सोशल मीडिया लोकतंत्र और चुनावी परिणामों को कैसे प्रभावित करता है?

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सोशल मीडिया लोकतंत्र और चुनावी परिणामों को कैसे प्रभावित करता है?

21 वीं सदी का तथाकथित किंतु सर्वाधिक लोकप्रिय अविष्कार माने जाने वाला इंटरनेट और खास तौर पर सोशल मीडिया, जाने-अनजाने हमारे जीवन के अधिकांश एवं महत्वपूर्ण फैसलों को प्रभावित कर रहा है। प्रमाण के तौर पर आज कोई भी छोटे-से -छोटा उत्पाद खरीदने से पूर्व, हम उससे संबंधित सैकड़ों समीक्षाओं (reviews) को इंटरनेट पर पढ़ लेते हैं। या पहले से ही उन उत्पादों को प्रयोग कर रहे ग्राहकों के अनुभव यूट्यूब आदि पर देख लेते हैं। यही कारण है की आज विश्व की सभी बड़ी कंपनियां अथवा संगठन इंटरनेट की व्यापकता और शक्ति को समझ चुके हैं। इसलिए इन मूक हथियारों के माध्यम से हमारे जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों को प्रभावित करने की भी कोशिश कर रहें हैं। विश्व की राजनितिक स्थिति में सोशल मीडिया का प्रयोग इसका जिवंत प्रमाण है।
दुनियाभर में राजनितिक लाभ के लिए सोशल मीडिया का प्रचलन बेहद तीव्रता से बढ़ रहा है। राजनीति में सोशल मीडिया का उपयोग राजनीतिक प्रक्रियाओं और गतिविधियों में ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (online social media platform) की भागीदारी को संदर्भित करता है। इन राजनीतिक प्रक्रियाओं में वे सभी गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जो किसी देश या क्षेत्र के शासन से संबंधित होती हैं। इसमें राजनीतिक संगठन, वैश्विक राजनीति, राजनीतिक भ्रष्टाचार, राजनीतिक दल और राजनीतिक मूल्य शामिल हैं। इंटरनेट, अनगिनत और वैश्विक संचार के माध्यमों से सूचना प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं, और सोशल मीडिया में न केवल संदेश, बल्कि राजनीतिक भ्रष्टाचार, मूल्यों और राजनीति में संघर्ष की गतिशीलता को भी बदलने की शक्ति है। फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित अन्य आधुनिक मीडिया माध्यम लोगों की राजनीतिक जानकारी तक पहुंच को बढ़ा रहे है। सोशल मीडिया दुनिया भर में नागरिक समाज के लिए जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है, जिसके भीतर नियमित नागरिक, कार्यकर्ता, गैर-सरकारी संगठन, दूरसंचार फर्म, सॉफ्टवेयर प्रदाता, और बड़े पैमाने पर सरकारें भी शामिल हैं। भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में सोशल मीडिया क्रांति वास्तविक, मूर्त और त्वरित है। इस बात में कोई संदेह नहीं है की भारतीय राजनीतिक दल अब सोशल मीडिया को मतदाताओं तक पहुंचने के साधन के रूप में गंभीरता से ले रहे हैं। सोशल मीडिया, लेखों, टिप्पणियों और चलचित्रों (Videos) आदि की मिश्रित सामग्री के रूप में उपयोगकर्ताओं को शामिल करके इंटरैक्टिव वेब (interactive web) की सुविधा प्रदान करता है। सोशल मीडिया एक मूक माध्यम बनकर उभरा है, जहां नागरिक दैनिक जीवन और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों के बारे में बात करने में सक्षम हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स उपयोगकर्ताओं को अपने नेटवर्क में लोगों के साथ विचारों, चित्रों, पोस्ट, गतिविधियों, घटनाओं और रुचियों को साझा करने की अनुमति देती हैं। इस प्रकार, सोशल मीडिया एक दोतरफा रास्ता है जो आपको न केवल जानकारी देता है, बल्कि आपको वह जानकारी देते हुए आपके साथ विचारों का सामजस्य भी स्थापित करता है, और अन्य आगंतुकों के साथ भी बातचीत को सक्षम बनाता है। इस बातचीत के दौरान लोग पसंदीदा फिल्मों से लेकर अपने पसंदीदा उम्मीद्वारों के नाम तक साझा कर सकते हैं। कभी-कभी सोशल मीडिया किसी राजनेता से जुड़ी किसी सकारात्मक अथवा नकारात्मक राय को इतना विस्तारित कर देता है की यह एक राजनितिक लहर का रूप ले लेती है, जिसमें राजनेता पार भी लग लग सकते हैं अथवा फंसकर डूब भी सकते हैं। सोशल मीडिया के प्रभाव ने हमारे जीवन के कई पहलुओं जैसे शिक्षा, संस्कृति, प्रशासन, विपणन, व्यवसाय या राजनीति को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। यह समाचार, बातचीत, सीखने और मार्केटिंग के माध्यम से गहरा प्रभाव डालने में सक्षम रहा है।
सोशल मीडिया खबरों का अहम जरिया बन गया है। विभिन्न समाचार चैनल दुनिया भर में महत्वपूर्ण घटनाओं पर ट्वीट करते हैं या अपडेट देते हैं। और समाचार पलक झपकते ही दुनियाभर में प्रसारित हो जाते हैं, जो पहले कभी अनुभव नहीं किए गए थे।

