जौनपुर की भाषाई विविधता और भाषिक विभिन्नता का आर्थिक विकास से सम्बंध

ध्वनि II - भाषाएँ
23-02-2022 11:01 AM
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जौनपुर की भाषाई विविधता और भाषिक विभिन्नता का आर्थिक विकास से सम्बंध

21 फरवरी के दिन पूरे विश्व में मातृभाषा दिवस मनाया गया, ताकि दुनिया भर में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद को बढ़ावा दिया जा सके।जौनपुरमेंयदि भाषाई विविधता की बात करें, तो 2011 की जनगणना के अनुसार जौनपुर के लोग 9 भाषाएं बोलते हैं। जौनपुर की कुल जनसंख्या का 90.97% हिस्सा हिंदी बोलता है, 8.81% हिस्सा उर्दू बोलता है और 0.1% हिस्सा बंगाली बोलता है। ये शहर के तीन सबसे बड़े भाषाई समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह हिस्सा उत्तर प्रदेश राज्य में बोली जाने वाली शीर्ष भाषाओं हिंदी (94%), उर्दू (5.42%), पंजाबी (0.25%) और बंगाली (0.12%) के हिस्से से ज्यादा अलग नहीं है।शहरीकरण का सामाजिक और आर्थिक विकास पर क्षेत्र की समृद्धि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है,लेकिन भविष्य के लिए शहरी विकास के पैटर्न की भविष्यवाणी करना मुश्किल है। हालांकि, एक नए शोध से पता चलता है कि जातीय-भाषाई विविधता का स्तर इस बात का अंदाजा लगाने में मदद कर सकता है, कि किसी क्षेत्र में शहरीकरण के कैसे विकसित होने की संभावना है। पिछले 50 वर्षों में शहरीकरण तेजी से बढ़ा है। यह एक प्रवृत्ति है जो लघु से मध्यम अवधि में और विशेष रूप से एशिया (Asia) और उप-सहारा अफ्रीका (Sub-Saharan Africa) के विकासशील देशों में हो रही है तथा होती रहेगी। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी शहरी क्षेत्रों में रहेगी।जातीय-भाषाई विविधता (बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं द्वारा प्रदर्शित)और किसी प्रांत में शहरीकरण किस तरह से विकसित होता है, के बीच एक मजबूत संबंध मौजूद है। किसी क्षेत्र में जातीय-भाषाई विविधता जितनी अधिक होगी, वहां शहरीकरण के होने की कम सम्भावना होगी। अर्थात लोग ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक रहेंगे तथा प्रभावशाली शहर कम होंगे। शोध के अनुसार अधिक जातीय-भाषाई विविधता वाले क्षेत्रों में संघर्ष और हिंसा के मामले अधिक सामने आते हैं, जो सामाजिक तनाव को जन्म देता है।सामाजिक तनाव बढ़ने के कारण लोग जातीय-भाषाई रूप से विविध शहरी क्षेत्रों में रहना पसंद नहीं करते हैं। इसका एक अच्छा उदाहरण भारतीय राज्य नागालैंड है।
यह भारत और दुनिया में सबसे अधिक जातीय-भाषाई विविध क्षेत्रों में से एक है, जो 1975 से 2015 की अवधि के दौरान संघर्ष वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक था। यहां उच्च स्तर की जातीय-भाषाई विविधता अधिक संघर्ष और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों से जुड़ी है, जिसकी वजह से लोग एक मुख्य शहर में एकत्रित होने के बजाय कई अलग- अलग क्षेत्रों या शहरों में निवास करते हैं।जातीय-भाषाई विविधता और शहरीकरण के बीच का सम्बंध महत्वपूर्ण है, क्यों कि यह हितधारकों की एक श्रृंखला के लिए महत्वपूर्ण है। यह शहरी योजनाकारों से लेकर व्यावसायिक रणनीतिकारों और नीति निर्माताओं तक, के लिए विशेष महत्व रखता है।यह जातीय-भाषाई विविधता से संबंधित नीतिगत दृष्टिकोणों के संदर्भ में भी प्रासंगिक हैं,उदाहरण के लिए,बहुसंस्कृतिवाद बनाम एकीकरण के गुणों के बारे में तर्क- वितर्क के लिए यह सम्बंध मायने रखता है।
