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इंसानों की जिज्ञासा एवं बौद्धिक क्षमता ने उसे अब तक के ज्ञात पूरे ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली जीव
बना दिया। हमने किसी भी वस्तु अथवा विषय को उसकी मूल अवस्था में कभी भी स्वीकार नहीं किया।
अर्थात केवल विषयों के उपभोग करने तक ही इंसानी प्रवृत्ति सीमित नहीं रही है, वरन हमने सदैव यह प्रश्न
किया है की यदि किसी वस्तु का अस्तित्व है तो वह क्यों हैं? विश्व इतिहास में अनेक ऐसे दर्शनशास्त्री हुए
हैं जिन्होंने न केवल स्वयं से बल्कि पूरी मानवता से समय-समय पर कुछ आसान प्रतीत होने वाले बेहद
जटिल प्रश्न पूछे हैं। जैसे समय क्या है? अंतरिक्ष क्या है? क्या वास्तव में भगवान् हैं? क्या हमारे आसपास
की दुनिया 'वास्तविक' है? क्या संख्याएँ मौजूद हैं? क्या हम वास्तव में स्वतंत्र रूप से सोचते हैं? चेतना क्या
है? वास्तविकता ऐसी क्यों है? किसी चीज के होने का क्या मतलब है? कुछ भी क्यों मौजूद है?इन प्रश्नों के उत्तर की खोज में अनेक महान बुद्धिजीवियों ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, एवं इन
प्रश्नों के अनुरूप दर्शनशास्त्र की एक उन्मुख शाखा का निर्माण कर दिया, जिसे आमतौर पर तत्त्वमीमांसा
(Metaphysics) से सम्बोधित किया जाता है।
तत्वमीमांसा दर्शन की वह शाखा है जिसके अंतर्गत अस्तित्व, पहचान, परिवर्तन, स्थान और समय, कार्य-
कारण, आवश्यकता और संभावना के सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है। साथ ही जो ब्रह्मांड के परम
तत्व / ईश्वर की खोज करते हुये उसके परम स्वरूप का विवेचन करती है। इसका प्रमुख विषय वो परम
तत्व ही होता है, जो इस संसार के होने का कारण है और इस संसार का आधार है।
"तत्वमीमांसा" शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों के संयोजन से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "प्राकृतिक के बाद
या पीछे अथवा बीच में "। संभव है की यह शब्द पहली शताब्दी सीई के उन संपादकों द्वारा गढ़ा गया हो,
जिन्होंने दार्शनिक अरस्तू के कार्यों के विभिन्न छोटे चयनों को उस ग्रंथ में इकट्ठा किया था ,जिसे अब हम
मेटाफिजिक्स (μετὰ , मेटा टा फिजिका) के नाम से जानते हैं। तत्वमीमांसा सीधे तौर पर किसी वस्तु अथवा
विषय के अस्तित्व से जुड़ा हुआ प्रश्न पूछती है। साथ ही दर्शन की इस शाखा के अंतर्गत पूछे गए प्रश्नों का एक
सार और पूरी तरह से सामान्य तरीके से जवाब देने की कोशिश की जाती है। तत्वमीमांसा को ज्ञानमीमांसा,
तर्कशास्त्र और नैतिकता के साथ दर्शनशास्त्र की चार मुख्य शाखाओं में से एक माना जाता है। आध्यात्मिक जांच
के विषयों में अस्तित्व, वस्तुएं और उनके गुण, स्थान, समय, कारण, प्रभाव, और संभावना शामिल हैं।
गुजरते समय और एकत्र ज्ञान के आधार पर अनेक दार्शनिकों ने तत्वमीमांसा की अपने शब्दों और अनुभव
से परिभाषाएं गढ़ी हैं।
1.अरस्तू द्वारा तत्वमीमांसा का लघु परिचय: प्राचीन यूनानी दार्शनिक अरस्तू की द मेटाफिजिक्स (The
Metaphysics), जो दो हजार साल पहले लिखी गई थी, को अब तक के सबसे महान दार्शनिक कार्यों में से
एक माना जाता है। पुस्तक के केंद्र में तीन प्रश्न हैं। सबसे पहले, अस्तित्व क्या है, और दुनिया में किस तरह
की चीजें मौजूद हैं? दूसरे, चीजें कैसे बनी रह सकती हैं, और फिर भी प्राकृतिक दुनिया में हम अपने बारे में
जो बदलाव देखते हैं, उससे कैसे गुजर सकते हैं? और अंत में, इस दुनिया को कैसे समझा जा सकता है?
अरस्तू के द्वारा इन सवालों के दिए गए आकर्षक जवाबों ने दुनिया भर के विचारकों को नया नजरिया
प्रदान किया।
2. अन्ना मर्मोडोरो (Anna Marmodoro) द्वारा तत्वमीमांसा का परिचय: अन्ना मर्मोडोरो डरहम
विश्वविद्यालय (Durham University) में दर्शनशास्त्र विभाग में तत्वमीमांसा के अध्यक्ष हैं।
तत्वमीमांसा दर्शन के इतिहास के व्यापक संदर्भों में उन्होंने, पदार्थ, गुण, तौर-तरीके,सार, कार्य-कारण,
नियतत्ववाद (determinism) और स्वतंत्र इच्छा पर चर्चा करते हुए नवीनतम सिद्धांतों और तर्कों की
रूपरेखा तैयार की हैं।
तत्वमीमांसा आज क्यों महत्वपूर्ण है?
हालांकि प्रारंभ में तत्वमीमांसा के अंतर्गत पूछे गए अमूर्त, साक्ष्य-प्रतिरोधी और आध्यात्मिक प्रश्नों की
खोज करना व्यर्थ लग सकता है। लेकिन तत्वमीमांसा समाज में वैचारिक कठोरता और स्पष्टता का एक
स्तर जोड़ता है, जो हमारे ज्ञान की स्थिरता में सुधार कर सकता है। यह यहां किसी अन्य क्षेत्र जैसे विज्ञानं
के साथ प्रतिस्पर्धा करने या उसे बदलने के लिए नहीं है, बल्कि यह यहां वास्तविकता के बारे में सच्चाई की
हमारी खोज के लिए एक आवश्यक पूरक के रूप में है। इसके अलावा: जीवन के पीछे की वास्तविकता
जानना एक दिलचस्प पहलू है, जो हमारी आत्मा के लिए भी अच्छा है। ये प्रश्न संभावनाओं के प्रति हमारी
धारणा को बढ़ाते हैं, हमारी बौद्धिक कल्पना को समृद्ध करते हैं, और हठधर्मिता (dogma) को कम करते
हैं। इसलिए तत्वमीमांसा एक रोचक एवं आवश्यक दर्शन है।
संदर्भ
https://bit.ly/3FSQHtv
https://en.wikipedia.org/wiki/Metaphysics
https://plato.stanford.edu/entries/metaphysics/
चित्र संदर्भ
1. ध्यानमग्न साधु को दर्शाता एक चित्रण (pixabay)
2. तीसरी आँख के चक्र को दर्शाता एक चित्रण(flickr)
3. प्लेटो और अरस्तू को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. अन्ना मर्मोडोरो को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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