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कितने आश्चर्य की बात है की लगभग 20 करोड़ किलोमीटर दूर होने के बाद भी सूर्य हमारी धरती
के लगभग हर क्रियाकलाप को प्रभावित करता है। सूरज की किरणें न केवल प्रकाश संश्लेषण
(Photosynthesis) के माध्यम से पेड़ पोंधों को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती हैं, वरन हम इंसानों
को भी इस शानदार रंगीन दुनिया का आनंद लेने की अनुमति देते देती हैं।
रोशनी और रंग दो ऐसे विषय हैं, जो आमतौर पर हमारी हर गतिविधि को प्रभावित करते हैं।
(अधिकांशतः सकारात्मक रूप से)। कलाकार , मनोवैज्ञानिक और इंटीरियर आर्किटेक्ट (Artists
and interior architects) लंबे समय से हमारी भावनाओं और मनोदशा पर पड़ने वाले रंगो के
प्रभाव से परिचित हैं। यही कारण है कि अस्पताल के कमरे अक्सर सफ़ेद या हरे रंग के होते हैं, क्यों
यह सीधे तौर पर तनाव को कम करते हैं, और मन को शांत करते हैं।
वही अन्य रंगों जैसे लाल, नारंगी, पीला, नीला आदि का शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। रंगों
का अध्ययन हमारे शरीर और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के संदर्भ में आधारित क्रोमोथेरेपी, या
कलर थेरेपी (Chromotherapy or color therapy) शाखा के अंतर्गत किया जाता है। दरसल
क्रोमोथेरेपी या रंग चिकित्सा इस तर्क पर आधारित है कि रंगों और प्रकाश का उपयोग शारीरिक
बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जा सकता है। अर्थात स्थान और प्रकृति के आधार पर एक
विशिष्ट रंग बीमारी को कम कर सकता है।
रंगों के प्रभाव पर सर्वप्रथम अगस्त प्लिसोंटन (August Pleasonton) नामक वैज्ञानिक ने विचार
किया था। 1876 में उन्होंने 'द इन्फ्लुएंस ऑफ द ब्लू रे ऑफ द सनलाइट एंड द ब्लू कलर
ऑफ द स्काई' (The Influence of the Blue Ray of the Sunlight and the Blue Color of
the Sky) को प्रकाशित किया। जिसमें उन्होंने अध्ययन किया कि कैसे नीला रंग, पौधों और
मवेशियों के विकास को प्रोत्साहित कर सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह रंग
मानव शरीर को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
अध्ययन बताते हैं कि इंसान लगभग 10 मिलियन रंगों में अंतर करने में सक्षम हैं। इन रंगों को
तीन प्राथमिक रंगों में विभाजित किया जा सकता है: पीला, लाल और नीला। आमतौर पर
क्रोमोथेरेपी में, द्वितीयक रंग विशेष रूप से नारंगी, बैंगनी और हरा जोड़े जाते हैं।
इनमें से प्रत्येक रंग का एक निश्चित अर्थ होता है: जैसे
1.लाल: लाल एक गर्म रंग होता है जो गुर्दे, रीढ़ और गंध की भावना से जुड़ा है। यह रंग अधिक ऊर्जा
देता है और उन लोगों के लिए आदर्श है जो अक्सर अधिक थके हुए होते हैं। लोग मांसपेशियों और
जोड़ों की जकड़न से निपटने के लिए रेड लाइट थेरेपी (red light therapy) का उपयोग कर सकते
हैं। साथ ही यह यौन इच्छा को भी बढ़ाता है।
2.पीला: मुश्किल पाचन वाले लोग पीली रोशनी से इसका इलाज कर सकते हैं। यह रंग पेट, लीवर
और आंतों से जुड़ा होता है। डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को भी येलो कलर थेरेपी (yellow color
therapy) से फायदा हो सकता है।
3.नीला: नीला रंग लाल का प्रतिरूप है। अर्थात इसका उपयोग उच्च रक्तचाप को कम करने या मन
को शांत करने के लिए किया जा सकता है। नीली रोशनी माइग्रेन (migraines) के इलाज में भी
मदद कर सकती है। आपका गला, कान और मुंह इस रंग के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं।
4.हरा: हरा प्रकृति का रंग होता है। ग्रीन लाइट थेरेपी (Green light therapy) ग्रोथ हार्मोन
(growth hormone) के उत्पादन को उत्तेजित करती है, और मांसपेशियों, हड्डियों और अन्य
ऊतकों को मजबूत करती है। हरा रंग आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ा सकता है।
5.बैंगनी: बैंगनी रोशनी आपको जल्दी और अच्छी नींद प्रदान करने में मदद कर सकती है। यह
भावनात्मक और मानसिक तनाव को भी कम करता है। तंत्रिका तंत्र और आंखें इस द्वितीयक रंग
से जुड़ी हैं। लाल बत्ती के विपरीत बैंगनी प्रकाश यौन इच्छा को कम करता है।
6.नारंगी रंग: नारंगी रंग आपकी रचनात्मकता में वृद्धि करता है। ऑरेंज (Orange color)
रचनात्मक विचार प्रक्रिया को उत्तेजित करता है और आपको नए विचारों के साथ लाने में मदद
करता है। यह रंग सांस लेने से जुड़ा है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को संतरे के रस से लाभ हो
सकता है, क्योंकि यह स्तन के दूध के उत्पादन में वृद्धि करता है।
