Post Viewership from Post Date to 05-Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
970 111 1081

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

कपास के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में, आत्मनिर्भर है भारत, और एक निर्यातक भी

जौनपुर

 28-03-2022 11:13 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

एक आदर्श परिधान (वस्त्र) की यह विशेषता होती है की, इन्हे पहनकर न केवल आप सुन्दर लगते हैं, बल्कि यह आपके शरीर के लिए भी आरामदेय होता है। यद्यपि दुनियाभर में गुजरते समय के साथ नए-नए प्रकार के कपड़ों (fabric) का अविष्कार होता रहता है, लेकिन जिस प्रकार सदा से ही फलों का राजा आम, और पक्षियों का राजा मोर ही रहा है, उसी प्रकार सबसे आदर्श कपड़े कपास (cotton) को कपड़ों का राजा कहना कदापि अतिशियोक्ति नहीं होगी। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी की विश्व के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में भारत कपास उत्पादन में भी शीर्ष स्थान पर है! कपास को विश्व की प्रमुख कृषि फसलों में से एक माना जाता है। यह एक सफेद, फ्लफी स्टेपल फाइबर (white, fluffy staple fiber) होता है, जो लगभग पूरी तरह (लगभग 87-90%) सेल्यूलोज (cellulose) से निर्मित होता है।
फाइबर और कपडे के लिए कपास, 6,000 से अधिक वर्षों से उगाया जाता रहा है। चूँकि कपास की फसल भरपूर मात्रा में और आर्थिक रूप से अधिक उत्पादित होती है, इसलिए कपास उत्पाद अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं। कपास बहुत बहुमुखी फाइबर होता है, क्योंकि इसके रेशों का उपयोग कपड़े, चादरें और तौलिये के साथ- साथ कागज, खाना पकाने के तेल, रस्सी, अमेरिकी मुद्रा और जैव ईंधन बनाने के लिए भी किया जा सकता है। कपास की खेती दुनिया की कृषि योग्य भूमि का लगभग 2.5% हिस्सा अधिग्रहित करती है। कपास के रेशों को आमतौर पर उनकी मुख्य लंबाई के आधार पर तीन समूहों छोटा, लंबा और अतिरिक्त लंबे में वर्गीकृत किया जाता है।
डेनिम जींस, फलालैन (denim jeans, flannel) और अन्य कपड़े बनाने के लिए छोटे स्टेपल सूती रेशों (short staple cotton fibers) का उपयोग किया जाता है। लंबे स्टेपल फाइबर में नरम, रेशमी अनुभव होता है जिसका प्रयोग आमतौर पर चादरों और तौलिये के निर्माण लिए किया जाता है। रेयान और पॉलिएस्टर (rayon and polyester) जैसे कपड़ों के विपरीत, कपास प्राकृतिक फाइबर होता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह होती है की कपास को उगाने के लिए अधिक भूमि या पानी की आवश्यकता नहीं होती है। 1980 के बाद से, किसान आज उतनी ही भूमि पर कपास की मात्रा का लगभग दोगुना उगाने में सक्षम पाए हैं। उष्णकटिबंधीय जलवायु (tropical climates) में कपास की फसलें बहुत बड़ी और पेड़ की भांति तथा समशीतोष्ण जलवायु (temperate climates) में बहुत छोटी और झाड़ी के समान होती हैं। जलवायु परिस्थितियों के आधार पर कपास की उपज और फाइबर भी काफी भिन्न होते हैं। उच्चतम गुणवत्ता वाला कपास वर्षा या सिंचाई और शुष्क, गर्म तुड़ाई के मौसम से उच्च नमी के स्तर वाले क्षेत्रों में भी पाया जा सकता है।
