानों पर इतिहासकारों को भेड़ बकरी आदि के बाल के अवशेष मिले हैं जो कि इन जानवरों से किसी प्रकार के उस्तरे से काटा गया है। यह प्रदर्शित करता है कि सर्वथा किसी ना किसी प्रकार का कालीन या वस्त्र उस काल तक बनाया जाता होगा। बुना हुआ पाइल कालीन का विकास बहुत पहले ही पश्चिमी एशिया में हो चुका था। अब तक का प्राचीनतम प्राप्त कालीन पजेरिक कालीन है जो की सन् 1949 में साइबेरिया के एक कब्र के उत्खनन में मिला था। इस प्राप्त कालीन की तिथि 5वीं शती ई.पू. तक जाती है। प्राचीनतम् प्राप्त कालीनों के प्राप्ति स्थल को यदि देखा जाये तो यह अत्यन्त ठंडे मौसम में मिली हैं, जिसका सीधा मतलब यह निकलता है कि शुरुआती दौर के कालीनों या इस तरह के कपड़ो का निर्माण कदाचित् ठंड से बचने के लिये किया जाता होगा जो बाद में विश्वभर में साज-सज्जा के वस्तु के रूप में फैल गयी। भारत मे कालीन का लिखित इतिहास 16 वी शताब्दी से शुरू होता है| अकबर ने फारसी कालीन बुनकरों को फारस से भारत बुलवाकर एक राजसी कार्यशाला का निर्माण अपने महल मे करवाया| अकबर ने बुनकरों को यह आदेश दिया कि वह कालीन का निर्माण ठीक फारस के फारसी कालीनों की तरह करें| अकबर के अलावा उसके बाद आनेवालें राजा जहाँगीर व शाहजहाँ ने कालीनों की कला को पराकाष्ठा तक पहुँचाया| भारत के अनेक प्रदेशो में विभिन्न प्रकार कि कालीनों का निर्माण होता है, जिनमे भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर आदि अपनी कालीनों के लिए प्रसिद्ध है| सन 1867 ई मे मिर्जापुर कालीन प्रशंसित हुई व उसने इनाम भी जीता था| यहाँ की कालीन मुख्य रूप से निर्यातित होती है| वर्तनाम में जौनपुर का कालीन उद्योग करीब 3500 लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है, तथा कालीन ही जौनपुर का मुख्य निर्यातित सामान है| 1. https://wonderopolis.org/wonder/who-invented-carpet 2. आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स ऑफ़ इंडिया: इले कूपर, जॉन गिल्लो 3. हेंडीक्राफ्ट ऑफ़ इंडिया: कमलादेवी चट्टोपाध्याय 4. http://www.indiancarpets.com/carpet-history.html 5. http://www.carpet-rug.org/history-of-carpet.html 6. http://www.carpetandrugpedia.com/Carpet-History.htm
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