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पानी के बाहर भी लंबे समय तक जीवित रह सकती हैं, उभयचर मछलियां

जौनपुर

 17-01-2022 10:52 AM
मछलियाँ व उभयचर

“मछली जल की है रानी, जीवन उसका है पानी”, यह कविता आपने अपने जीवन काल में कभी न कभी अवश्य सुनी होगी। किंतु वास्तविक रूप से देंखे तो हर प्रकार की मछली के लिए यह कविता सत्य प्रतीत नहीं होती है।कई समूहों की मछलियाँ लंबे समय तक पानी से बाहर रह सकती हैं। ऐसी कई उभयचर मछलियां हैं, जो लंबे समय तक पानी के बाहर रहकर भी जीवित रह सकती हैं।उभयचर मछली वे मछलियाँ हैं जो विस्तारित अवधि के लिए पानी को छोड़ने में सक्षम हैं। कई मछली प्रजातियों ने स्वतंत्र रूप से उभयचर लक्षण विकसित किए हैं, तथा इस प्रक्रिया को अभिसरण विकास (Convergent evolution) के रूप में जाना जाता है। ये मछलियाँ कई प्रकार के स्थलीय गतिमान मोड का उपयोग करती हैं, जैसे कि पार्श्व लहर, ट्राईपॉड (Tripod) की तरह चलना (जोड़ीदार पंख और पूंछ का उपयोग करके), और कूदना। इनमें से कई लोकोमोटिव मोड में पेक्टोरल (Pectoral), पेल्विक (Pelvic) और टेल-फिन (Tail-fin) मूवमेंट के कई संयोजन शामिल हैं। इस प्रकार ये मछलियां पानी के बाहर आसानी से जीवित रह सकती हैं।उदाहरण के लिए मडस्किपर(Mudskipper) जैसी उभयचर मछलियां कई दिनों तक जमीन पर रह सकती हैं और चल सकती हैं। इसके अलावा यदि पानी स्थिर है या उसमें ऑक्सीजन की कमी है, तब भी वे ऐसे पानी में जीवित रह सकती हैं। ऐसी कई मछलियां विभिन्न तंत्रों के माध्यम से हवा में सांस ले सकती हैं। एंगिलिड ईल (Anguillid eels) की त्वचा सीधे ऑक्सीजन को अवशोषित कर सकती है। इलेक्ट्रिक ईल (Electric eel) हवा में सांस ले सकती है। कैटफ़िश (Catfish) अपने पाचन तंत्र के माध्यम से हवा को अवशोषित करती है। लंगफिश (Lungfish)में टेट्रापोड (Tetrapods) के समान एक जोड़ी फेफड़े होते हैं। यह मुंह के माध्यम से ताजी हवा लेने के लिए सतह पर आती है, तथा गलफड़ों के माध्यम से हवा बाहर निकालती है।मछली पानी से ऑक्सीजन लेने के लिए गलफड़ों का उपयोग करती है। लेकिन मैंग्रोव रिवुलस (Mangrove rivulus) जैसी कई मछलियों में ऐसे अनुकूलन होते हैं जो उन्हें हवा में सांस लेने देते हैं।उदाहरण के लिए, मैंग्रोव रिवुलस में विशेष त्वचा होती है जो गलफड़ों की कई भूमिकाएँ निभाती है,जैसे कि शरीर में नमक के स्तर को बनाए रखना।इनकी त्वचा में रक्त वाहिकाएं भी होती हैं,जो अधिक ऑक्सीजन अवशोषित कर रक्त तक पहुंचाती हैं।कैटफ़िश जैसी मछलियां कई बार जमीन पर सरकती हुई भी नजर आती हैं।मछली गति करने के लिए अपने शरीर को आगे-पीछे की ओर झुकाती है,और इसका स्पाइनी पेक्टोरल फिन (Spiny pectoral fin) अतिरिक्त उत्तोलन प्रदान करता है।उत्तरी स्नेकहेड (Northern snakehead) जो कि,चीन (China), रूस (Russia) और कोरिया (Korea) की मूल निवासी है,हवा में सांस ले सकती है और जमीन पर चार दिन तक जीवित रह सकती है। जब वातावरण नम या दलदला होता है तो यह पानी से बाहर भी अधिक समय तक जीवित रह सकती है।दक्षिण पूर्व एशिया (Asia) की मूल निवासी क्लाइम्बिंग पर्च (Climbing perch) में गलफड़ों के अलावा, इंसानों के समान फेफड़े होते हैं, जो इसे जमीन पर हवा में सांस लेने की अनुमति देते हैं। यह पानी से बाहर छह दिनों तक रह सकती है।वॉकिंग (Walking) कैटफ़िश जमीन पर लंबी दूरी तय कर सकती है। वॉकिंग कैटफ़िश में एक श्वसन अंग होता है जो इसे हवा में सांस लेने की अनुमति देता है। वे जमीन पर घंटों और कभी-कभी दिनों तक भी जीवित रहने में सक्षम होते हैं।रॉकस्किपर (Rockskipper), जो कि लंबी मछली की एक प्रजाति है,पानी के बाहर घंटों तक जीवित रह सकते हैं, जब तक वे नम रहते हैं।