विश्व में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक के तौर पर भारत, प्रति वर्ष लगभग 6,188,000 टन कपास का उत्पादन करता है। भारत की जलवायु कपास उत्पादन के लिए विशेष रूप से देश के उत्तरी भाग में बहुत अनुकूल मानी गई है। इसके बाद चीन प्रति वर्ष लगभग 6,178,318 टन कपास का उत्पादन करता है। चीन में लगभग 7,500 कपड़ा कंपनियां हैं, जो सालाना अरबों डॉलर के सूती कपड़े का उत्पादन करती हैं। तीसरे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका, प्रति वर्ष लगभग 3,593,000 टन कपास का उत्पादन करता है।
विश्व के दस सबसे बड़े कपास उत्पादक निम्नवत दिए गए हैं:
1. भा - 6,188,000 टन
2. चीन - 6,178,318 टन
3. संयुक्त राज्य अमेरिका - 3,593,000 टन
4. पाकिस्तान - 2,374,481 टन
5. ब्राजील - 1,412,227 टन
6. उज़्बेकिस्तान - 1,106,700 टन
7. ऑस्ट्रेलिया - 885,100 टन
8. तुर्की - 846,000 टन
9. अर्जेंटीना - 327,000 टन
10. ग्रीस - 308,000 टन
जानकारों के अनुसार आने वाले दशक में यानी 2030 तक, भारत (25 फीसदी), चीन (22 फीसदी), यूएसए (15 फीसदी) और ब्राजील (10 फीसदी) वैश्विक कपास उत्पादन पर हावी रहेंगे। कृषि आउटलुक पर नवीनतम ओईसीडी-एफएओ रिपोर्ट (OECD-FAO report on Agriculture Outlook forecast 2021- 2030) के पूर्वानुमान के अनुसार 28.4 मिलियन टन (एमटी) के साथ पांच एशियाई देश - चीन, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और वियतनाम कुल मिल खपत (28.3 मिलियन टन) का 75 प्रतिशत हिस्सा होंगे। साथ ही इस दशक के अंत तक विश्व कपास निर्यात एक चौथाई तक बढ़कर 11 मिलियन टन से अधिक होने की उम्मीद है, बांग्लादेश, वियतनाम, चीन, तुर्की और इंडोनेशिया इस फाइबर के प्रमुख आयातक बने रहेंगे। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक बना रहेगा, क्योंकि उत्पादन में वृद्धि ज्यादातर अपेक्षाकृत अधिक पैदावार पर निर्भर करती है, जबकि क्षेत्र का विस्तार हाल के रुझानों के अनुरूप सीमित होने की उम्मीद है। जानकार मान रहे हैं की 2030 तक, भारत का कपास उत्पादन वर्तमान के उत्पादन 6 मिलियन टन से 7.2 मिलियन टन (प्रत्येक 170 किलोग्राम के लगभग 43 मिलियन गांठ) तक बढ़ने का अनुमान है, जो लगभग 36 मिलियन गांठ के बराबर है। आउटलुक अवधि के दौरान भारत के कपास उत्पादन में वैश्विक वृद्धि में 40 प्रतिशत तक का योगदान देने की उम्मीद है। भारत को वैश्विक कपड़ा वस्तुओं के प्रमुख उत्पादकों में से एक माना जाता है। यहां के कपड़ा उद्योग में कपास, जूट, ऊन, रेशम और सिंथेटिक फाइबर (synthetic fiber) वस्त्र शामिल हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कपड़ा उद्योग मुख्य रूप से कपास पर आधारित है। भारत सूती धागे के सबसे बड़ेउत्पादकों और निर्यातकों में से एक है। भारत में गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब राज्य भारत के प्रमुख कपास उत्पादक हैं। इसकी लोकप्रियता को देखते हुए पिछले चार दशकों के दौरान इस उद्योग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
कपास में उत्पादन के अनुरूप भारत की पृष्ठभूमि भी इसके अनुकूल रही है, जैसे: 1500 ईसा पूर्व से 1500 ईस्वी तक कपड़ा वस्तुओं के उत्पादन में भारत का एकाधिकार (monopoly) था। पूरे विश्व में भारतीय सूती और रेशमी वस्त्रों की अत्यधिक मांग थी। ब्रिटिश काल से पहले, भारतीय हाथ से बुने हुए कपड़े का पहले से ही व्यापक बाजार था। ढाका के मलमल, मसूलीपट्टनम के चिन्ट्ज़, कालीकट के कैलिकोस और बुरहानपुर, सूरत और वडोदरा के सोने से बने कपास को उनकी गुणवत्ता और डिजाइन के लिए दुनिया भर में जाना जाता था।