आज दुनिया में भाषाई विविधता बढ़ते सामाजिक महत्व का मुद्दा है,क्योंकि अधिकांश जीवित भाषाओं का अस्तित्व खतरे में है।किसी भाषा की जीवन शक्ति में परिवर्तन व्यक्तियों और समाजों के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है।बहुभाषावाद वर्तमान समाज में एक सामान्य और बढ़ती हुई घटना है जिसका विभिन्न दृष्टिकोणों से अध्ययन किया जा सकता है।एक से अधिक भाषा बोलने से किसी क्षेत्र या देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।शोधकर्ताओं के अनुसार जो देश सक्रिय रूप से विभिन्न भाषाओं का पोषण करते हैं, उन्हें अधिक सफल निर्यात से लेकर अधिक नवीन कार्यबल तक, कई प्रकार के फायदें होते हैं, जो उनकी अर्थव्यवस्था में इजाफा करता है।भाषा बड़े पैमाने (राष्ट्रीय स्तर) पर और छोटे व्यवसायों के स्तर पर मायने रखती है।उदाहरण के लिए, स्विट्ज़रलैंड (Switzerland) अपने सकल घरेलू उत्पाद का 10% अपनी बहुभाषी विरासत को देता है। देश में चार राष्ट्रीय भाषाएँ हैं, जिनमें जर्मन (German), फ्रेंच (French), इतालवी (Italian) और एक प्राचीन लैटिन-आधारित भाषा जिसे रोमांश (Romansh) कहा जाता है, शामिल हैं।दूसरी ओर, ब्रिटेन (Britain) को अपनी जनसंख्या के अपेक्षाकृत खराब भाषा कौशल के कारण, अनुमानित तौर पर हर साल अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.5% नुकसान होता है।आंशिक रूप से ऐसा इसलिए है, क्यों कि भाषाएं व्यापार संबंध बनाने में मदद कर सकती हैं। स्वीडन (Sweden), जर्मनी (Germany), डेनमार्क (Denmark) और फ्रांस (France) में छोटी और मध्यम आकार वाली कंपनियों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया,कि जिन लोगों ने भाषाओं में अधिक निवेश किया, वे अधिक माल निर्यात करने में सक्षम थे।
बहुभाषी कर्मचारियों में भारी निवेश करने वाली जर्मन कंपनियों ने अपने बाजार में 10 निर्यात देशों को जोड़ा, जबकि कम निवेश करने वाली कंपनियां अनुबंधों से चूक गईं।कई अध्ययनों से पता चलता है कि भाषाएं कमाई की शक्ति को बढ़ाती हैं। फ़्लोरिडा (Florida) में, जो कर्मचारी स्पैनिश (Spanish) और अंग्रेज़ी दोनों बोलते हैं, वे केवल अंग्रेज़ी बोलने वालों की तुलना में प्रति वर्ष 7,000 डॉलर अधिक कमाते हैं। एक केनेडियन (Canadian) अध्ययन के अनुसार, द्विभाषी पुरुष और द्विभाषी महिलाएं अपने समकक्षों की तुलना में (जो केवल अंग्रेजी बोलते हैं) क्रमशः 3.6% और 6.6% कमाते हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3H5pWCK
https://bit.ly/3sLXlgE
https://bit.ly/34OFT3s
https://bit.ly/3sVUsKm

चित्र संदर्भ   
1. भाषा अध्ययन करते बच्चे को दर्शाता चित्रण (flickr)
2. प्रधानमत्री श्री मोदी की नागालैंड के छात्र प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात को दर्शाता चित्रण (flickr)
3. देशों के अनुसार भाषा के वर्गीकरण को दर्शाता चित्रण (wikimedia)