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धरती के 71% प्रतिशत हिस्से में फैला हुआ समुद्री संसार हमेशा से इंसानो की जिज्ञासा का केंद्र रहा है।
लेकिन इस शानदार संसार में यात्रा करने में सबसे बड़ी बाधा यह खड़ी हो जाती है की यहाँ पानी के भीतर
बिना किसी उपकरण के सांस लेना इंसानों के लिए असंभव है! किंतु इंसानों ने इस नीले संसार को समंदरों से
उठाकर एक्वेरियम (Aquarium) या कृत्रिमजलाशय के रूप में ज़मीन पर यहाँ तक की आज हमारे घरों में
लाकर रख दिया।
पानी से लबालब भरे बर्तन, या कांच के हौज को एक्वेरियम, जलजीवशाला या कृत्रिमजलाशय कहा जाता
है। कांच के इन पात्रों में जीवित जलीय जीव-जंतुओं या पोंधों को रखा जाता है। चूंकि कांच पारदर्शी होता है,
इसलिए कोई भी इसके भीतर फल-फूल रहे शानदार समुद्री दुनिया को निहार सकता है! रंगीन मछलियों से
भरी यह शालाएँ मुख्यत: मछलियों को पालने और उनके करतब देखने दिखाने के काम में आती हैं।
मछलियों को पालने के प्रमाण सर्वप्रथम कम से कम 4,500 वर्ष पूर्व तक के प्राप्त होते हैं। माना जाता है की
तब सुमेर निवासी भोजन के उद्द्येश्य से उन्हें हौजों या पोखरों में पालते थे। हालांकि इस बात की भी प्रबल
संभावना है की इससे भी कई वर्ष पूर्व से मछलियों को पाला जाता रहा हो। प्राचीन मेसोपोटामिया और मिस्र
में, मछलियों को कृत्रिम तालाबों में रखा जाता था। क्योंकि अधिकांश शहर नदियों के किनारे स्थित थे और
मछलियों को भोजन के स्रोत के रूप में परोसा जाता था। यह संभव है कि मंदिरों में पवित्र मछलियों को
पालतू जानवरों के रूप में नहीं, बल्कि मछली देवताओं के प्रतीक या अवतार के रूप में रखा गया था।
उदाहरण के लिए, बाइबिल में वर्णित देवता दागोन (biblical god dagon) को अक्सर एक मछली देवता
के रूप में चित्रित किया गया। इसी तरह, मिस्र की देवी हत्मेहित (Egyptian goddess Hatmehit) ने भी
मछली का प्रतिनिधित्व किया हो।
यह कहना अभी भी कठिन है की आखिर भारत में मछलियों को पालना सर्वप्रथम कब आरंभ हुआ?, लेकिन
हमारे पडोसी एशियाई देशों में से एक चीन में, शुंगवंश के राज्यकाल में (सन् 960-1278) लाल मछलियों
(स्वर्ण मत्स्यों) का कौतुम और सजावट के लिये पालन प्रारंभ हो चुका था। सर्वप्रथम उन्ही के द्वारा
उपर्युक्त मछलियों की विशेष जातियों का विकास किया गया, जिन्हे छोटे बरतनों में रखा जा सकता था
तथा सजावट के भी प्रयोग किया जा सकता था।
चीन के अलावा रोमन लोगों में भी पालतू मछलियाँ रखने का वर्णन मिलता है। जहाँ मछलियाँ हौजों, या
छोटे तालाबों, में पाली जाती थीं। हालांकि शीशे के बरतनों या शालाओं में मछली पालन की प्रथा 200 वर्षों
से अधिक पुरानी नहीं मानी जाती है। सबसे पहले, रोमनों ने समुद्री मछलियों को रखने के लिए संगमरमर
का इस्तेमाल किया था। बाद में, कांच की प्रौद्योगिकियों में सुधार हुआ और अधिक टिकाऊ हो गया, और
रोमनों ने, पहली शताब्दी सीई तक, टैंकों में कांच का उपयोग करना शुरू कर दिया। जबकि यूरोप में
सजावटी मछली में रुचि बढ़ी और चीन के साथ धन और संपर्कों की अधिक पहुंच के साथ, सार्वजनिक
एक्वैरियम विकसित होने में समय लगा।
