ट्यूलिप की खेती संभवत:10वीं शताब्दीसेईरान (Iran) (फारस) में शुरू हुई। इसकी किस्म जंगल से एकत्रित किए गए पौधों के बगीचों में संकरण से उभरी, ये पौधे उस दौरान संभवतः अपने आकार या विस्तार की क्षमता के कारण लोगों को पसंद थे।प्राचीन काल में किसी भी लेखक ने अपने कार्यों में ट्यूलिप का उल्लेख नहीं किया है, इसलिए ऐसा लगता है कि ट्यूलिप अनातोलिया (Anatolia) में सेल्जुक (Seljuks) साम्राज्य की उन्नति के समय पेश किया गया था।तुर्क साम्राज्य में, कई प्रकार के ट्यूलिप की खेती और प्रजनन किया जाता था, और आज भी तुर्की में इनकी 14 प्रजातियां पाई जाती हैं। ट्यूलिप के फूल इंद्रधनुष के रंगों वाले एवं असंख्य आकार में होते हैं।वे चारों ओर होने वाले खूबसूरत फूलों में से एक हैं। उन्हें रोपने के लिए, पतझड़ सही मौसम होता है। इसका कारण यह है कि इस दौरान जमीन ठंडी और सख्त हो जाती है। वसंत के मौसम में जब मौसम गर्म हो जाता है तो इन्हें बढ़ते और खिलते हुए देखा जासकता है।