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शिवरात्रि के पावन अवसर पर देशभर के शिवभक्तों में हर्षोल्लास देखते ही बनता है। देश का प्रत्येक शिव
मंदिर चमचमाती रौशनी और शिव भजनों से गूंज उठता हैं। प्रतिवर्ष शिवरात्रि के शुभ अवसर पर हमारे
जौनपुर के त्रिलोचन महादेव मंदिर में भी भारी संख्या में शिव भक्त इकट्ठा होते हैं। यहां के पुजारियों और
साधू-महंतों के अनुसार जौनपुर के इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है।
माना जाता है की एक ऐसा समय था जब भारतीय संस्कृति में एक वर्ष के भीतर ही
365 त्यौहार मनाए जाते थे। यह त्योहार विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं जैसे किसी व्यक्ति अथवा
साम्राज्य पर विजय, या जीवन में कुछ स्थितियों जैसे बुवाई, रोपण और कटाई का जश्न आदि के संदर्भ में
मनाए जाते थे। हालांकि इन त्योहारों की संख्या निरंतर सिंकुड़ती जा रही है, लेकिन भारत के आध्यात्मिक
कैलेंडर में महाशिवरात्रि को मानव इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। प्रत्येक चंद्र मास के
चौदहवें दिन या अमावस्या से एक दिन पहले के दिवस को शिवरात्रि के रूप में जाना जाता है।
प्रायः शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, लेकिन महाशिवरात्रि का पर्व
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ता है। इस प्रकार से साल भर में 12 शिवरात्रि के पर्व पड़ते है,
लेकिन महाशिव रात्रि साल में 1 बार ही आती है।
महाशिवरात्रि आध्यात्मिक रूप से अति महत्वपूर्ण होती है। इस रात, ग्रह (पृथ्वी) का उत्तरी गोलार्ध इस तरह
से स्थित होता है कि मनुष्य में ऊर्जा का प्राकृतिक उभार उत्पन्न होता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब
प्रकृति व्यक्ति को अपने आध्यात्मिक शिखर की ओर धकेल रही होती है।
आध्यात्मिक पथ पर चलने वालों के लिए महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। यह उन लोगों के लिए भी
बहुत महत्वपूर्ण है जो पारिवारिक परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं। पारिवारिक परिस्थितियों में
रहने वाले लोग महाशिवरात्रि को शिव के विवाह की सालगिरह के रूप में मनाते हैं। लेकिन, तपस्वियों के
लिए, यह ऐसा दिन होता है, जब शिव कैलाश पर्वत के साथ एक हो गए थे। अर्थात वह पहाड़ के समान
बिल्कुल स्थिर हो गए थे।
योगिक परंपरा में, शिव की पूजा भगवान के रूप में नहीं की जाती है, बल्कि उन्हें आदि गुरु के रूप में माना
जाता है, जिनसे योग विज्ञान की उत्पत्ति हुई थी। योगिक परंपरा के अनुसार कई सहस्राब्दियों तक ध्यान में
रहने के बाद, जिस दिन शिव बिल्कुल स्थिर हो गए , वह दिन महाशिवरात्रि है। इस दिन उनकी सारी गति
रुक गई और वह बिलकुल शांत हो गए। इसलिए तपस्वी महाशिवरात्रि को शांति की रात के रूप में देखते
हैं।
सनातन परंपरा में माना जाता है कि शिव हर जीवित प्राणी को जीवित करने वाली ऊर्जा है। हम शिव की
वजह से ही सांस लेने, खाने, चलने और अपनी दैनिक गतिविधियों को करने में सक्षम हैं। यह ऊर्जा न केवल
जीवित प्राणियों को चलाती है, बल्कि यह निर्जीव चीजों में भी निवास करती है। इस प्रकार, शिव जीवन के
अस्तित्व को संचालित करते हैं।
शिवरात्रि से संबंधित एक और किवदंती के अनुसार जब देवताओं और राक्षसों ने समुद्र की गहराई में अमृत