चूंकि हाथ से बुने हुए सूती कपड़े का उत्पादन महंगा और अधिक समय ले रहा था। इसलिए, पारंपरिक सूती कपड़ा उद्योग पश्चिम की नई कपड़ा मिलों से प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं कर सका, जो मशीनीकृत औद्योगिक इकाइयों के माध्यम से सस्ते और अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़े का उत्पादन करती थीं। इस प्रकार कम श्रम लागत, सरकारी सब्सिडी, सिंचाई, बंदरगाहों से निकटता जैसे कई कारकों के कारण पूरे विश्व में सूती वस्त्र उद्योग का प्रसार हुआ। 1818 में अंग्रेज़ों द्वारा कलकत्ता से 15 मील दक्षिण में स्थित फोर्ट ग्लोस्टर (Fort Gloster) में भारत की पहली सूती कपड़ा मिल की स्थापना की गई। हालांकि, यह मिल विफल रही। लेकिन केजीएन डाबर (KGN Dabur) ने 1854 में बॉम्बे स्पिनिंग एंड वीविंग कंपनी (Spinning And Weaving Company) की स्थापना की जो भारत के आधुनिक सूती कपड़ा उद्योग की असली नींव साबित हुई। समय के साथ, मुंबई और अहमदाबाद भारत में सूती वस्त्रों के दो प्रतिद्वंद्वी केंद्रों के रूप में उभरे। 1998 में गठित कपड़ा नीति संबंधी विशेषज्ञ समिति ने अगस्त 1999 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। टेक्सटाइल पॉलिसी (Textile Policy 2000) में उल्लिखित महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक 2010 तक टेक्सटाइल और परिधान निर्यात को 11 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 50 बिलियन डॉलर करना था, जिसमें कपड़ों की हिस्सेदारी 25 बिलियन डॉलर थी। हमारे कपास निर्यात के मुख्य गंतव्य संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, पूर्वी यूरोपीय देश, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका और कुछ अफ्रीकी देश हैं।
कई वर्षों से चीन और भारत कपास की खपत के मुख्य बाजार रहे हैं। भारत में, कपड़ा क्षेत्र का वर्चस्व मौजूद है, क्योंकि यह देश के अधिकांश कपास की खपत करता है। इस तरह, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और भारत कपास के बड़े निर्यातक हैं। और इसके मुख्य आयातक चीन, बांग्लादेश और वियतनाम हैं। विश्व के प्रमुख कपास आयातक देश:
1. चीन
2. बांग्लादेश
3. वियतनाम
4. तुर्की
5. पाकिस्तान
6. इंडोनेशिया
7. भारत
8. अन्य


संदर्भ
https://bit.ly/3JIdFq1
https://bit.ly/3JIWkNT
https://bit.ly/3DdAShn
https://bit.ly/35cBQ0Q

चित्र संदर्भ
1. कपास के किसानों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. भारतीय बुनकरों को दर्शाता एक चित्रण (Look and Learn)
3. कपास के खेत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. दुनिया भर में कपास उत्पादन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के खेतों की सिंचाई में, नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका
    नदियाँ

     18-12-2024 09:21 AM


  • विभिन्न प्रकार के पक्षी प्रजातियों का घर है हमारा शहर जौनपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:23 AM


  • जानें, ए क्यू आई में सुधार लाने के लिए कुछ इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स से संबंधित समाधानों को
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:29 AM


  • आइए, उत्सव, भावना और परंपरा के महत्व को समझाते कुछ हिंदी क्रिसमस गीतों के चलचित्र देखें
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:21 AM


  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर ऊर्जा बचाएं, पुरस्कार पाएं
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id