Post Viewership from Post Date to 15-Dec-2021
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1642 156 1798

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट में जौनपुर की दुर्लभ कल्पसूत्र पांडुलिपि

जौनपुर

 10-12-2021 10:32 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

जौनपुर में बनाई गई 15वीं शताब्दी की एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण कल्पसूत्रपांडुलिपि (Kalpasutra manuscript)‚ अब अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट (Metropolitan Museum of Art)‚ संग्रहालय में है। इसे निजी तौर पर अमीर अमेरिकी संग्रहकर्ताओं‚ सिंथिया हेज़न पोल्स्की (Cynthia Hazen Polsky) और उनके पति‚ लियोन पोल्स्की (Leon Polsky) द्वारा खरीदा गया था‚ जिन्होंने इसे 1992 में संग्रहालय को उपहार में दिया था। पोल्स्की भारतीय कला की निजी संग्रहकर्ता हैं और उनके कुछ संग्रह प्रदर्शनियों में प्रदर्शित तथा किताबों में प्रलेखित किए गए हैं। हालांकि‚ उनके स्रोत और ऐसी दुर्लभ प्राचीन वस्तुओं की खरीद का समय अज्ञात है। सिंथिया एक कलाकार‚ कला संग्रहकर्ता और कला संरक्षक हैं। वह मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट‚ द मॉर्गन लाइब्रेरी एंड म्यूज़ियम‚ न्यूयॉर्क (Metropolitan Museum of Art‚ The Morgan Library and Museum‚ New York) और रोम में अमेरिकन एकेडमी (American Academy in Rome) की ट्रस्टी के रूप में कार्य करती हैं‚ वह एशिया सोसाइटी‚ न्यूयॉर्क (Asia Society‚ New York) तथा स्टॉर्म किंग आर्ट सेंटर‚ माउंटेनविल‚ न्यूयॉर्क (Storm King Art Center‚ Mountainville‚ New York) की सम्मानार्थ लाइफ ट्रस्टी (Honorary Life Trustee) भी हैं। उनके संग्रह में भारत के चित्रों और सजावटी कलाओं के साथ-साथ अमेरिकी और यूरोपीय 20 वीं शताब्दी और समकालीन पेंटिंग‚ मूर्तिकला और सजावटी कलाएं शामिल हैं। कल्पसूत्र‚ एक सचित्र अनुष्ठानों की पुस्तक है‚ जिसमें जैन तीर्थंकरों की आत्मकथाएँ हैं। इसमें ब्राह्मणी देवानंद के चौदह शुभ सपनों को दर्शाया गया है‚ जो महावीर की मां बनेंगी। इसके शयन कक्ष दृश्य के प्रतीकों द्वारा‚ सभी स्वप्नों की ओर संकेत किया जाता है। सोने का उपयोग और लैपिस लाजुली (lapis lazuli) से प्राप्त एक प्रबल नीला सा व्युत्पन्न‚ ईरानी (Iranian) चित्रकला के बारे में जागरूकता प्रदर्शित करता है‚ जो चौदहवीं और पंद्रहवीं शताब्दी के दिल्ली सल्तनत काल के दौरान सुलभ हो गई थी। पश्चिमी भारत की पुरातन शैली के व्यापक सम्मेलनों को बनाए रखते हुए‚ काम रंग और अलंकरण के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण प्रदर्शित करता है‚ जो इसे उभरते हुए उत्तर भारतीय स्कूलों से जोड़ता है‚ जिन्होंने दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में अपनी पूर्ण अभिव्यक्ति प्राप्त की। क्षैतिज प्रारूप भारत में सबसे पुरानी सचित्र पुस्तकों की स्मृति को संरक्षित करता है‚ जो छंटनी और उपचारित ताड़ के पत्तों के पन्नों पर छपी होती है। भारत में जैन समुदाय की बढ़ती समृद्धि ने उच्च गुणवत्ता वाले धातु चिह्नों की महत्वपूर्ण मात्रा को चालू करने की अनुमति दी। जैसे-जैसे बड़े मंदिर परिसरों के निर्माण का रिवाज अधिक व्यापक होता गया‚ वैसे-वैसे मूर्तियों‚ अनुष्ठान और पूजा से जुड़ी अन्य वस्तुओं का निर्माण भी हुआ। एक परंपरा जिसके प्रमाण केवल दसवीं से ग्यारहवीं शताब्दी के आसपास ही बचे हैं‚ वह है जैन शास्त्रों के ताड़-पत्ते पांडुलिपि संस्करणों का उत्पादन‚ जिसमें फोलियो (folios) और लकड़ी के आवरण दोनों पर चित्रित चित्र हैं। ज्ञान की पुस्तकों की पूजा मंदिर के अनुष्ठान में एक केंद्रीय गतिविधि थी। आज भी “कल्पसूत्र पांडुलिपि” का पाठ और पूजा मानसून के मौसम के दौरान श्वेतांबर जैनियों द्वारा मनाए