सोशल मीडिया पर उम्मीदवार और उनके समर्थक लगातार फेसबुक और ट्विटर पर अपने विचार पोस्ट करते रहते हैं। प्रत्येक पार्टी के अपने पृष्ठ होते हैं, जिनसे वह प्रचार प्रसारित करते है। आइए कुछ प्रमुख तरीकों पर नजर डालते हैं, जिनसे सोशल मीडिया आज राजनीति को प्रभावित करता है। सोशल मीडिया पर चुनाव परिणामों के पूर्वानुमानों का चुनाव पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। हालांकि वे त्रुटिपूर्ण हो सकते हैं लेकिन यह एक आत्मनिर्भर भविष्यवाणी हो सकती है। राजनीति पर सोशल मीडिया के सकारात्मक प्रभावों में से एक यह भी है कि मतदाताओं को उम्मीदवारों और निर्वाचित अधिकारियों के साथ अधिक आसानी से बातचीत करने का अवसर मिलता है। परंपरागत रूप से, यदि आप किसी राजनेता या उम्मीदवार से मिलना चाहते हैं, तो आपको एक लाइव कार्यक्रम में भाग लेना होगा। लेकिन आधुनिक तकनीक के साथ, अब वर्चुअल इवेंट (virtual event) में भाग लेना संभव है, जहां आप लाइव स्ट्रीमिंग इवेंट (live streaming event) में भाग ले सकते हैं, और राजनेताओं और उम्मीदवारों के साथ बातचीत कर सकते हैं।
2014 के आम चुनाव को भारत के राजनीतिक इतिहास में "पहला सोशल मीडिया चुनाव" माना जाता है, जिसने भारतीय राजनीति में एक सोशल मीडिया क्रांति की शुरुआत की। हालांकि कई मामलों में सोशल मीडिया के माध्यम से (व्हाट्सएप ग्रुप, फर्जी ट्विटर हैंडल “fake twitter handle”) के माध्यम से राजनितिक लाभ बटोरने के विवाद भी सामने आते रहे हैं। कई बार कथित तौर सोशल मीडिया माध्यमों से राजनितिक लाभ अर्जित करने के लिए जातिगत विद्रोह फ़ैलाने की कोशिश भी की जाती है। हालांकि ऐसी कोशिशें संयुक्त रूप से सच्चाई और भारत के धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक ताने-बाने के लिए खतरा भी साबित हो सकती हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से राजनितिक विज्ञापन और संदेश, सही दर्शकों तक पहुँचते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए पूरे विज्ञापन उद्योग में लक्ष्यीकरण (targeting) का उपयोग किया जाता है। राजनेता भी सोशल मीडिया के युग में, अपने अभियानों को अधिक सटीकता से लक्षित करने में सक्षम हैं। यह लोगों को अधिक नियमित रूप से संपर्क में रहने की अनुमति देता है। विभिन्न शहरों, देशों और महाद्वीपों के लोग आसानी से संपर्क में रह सकते हैं। और यह विभिन्न संस्कृतियों का अनुभव करने और विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर का निर्माण करता है।

संदर्भ
https://bit.ly/3G3gAqD
https://bit.ly/3r3D1rs
https://bit.ly/35mlouB
https://en.wikipedia.org/wiki/Social_media_use_in_politics
https://www.meltwater.com/en/blog/social-media-affects-politics

चित्र संदर्भ   
1. चुनाव में सोशल मीडिया के प्रभाव को संदर्भित करता एक चित्रण (fortune)
2. सोशल मीडिया माध्यमों को दर्शाता एक चित्रण (ABP)
3. सोशल नेटवर्किंग साइट यूजर ग्राफ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. सोशल मीडिया में झूठी खबरों को दर्शाता एक चित्रण ( The Economic Times)