प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तो जहर का एक बर्तन निकला। भगवान शिव ने देवताओं और
मानव जाति दोनों को बचाने हेतु स्वयं इस विष का सेवन किया। भगवान के कंठ (गले) में जहर एकत्र गया,
जिससे वह नीला हो गया। अतः दुनिया के उद्धारकर्ता का सम्मान करने के लिए, शिवरात्रि मनाई जाती है।
एक और किंवदंती यह है कि भागीरथ की तपस्या के पश्चात् जैसे ही देवी गंगा पूरी ताकत से स्वर्ग से
अवतरित हुईं, तब भगवान शिव ने उन्हें अपने उलझी हुई जटाओं में पकड़ लिया, और उन्हें कई धाराओं के
रूप में पृथ्वी पर छोड़ दिया। इस प्रकार उन्होंने पृथ्वी पर होने वाले विनाश को रोक लिया। अतः श्रद्धांजलि
के रूप में, इस शुभ रात में शिवलिंग को स्नान कराया जाता है।
अधिकांश लोग महाशिवरात्रि का दिन प्रार्थना, ध्यान और उत्सव में बिताते हैं। महाशिवरात्रि की रात को
नक्षत्रों की स्थिति, ध्यान के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है। इसलिए, लोगों को जागते रहने और शिवरात्रि
का ध्यान करने की सलाह दी जाती है। प्राचीन काल में लोग कहते थे, 'यदि आप हर दिन ध्यान नहीं कर
सकते हैं, तो साल में कम से कम एक शिवरात्रि के दिन ऐसा करें; जागते रहें और ध्यान करें'।
महाशिवरात्रि के दिन को 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप करने के लिए उत्तम मंत्र माना गया है, क्योंकि यह
आपकी ऊर्जा को तुरंत बढ़ाता है। मंत्र में 'ओम', ब्रह्मांड की ध्वनि को संदर्भित करता है। इसका अर्थ है शांति
और प्रेम। नमः शिवाय में पांच अक्षर, 'ना', 'मा', 'शि', 'वा', 'य' पांच तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और
आकाश को इंगित करते हैं। 'ओम' नमः शिवाय' का जाप करने से ब्रह्मांड के पांच तत्वों में सामंजस्य
स्थापित होता है। जब पांचों तत्वों में शांति, प्रेम और सद्भाव होता है, तब परमानंद की अनुभूति होती है।
महाशिवरात्रि के दिन जौनपुर के त्रिलोचन शिव मंदिर में शिवभक्तों की भारी भीड़ रहती है। और कई अन्य
शिव मंदिरों में जागरण का भी आयोजन किया जाता है। दरअसल जागरण या जागराता या जाग एक हिंदू
अनुष्ठान है, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में बेहद प्रचलित है, जिसमें एक देवता और पूजा के सम्मान में
पूरी रात जागरण, गीत और नृत्य आयोजित किये जाते हैं। अक्सर, जागरण विभिन्न हिंदू देवी, शिव के
साथ-साथ खंडोबा और देवनारायण जैसे विभिन्न लोक देवताओं के सम्मान में किया जाता है। भक्त रात
भर भजन गाकर, आरती करके और देवता की किंवदंतियों को सुनकर शिव आदि देवताओं की पूजा करते
हैं। महाशिवरात्रि भगवान शिव के प्रति आभार प्रकट करने और जश्न मनाने का दिन है। इस अवसर पर
आप भी जीवन का सम्मान करें, और अपने अस्तित्व का जश्न मनाएं।
संदर्भ
https://bit.ly/3tf2eix
https://bit.ly/3IyV3bK
https://bit.ly/3vlQCNo
https://bit.ly/3tcnGVA
https://en.wikipedia.org/wiki/Jagran
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर के त्रिलोचन महादेव मंदिर का एक चित्रण (youtube)
2. ध्यान (ध्यान) में योगी की कांस्य प्रतिमा को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. ध्यानमग्र शिव को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. मानव शरीर के सात चक्रों को दर्शाता चित्रण (istock)
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