वूली स्कल्पिन (Wooly sculpin) अत्यधिक तापमान परिवर्तन का सामना करने में सक्षम हैं।उल्लेखनीय रूप से, ये उभयचर मछलियां पानी छोड़ सकती हैं और पानी में ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम होने पर 24 घंटे तक जमीन पर जीवित रह सकती हैं।ईल कैटफ़िश (Eel Catfish) को समय- समय पर भूमि पर आने के लिए जाना जाता है। जब तक उनकी त्वचा नम रहती है, वे जमीन पर जीवित रह सकते हैं, हालांकि अंततः पानी में लौटना पड़ता है। उभयचर मछलियों का उपयोग विभिन्न संस्कृतियों में प्रतीक के रूप में भी किया जाता है। उदाहरण के लिए सुनहरी मछलियां या गोल्डन फिश (Golden fish) बौद्ध धर्म के आठ शुभ प्रतीकों में से एक है। इसमें दो मछलियाँ होती हैं, जो आमतौर पर लंबवत रूप से खड़ी दिखाई देती हैं, दोनों के सिर एक दूसरे की ओर अंदर की ओर मुड़े होते हैं।बौद्ध धर्म में, सुनहरी मछलियाँ खुशी का प्रतीक हैं, क्योंकि वे पानी में पूर्ण रूप से स्वतंत्र होती हैं। वे प्रजनन क्षमता और बहुतायत का प्रतिनिधित्व करते हैं क्योंकि वे बहुत तेजी से प्रजनन करती हैं। मछली अक्सर जोड़े में तैरती हैं, और चीन में वैवाहिक एकता और निष्ठा का प्रतिनिधित्व करती हैं। यहां मछलियों की एक जोड़ी अक्सर शादी के उपहार के रूप में दी जाती है।जीसस क्राइस्ट (Jesus Christ) और बुद्ध दोनों को "फिशर्स ऑफ मैन (Fishers of men)" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वे नश्वर लोगों को पीड़ा के सागर से बचाते हैं। मछलियों से सम्बंधित एक मुहावरा “ए फिश आउट ऑफ वाटर” (A fish out of water) भी अक्सर लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है। यह मुहावरा व्यक्ति की ऐसी स्थिति को अभिव्यक्त करता है, जिसमें व्यक्ति स्वयं को बहुत असहज या अपरिचित महसूस करता है। इस मुहावरे की उत्पत्ति संभवतः इस बात से हुई है, कि जिस प्रकार एक मछली अपने प्राकृतिक आवास से हटाए जाने के बाद असहाय हो जाती है तथा वापस पानी में जाना चाहती है, ठीक उसी प्रकार एक व्यक्ति भी अपरिचित वातावरण में जाने पर असहज हो जाता है। अगर किसी मछली को उसके उपयुक्त वातावरण से दूर ले जाया जाता है, तो उसके दम घुटने और मरने में ज्यादा समय नहीं लगता है। हालांकि,मछली बिना पानी के कितने समय तक जीवित रह सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मछली किस प्रकार की है। कुछ मछलियां कुछ ही मिनटों में मर जाती हैं, जबकि कुछ मछलियां ऐसी भी हैं, जो कई घंटों तक जीवित रह सकती हैं।

संदर्भ:
https://on.natgeo.com/3tkySBa
https://bit.ly/3I2bXig
https://bit.ly/3GoY79b
https://bit.ly/34Ghxbr
https://bit.ly/3I0kUbD
https://bit.ly/3GoHISf

चित्र संदर्भ   
1.मडस्किपर(Mudskipper) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2.मैंग्रोव रिवुलस (Mangrove rivulus) जैसी कई मछलियों में ऐसे अनुकूलन होते हैं जो उन्हें हवा में सांस लेने देते हैं। जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3.दक्षिण पूर्व एशिया (Asia) की मूल निवासी क्लाइम्बिंग पर्च (Climbing perch) में गलफड़ों के अलावा, इंसानों के समान फेफड़े होते हैं, जो इसे जमीन पर हवा में सांस लेने की अनुमति देते हैं, जिसको दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4.ईल कैटफ़िश (Eel Catfish) को समय-समय पर भूमि पर आने के लिए जाना जाता है, जिसको को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5.गोल्डन फिश (Golden fish) बौद्ध धर्म के आठ शुभ प्रतीकों में से एक है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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