एक्वेरियम या जलजीवशालाएँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं:
1. व्यक्तिगत एक्वेरियम (personal aquarium): घरों में रखे गए कांच के बर्तनों के भीतर फल-फूल रहे
समुद्री जीवन को व्यक्तिगत एक्वेरियम कहा जाता है। जिनका प्रयोजन मुख्यत मनोरंजन या घरों की
शोभा बढ़ाना, तनाव कम करना आदि होता है।
2.सार्वजनिक एक्वेरियम (public aquarium): विशालकय कांच के भीतर इस नीले संसार का आकार
तुलनात्मक रूप से बड़ा होता है, जहाँ कोई भी पैसे देकर इन्हे देखने आ सकता है। विभिन्न देशों के अनेक
प्रमुख शहरों में सार्वजनिक जलजीवशालाएँ स्थापित की गई हैं। न्यूयार्क, शिकागो, सैनफ्रांसिस्को, लंदन,
बर्लिन, इत्यादि नगरों में बड़ी बड़ी जलजीवशालाएँ मौजूद हैं। हालांकि मद्रास, हवाई द्वीप, आस्ट्रेलिया,
दक्षिणी अफ्रीका तथा संयुक्त राज्य अमरीका के वाशिंगटन, फिलाडेल्फ़िया, बोस्टन, बाल्टिमोर
(Washington, Philadelphia, Boston, Baltimore) इत्यादि नगरों में इनसे छोटी, किंतु प्रसिद्ध,
जलजीवशालाएँ मौजूद हैं। ये जलजीवशालाएँ मुख्यत: जनशिक्षा, मनोरंजन और कुछ में थोड़ा बहुत
वैज्ञानिक खोज के उद्द्येश्य के लिए भी बनाई गई है।
कुछ अन्य एक्वेरियम भी होते हैं जिनका जिनका प्रयोजन मुख्यत वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए होता है, जो
की आमतौर पर विशालकाय होती हैं। इनके कुछ उदाहरण संयुक्त राज्य (अमरीका) के मासाच्यूसेट्स प्रदेश
के वुड्स होल (Woods Hole in the State of Massachusetts) नामक स्थान में, इंग्लैंड के प्लिमथ
(plymouth of england) तथा इटली के नेपुल्स नगर (naples city) में मौजूद हैं। कांच की मोटी दीवारों
के भीतर रंगीन मछलियों का अद्भुद संसार दिखाई देता है। बड़े कृतिम जलाशयों की दीवारें एक से डेढ़ इंच
मोटे काच की होती हैं।
हमारे भारत में कुछ बेहद शानदार सार्वजानिक एक्वेरियम मौजूद हैं जहाँ जाकर आप भी इस रंगीन संसार
का लुफ्त उठा सकते हैं
1. तारापोरवाला एक्वेरियम (Taraporewala Aquarium), मुंबई
मुंबई के मरीन ड्राइव पर स्थित तारापोरवाला एक्वेरियम भारत का सबसे पुराना एक्वेरियम है। यहाँ समुद्री
और मीठे दोनों पानी की मछलियाँ मौजूद हैं। साथ ही यहाँ मोरे ईल, कछुए, शार्क, स्टारफिश और स्टिंगरे
(starfish and stingray) कुछ सबसे लोकप्रिय आकर्षण हैं। इस एक्वेरियम में लक्षद्वीप से कुछ प्रवाल
मछलियां भी एकत्र की गई हैं। यहाँ फोटोग्राफी शुल्क लागू होते हैं, और यह सोमवार को बंद रहता है।
2. सूर्य एक्वेरियम (Surya Aquarium) , उदयपुर
भारत का सबसे बड़ा एक्वेरियम राजस्थान के झीलों के शहर में स्थित है, जिसका संचालन करणी माता
रोपवे द्वारा किया जाता है। इस शानदार एक्वेरियम में मीठे पानी और समुद्री दोनों तरह की मछलियों की
लगभग 150 किस्में मौजूद हैं। यहाँ मछलियों की कुछ दिलचस्प प्रजातियों में मोरमिरस रुम, एलीगेटर
गार्स, सेनेगल ड्रेगन, आर्चर फिश (Mormirus Rum, Alligator Gars, Senegalese Dragons, Archer
Fish) के साथ-साथ इंडोनेशियाई मड क्रैब्स, फायर बेली न्यूट्स, एल्बिनो फ्रॉग्स (Indonesian Mud
Crabs, Fire Belly Newts, Albino Frogs) आदि शामिल हैं।