चूंकि अब हम अपने मष्तिष्क और शरीर पर पड़ने वाले रंगों एवं रौशनी के प्रभाव से भली भांति
परिचित हैं। अतः निश्चित तौर पर रंग एवं रौशनी हमारे घरों में विशेषतौर पर इंटीरियर डिजाइन
के लिए महत्वपूर्ण पहलू हैं। रंग हमारे कमरे के आकार, प्राकृतिक प्रकाश की उपलब्धता और
फर्नीचर चयन के संयोजन के साथ मिलकर काम करते हैं।
उदाहरण के तौर पर गहरे रंग (Dark Color), कमरे को छोटा और तंग महसूस कराते हैं, जबकि
इसके विपरीत हल्के रंग की दीवारें कमरे को बड़ा और खुला-खुला दर्शाती हैं। एक कमरे में प्रकाश
या तो पूरे कमरे में रोशनी प्रदान करता है, या यह बहुत विशिष्ट तत्वों को उजागर करता है।
प्रकाश को एक उद्देश्य की पूर्ति करने की आवश्यकता होती है, अन्यथा प्रकाश उपकरण केवल
बिजली बर्बाद करता है। जैसे झूमर का उपयोग न केवल कमरे या हाल को भव्यता प्रदान करने के
लिए किया जाता है, बल्कि इसलिए भी कि वे कमरे के लिए उत्कृष्ट रोशनी प्रदान करते हैं
एक कमरे के समग्र अनुभव में मदद करने के लिए प्रकाश एक महत्वपूर्ण तत्व है। अच्छी तरह से
प्रकाशित कमरे अधिक खुले और विशाल प्रतीत होते हैं, जबकि अंधेरे कमरे तंग महसूस होते हैं।
कमरे के कथित आकार को बढ़ाने के लिए वॉल-हंग लाइट (Wall-hung lights) एक विकल्प हो
सकता है, लेकिन आप कमरे को रोशन करने के लिए लैंप और ट्रैक लाइटिंग (lamps and track
lighting) भी जोड़ सकते हैं।
एक कमरे के रंग कमरे की रोशनी के साथ मिलकर काम करते हैं। रंग जितने हल्के और चमकीले
होते हैं, चीजें उतनी ही अधिक खुली और विशाल दिखाई देती हैं। यदि आपके कमरे में खिड़कियों के
साथ-साथ पर्याप्त रोशनी है, तो गहरे रंग कोई समस्या नहीं है। जब आप प्रकाश पर सीमित होते हैं,
तो दूसरी ओर, हल्के रंगों के साथ रहना सबसे अच्छा विकल्प है।
आज कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच रंगों एवं रौशनी का प्रयोग पहले से कहीं अधिक
व्यवहार्य हो गया है। उदाहरण के तौर पर दैनिक कोविड-19 मामलों और स्थानीय पर्यावरणीय
परिस्थितियों के एक व्यापक वैश्विक डेटासेट (global dataset) का उपयोग करते हुए, विशेषज्ञों
ने पाया कि दैनिक पराबैंगनी (UV) विकिरण बढ़ने से बाद के 2.5 सप्ताह में COVID-19 मामलों कीसंचयी दैनिक वृद्धि दर कम हो जाती है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (Electromagnetic radiation), जिसमें रेडियो तरंगें, दृश्य प्रकाश
और एक्स-रे (X-rays) शामिल हैं, को नैनोमीटर या मिलीमीटर के मिलियनवें हिस्से में मापा जाता
है। यूवी विकिरण में 100 और 400 नैनोमीटर के बीच तरंग दैर्ध्य (wavelengths) होते हैं, जो
दृश्य प्रकाश स्पेक्ट्रम (visible light spectrum) के वायलेट भाग से परे होते हैं, और मानव आंखों
के लिए अदृश्य होते हैं।
वायुमंडल में ओजोन परत (ozone layer) 300 नैनोमीटर से नीचे यूवी तरंग दैर्ध्य को फ़िल्टर
करती है, जो सूर्य से आने वाली पराबैगनी किरणों को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने से पहले अवरुद्ध
कर देती है। एक कीटाणुनाशक के रूप में पराबैंगनी प्रकाश का एक लंबा इतिहास रहा है, और
SARS-CoV-2 वायरस, जो COVID-19 का कारण बनता है, वह यूवी (UV) प्रकाश द्वारा आसानी
से हानिरहित हो जाता है। जानकार बताते हैं की पराबैगनी प्रकाश का उपयोग कोरोना संचरण के
जोखिम को कम करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि यूवी उपकरण घर को कीटाणुरहित
करने के लिए होते हैं, लेकिन वे अप्रभावी और संभावित रूप से खतरनाक भी हो सकते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3nrQoQf
https://bit.ly/3IaeRS6
https://bit.ly/3rmUUAv
https://bit.ly/3nSXbmn
https://bit.ly/3FBpBal
https://bit.ly/3Ke1gee
https://bit.ly/3tzkfdu
चित्र संदर्भ
1. कमरे में प्राकृतिक प्रकाश के प्रवेश को दर्शाता एक चित्रण (pixbay)
2. रंगीन चित्रकारी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. लाल रंग के कमरे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4 .पीले रंग के कमरे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. नीले रंग के कमरे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. हरे रंग के प्राथमिकता वाले कक्ष को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. बैंगनी कमरे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
8. नारंगी कमरे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
9. हल्के प्रकाशमान कमरे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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