शाही पुल पर कबूतरों को दाना खिलाना है आम नज़ारा, कैसे है यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक?

पक्षी
01-04-2022 10:34 AM
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शाही पुल पर कबूतरों को दाना खिलाना है आम नज़ारा, कैसे है यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक?

पक्षी मानव मन को हमेशा से आकर्षित करते रहे हैं, उनकी तरह विचरण करने की कल्पना मात्र ही हमारे मन मस्तिष्क को रोमांचित कर देती है। हमारी संस्कृति में भी पक्षियों को विशेष महत्व दिया गया है तथा इनके संरक्षण और संतुलन के लिए भी कई कदम उठाए जाते हैं। लेकिन आज के समय में हम मात्र क्षणिक आकर्षण हेतु प्रकृति के संतुलन से छेड़छाड़ कर रहे हैं। जैसे शहरों में पक्षियों को दाना खिलाना धीरे-धीरे काफी सामान्य हो गया है,जिससे कई शहरों में कबूतरों की आबादी में भीकाफी वृद्धि हो गई है। उदाहरण के लिए जौनपुर के शाही पुल जैसे क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में लोग पक्षियों को दाना खिलाते हैं, जिसे इस यूट्यूब की वीडियो पर में देखा जा सकता है। परंतु पक्षीनिरक्षक, विशेषज्ञ और पशु चिकित्सक पक्षियों को सार्वजनिकस्थानों मेंदाना देने पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कबूतर श्वास संबंधी बीमारियों के उच्च जोखिम को बढ़ा सकते हैं, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों में।साथ ही यह उन स्थानों में पक्षियों के मल से भी काफी गंदगी उत्पन्न होती है और यह स्वस्थ्य के लिए भी काफी हानिकारक है।
कबूतर के मल और पंख मनुष्यों के लिए अस्वस्थ हैं और अन्य पक्षी प्रजातियों में भी विषाणु के संक्रमण को फैला सकते हैं। हमारे द्वारा कबूतरों को दाना डालने से कबूतर भोजन हेतु संपूर्ण रूप से हम पर आश्रित हो जाते हैं, जिससे वे अपनी भोजन खोजने की प्रकृतिक क्षमता को ही खो देते हैं। यह खाद्य श्रृंखला की गतिशीलता को काफी हद तक बदलकर रख देता है।
स्थान, आवास, चारा, पानी, संरक्षण और जलवायु प्रकृति में किसी भी प्रजाति की आबादी का निर्धारण करते हैं। लेकिन, अगर हम किसी जानवर या पक्षी को खिलाना शुरू करते हैं, तो वे पर्यावरणीय कारकों के बावजूद भोजन के लिए आश्वस्त हो जाएंगे, और क्षेत्र की प्राकृतिक वहन क्षमता से अधिक तेजी से वृद्धि करने लगते हैं।इसका उदाहरण हम हैदराबाद में भी देख सकते हैं, शहर में कबूतरों की बढ़ती आबादी और उसके विकृत परिणामों को देखते हुए पक्षी विशेषज्ञ और पशु चिकित्सक ने पक्षियों के सार्वजनिक भोजन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
हैदराबाद नगर निगम ने जनता से अपील की है कि वे कबूतरों को दाना न खिलाएं, खासकर बाजारों और खाद्य सामग्री बेचने वाली दुकानों के आसपास। हैदराबाद नगर निगम के पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने मोजामज़ही बाजार में कबूतरों को खिलाने के लिए बेचा जा रहा कुछ मात्रा में चारा और अनाज को जब्त किया। साथ ही हैदराबाद नगर निगम ने मोजामज़ही बाजार में कुछ विरासत भवनों का सौंदर्यीकरण कार्यक्रम शुरू किया गया है जो पक्षियों के मल से खराब हो गए थे।इस योजना के हिस्से के रूप में, लगभग 500 ब्लैकजैक (Blackjack) कबूतरों को जाल का उपयोग करते हुए पकड़ा गया और श्रीशैलम के जंगलों में स्थानांतरित कर दिया गया। साथ ही इनकी बढ़ती आबादी अन्य पक्षी प्रजातियों के घोंसले के स्थानों में भी कब्जा कर रही है। लोगों द्वारा दाना देने कि वजह से कबूतरों ने भोजन के प्राकृतिक स्रोतों को खोजना बंद कर दिया है और लोगों द्वारा खिलाए जाने वाले भोजन पर निर्भर हो चुके हैं।
तेलंगाना वन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि पक्षियों की मदद के नाम पर लोग कबूतरों को खाना खिला रहे हैं और अनजाने में पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं।पिछले वर्ष दिल्ली में बर्ड फ्लू के मामलों की पुष्टि के बाद लोगों से कबूतरों को दाना देने के लिए माना किया गया, लेकिन इसके बाद भी लोग कबूतरों को दाना देकर अपने और अपने आस पास के लोगों का जीवन खतरे में डाल रहे हैं।
वहीं नगर निगम के वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लोगों को चेतावनी भी दी गई कि राजधानी में बर्ड फ्लू के कई मामले हैं, इसलिए लोगों को कबूतरों के झुंड और इन जगहों से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए। कबूतर पहले से ही सांस संबंधी और त्वचा संबंधी विकारों में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में एवियन फ्लू के बढ़ते संक्रमण के चलते लोगों को इन पक्षियों या उनके मलमूत्र के करीब आने से बचना चाहिए।इसके साथ नई दिल्ली नगर परिषद ने बड़े चौराहों पर से उन ठेले वालों को हटाया जो पक्षियों के लिए खाना बेचते हैं और साथ ही सरकार द्वारा इस गतिविधि पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा रहा है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3iT77Jo
https://bit.ly/3wNS6kt
https://bit.ly/3NF4iKq
https://bit.ly/3qLhnrF

चित्र संदर्भ
1. जौनपुर के शाही पुल को दर्शाता एक चित्रण (Prarang)
2. दाना चुगते कबूतरों को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)