3. गवर्नमेंट एक्वेरियम (Government Aquarium), बेंगलुरु
बेंगलुरु के कब्बन पार्क क्षेत्र में भारत में दूसरा सबसे बड़ा एक्वेरियम स्थित है। कर्नाटक मत्स्य विभाग
द्वारा बनाएं गए इस एक्वेरियम में स्वदेशी और विदेशी मीठे पानी की मछलियों की खेती योग्य और
सजावटी किस्में प्रजातियां शामिल हैं। यह एक्वेरियम सोमवार और दूसरे और चौथे मंगलवार को छोड़कर
सभी दिन खुला रहता है।
4. बाग-ए-बहू एक्वेरियम (Bagh-e-Bahu Aquarium), जम्मू
भारत का सबसे बड़ा भूमिगत एक्वेरियम जम्मू के बाग-ए-बहू गार्डन के अंदर बसा है। इस एक्वेरियम की
इमारत अपने आप में एक मछली के आकार की है, और इसमें 24 एक्वैरियम गुफाएँ (aquarium caves)
मौजूद हैं। जिनमें समुद्री और मीठे दोनों पानी की मछलियाँ शामिल हैं। यहाँ एक संग्रहालय, सार्वजनिक
गैलरी और जलीय जागरूकता को बढ़ावा देने वाली एक प्रयोगशाला भी मौजूद है।
5. जगदीशचंद्र बोस म्यूनिसिपल एक्वेरियम (Jagadishchandra Bose Municipal Aquarium),
सूरत
गुजरात के सूरत में अपने चमकीले नीले और सफेद रंग के बाहरी हिस्से के साथ जगदीशचंद्र बोस
म्यूनिसिपल एक्वेरियम काफी आकर्षक है। यहाँ विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों पर आधारित जलीय जानवरों
के आवास के लिए 50 से अधिक विशेष रूप से बनाए गए टैंक मौजूद हैं। आपको ईल, लायनफिश, स्टिंगरे,
पिरान्हा, घोस्ट फिश (Eel, Lionfish, Stingray, Piranha, Ghost Fish) आदि देखने को मिलेंगे।
6. वीजीपी मरीन किंगडम (VGP Marine Kingdom), चेन्नई
इसे भारत का सबसे बड़ा निजी वॉक थ्रू एक्वेरियम (Private Walk Through Aquarium) कहा जाता है।
यहाँ जलीय जीवों को आदमकद टैंक और ओवरहेड एक्वैरियम (Life Size Tanks and Overhead
Aquariums) में रखा गया है। यह एक्वेरियम 70,000 वर्ग फुट में फैले 80 मिलियन लीटर प्राचीन पानी
से निर्मित हुआ है। यहाँ वर्षावन, घाटियाँ, मैंग्रोव, तटीय और गहरे महासागर आवासों के जीवों की 200 से
अधिक प्रजातियाँ मौजूद हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3oX36au
https://bit.ly/3oXgHP3
https://bit.ly/3LE6kcw
https://bit.ly/3gYATeJ
https://bit.ly/3BpHW9Q
https://en.wikipedia.org/wiki/Aquarium
चित्र संदर्भ
1. चुरौमी एक्वेरियू एम, ओकिनावा, जापान (Churoumi Aquariyu M, Okinawa, Japan) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. तारापोरवाला एक्वेरियम को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. गवर्नमेंट एक्वेरियम (Government Aquarium), बेंगलुरु को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. बाग-ए-बहू एक्वेरियम (Bagh-e-Bahu Aquarium), जम्मू को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. जगदीशचंद्र बोस म्यूनिसिपल एक्वेरियम (Jagadishchandra Bose Municipal Aquarium), सूरत को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. वीजीपी मरीन किंगडम (VGP Marine Kingdom), चेन्नई को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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