जाने वाले वार्षिक पर्युषण (Paryushana) उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में बने पांच दुर्लभ लकड़ी के मूर्तिकला मुखौटे भी‚ हाल ही में “द मेट” द्वारा अधिग्रहित किए गए हैं। दक्षिण भारत में धार्मिक उत्सवों के दौरान प्रस्तुत किए जाने वाले नाटकीय नाटकों में अभिनेताओं द्वारा पहने जाने वाले मुखौटे‚ भारत से मध्यकालीन भक्ति कला की एक बड़े पैमाने पर अपंजीकृत श्रेणी का प्रतिनिधित्व करते हैं। न्यूयॉर्क शहर का मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट (Metropolitan Museum of Art)‚ संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) का सबसे बड़ा कला संग्रहालय है‚ जिसे आम बोलचाल की भाषा में “द मेट” (the Met) भी कहा जाता है। इसके स्थायी संग्रह में दो मिलियन से अधिक कार्य शामिल हैं‚ जो 17 संरक्षकीय विभागों में विभाजित हैं। इस संग्रहालय के स्थायी संग्रह में‚ शास्त्रीय पुरातनता और प्राचीन मिस्र (Egypt) से कला के काम‚ पेंटिंग‚ और लगभग सभी यूरोपीय (European) स्वामी की मूर्तियां‚ और अमेरिकी (American) तथा आधुनिक कला का एक व्यापक संग्रह शामिल है। संग्रहालय अफ्रीकी (African)‚ एशियाई (Asian)‚ ओशियान (Oceanian)‚ बीजान्टिन (Byzantine) और इस्लामी कला की व्यापक पकड़ रखता है। इसे दुनिया भर के संगीत वाद्ययंत्रों‚ वेशभूषा और सहायक उपकरण के साथ-साथ प्राचीन हथियारों और कवच के विश्वकोश संग्रह का घर भी माना जाता है। इसकी गलियारों में पहली सदी के रोम से लेकर आधुनिक अमेरिकी डिजाइन तक के कई उल्लेखनीय अंदरूनी भाग स्थापित हैं। इसकी स्थापना 1870 में‚ अमेरिकी लोगों के लिए कला और कलाशिक्षा लाने के उद्देश्य से की गई थी। संग्रहालय का एक पूरा पक्ष एशियाई संग्रह को समर्पित है‚ जो एशियाई कला के 4‚000 वर्षों तक फैला हुआ है। इसके एशियाई विभाग में हर ज्ञात एशियाई सभ्यता का प्रतिनिधित्व किया जाता है‚ और प्रदर्शन पर मौजूद टुकड़ों में पेंटिंग और प्रिंटमेकिंग से लेकर मूर्तिकला और धातु के काम तक हर प्रकार की सजावटी कला शामिल है। यह विभाग चीनी हस्तलिपियों और पेंटिंग के व्यापक संग्रह के साथ-साथ अपनी भारतीय मूर्तियों‚ नेपाली और तिब्बती कार्यों तथा बर्मा‚ कंबोडिया और थाईलैंड की कलाओं के लिए जाना जाता है। इन मूर्तियों में भारत के तीन प्राचीन धर्म: हिंदू धर्म‚ बौद्ध धर्म और जैन धर्म का अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व किया गया है। 2020 में यह कोविड-19 (COVID-19) महामारी के कारण 202 दिनों के लिए बंद कर दिया गया था‚ जिसके कारण इसने केवल 1‚124‚759 आगंतुकों को आकर्षित किया। यह 2019 से 83 प्रतिशत की गिरावट थी‚ लेकिन मेट अभी भी दुनिया में सबसे अधिक देखे जाने वाले कला संग्रहालयों की सूची में नौवें स्थान पर है।

संदर्भ:

https://bit.ly/3EAxhKc
https://bit.ly/3dwuwh7
https://bit.ly/3lNLzzY
https://nyti.ms/3pCQlkN
https://bit.ly/3rNldC2
https://bit.ly/3ozdpS2

चित्र संदर्भ
1. न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट में जौनपुर की दुर्लभ “कल्पसूत्र पांडुलिपि”, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wmetmuseum)
2. मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट‚ द मॉर्गन लाइब्रेरी एंड म्यूज़ियम‚ न्यूयॉर्क (Metropolitan Museum of Art‚ The Morgan Library and Museum‚ New York) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कल्पसूत्र पांडुलिपि का संक्षिप्त चित्रण (metmuseum)
4. मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम में स्थित नटराज की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम में स्थित अमाथस, साइप्रस से अमाथस सरकोफैगस, (Amathus sarcophagus from Cyprus,) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id