सिख समाज में अखंड पाठ की गौरव गाथा

जौनपुर

 19-11-2021 09:42 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

हर व्यक्ति के मन में अक्सर यह प्रश्न उठता है की, आखिर दुनिया की सबसे बहुमूल्य वस्तु क्या हो सकती है? अथवा ऐसा क्या है, जिसमे मनुष्य के भाग्य को बदलने की क्षमता होती है? हालांकि यदि आप इंटरनेट पर इस प्रश्न को खंगालेंगे तो, संभव है की आपके सामने किसी महंगी धातु अथवा कोई कंपनी अथवा किसी गाडी को दुनिया की सबसे मूल्यवान वस्तु बताया जायेगा। किंतु यदि आप दुनिया के सबसे समृद्ध व्यक्तियों से यह प्रश्न पूछेंगे की विश्व की सबसे बहुमूल्य वस्तु क्या है? तो संभव है की उनमे से अधिकांश का उत्तर यही एक शब्द होगा! "पुस्तक (A Book)"
जी हाँ, पुस्तक अथवा किताब को वास्तव में दुनिया की सबसे मूल्यवान वस्तु कहा जाना चाहिए। आज हम यदि खुद को बौद्धिक स्तर पर अत्यंत विकसित जीव बना पाए हैं, अथवा हम खुद को जानवरों की श्रेणी से अलग खड़ा करते हैं, तो उसके पीछे का रहस्य केवल पुस्तकें हैं। यदि आज दुनिया में कोई भी धर्म अपने अस्तित्व में बना हुआ है, तो उसके पीछे बहुत बड़ा योगदान धार्मिक पुस्तकों का ही है। उदाहरण के तौर पर दुनिया में अपने परोपकारों, बलिदानों और महान विचारों के आधार पर लोकप्रिय हुए "सिख धर्म" को ले सकते हैं, जहां बेहद पवित्र माने जाने वाली धार्मिक पुस्तक "गुरु ग्रन्थ साहिब" ने ही पूरे सिख समाज को एक परिवार की भांति एकजुट रखा है, और दुनिया ने इस पवित्र धार्मिक ग्रन्थ में लिखे एक-एक शब्द की क्षमता को जाना एवं इसका लोहा माना है। गुरु ग्रंथ साहिब' जिसे आदिग्रन्थ के नाम से भी जाना जाता है, सिख समुदाय का प्रमुख धर्मग्रन्थ है। माना जाता है की इसका संपादन सिख समुदाय के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी द्वारा किया गया था। गुरु ग्रन्थ साहिब जी को पहली बार 30 अगस्त 1604 को हरिमंदिर साहिब अमृतसर में प्रकशित किया गया, जिसके पश्चात् 1705 में दमदमा साहिब में दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु तेगबहादुर जी के 116 शब्द जोड़कर इसको पूर्ण किया। इस पवित्र धार्मिक पुस्तक में कुल 1430 पृष्ठ है। शब्द अभिव्यक्ति, दार्शनिकता एवं संदेश की दृष्टि से गुरु ग्रन्थ साहिब को अद्वितीय माना गया हैं। गुरुग्रन्थ साहिब जी में सिख गुरुओं के संदेश अथवा उपदेशों के साथ-साथ 30 अन्य सन्तो और अलंग-अलग धर्म के अनुयाइयों की वाणी भी सम्मिलित है। इसमे जहां जयदेवजी और परमानंदजी जैसे ब्राह्मण भक्तों की वाणी सम्मिलित है। इसमें जातिवाद और सामाजिक ऊंच-नीच परंपराओं के दंश को झेलने वाली दिव्य आत्माओं जैसे कबीर, रविदास, नामदेव, सैण जी, सघना जी, छीवाजी, धन्ना की वाणी भी सम्मिलित है। गुरु ग्रंथ साहिब बेहद सरल एवं आसानी से समझ में आ जाने वाले सरल शब्दों में लिखी गई है, साथ ही इसकी सुबोधता एवं सटीकता ने भी सिख सहित अन्य धर्म के अनुयाइयों को भी आकर्षित किया है। इस पवित्र ग्रन्थ में संगीत के सुरों व 31 रागों का बेहद सुंदरता से प्रयोग किया गया है, जिसने आध्यात्मिक उपदेशों को भी मधुर व रमणीय बना दिया। गुरु ग्रन्थ साहिब में उल्लेखित दार्शनिकता कर्मवाद को मान्यता देती है। गुरुवाणी के अनुसार मनुष्य अपने कर्मों के आधार पर ही महत्वपूर्ण होता है। गुरुवाणी कहती है की ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व से विमुख होकर जंगलों में भटकने की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर तो हमारे हृदय में ही वास करता है, हमें अपने चित्त को शांत करके उसे अपने भीतर खोजने की आवश्यकता है। हालांकि गुरु ग्रंथ साहिब को कई बार गुरुबानी कहकर भी संबोधित किया जाता है, किंतु सिख समुदाय में पवित्र आदिग्रंथ केवल पुस्तक न होकर साक्षात् शरीरी गुरूस्वरूप है। वे उनका सर्वोपरि सम्मान करते हैं। अत: गुरू के समान ही उसे स्वच्छ रेशमी वस्त्रों में वेष्टित करके किसी ऊँची गद्दी पर 'विराजित किया जाता है। भक्त इसपर पुष्पादि चढ़ाते हैं, उनकी आरती उतारते हैं तथा उसके सम्मान में उसके समक्ष नहा धोकर जाते और श्रद्धापूर्वक प्रणाम करते हैं। कभी-कभी उनकी शोभायात्रा भी निकाली जाती है, एवं उसमे लिखे गए पवित्र वचनों के अनुसार चलने का प्रयत्न किया जाता है।इस बात में कोई संदेह नहीं है की 'आदि ग्रंथ' से सिखों का पूरा धार्मिक जीवन प्रभावित है। गुरु गोबिंद सिंघ जी का एक संग्रहग्रंथ 'दसम ग्रंथ' नाम से प्रसिद्ध ,है जो 'आदिग्रंथ' से पृथक एवं सर्वथा भिन्न है। सिख अनुयाई श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का कभी साप्ताहिक तथा कभी अखंड पाठ करते हैं। और उनकी पंक्तियों का कुछ उच्चारण उस समय भी किया करते हैं। दरअसल अखंड पाठ गुरु ग्रंथ साहिब के निरंतर अर्थात बिना रुके (Non Stop) पठन को संदर्भित करता है। जिसके अंतर्गत गुरु ग्रंथ साहिब के सभी 1430 पृष्ठों, 31 रागों एवं सभी छंदों का शुरू से लेकर अंत तक पाठकों की एक टीम द्वारा 48 घंटे से अधिक समय तक निरंतर पाठ किया जाता है। पाठ के दौरान उनके निकट पानी के एक पात्र के ऊपर एक नारियल को केसर या सफेद कपड़े में लपेट कर रखा जाता है। साथ में घी का दीपक भी जलता रहता है। सिख समुदाय में इस अनुष्ठान को बहुत पवित्र माना जाता है। मान्यता है की यह पाठ यह प्रतिभागियों और सुनने वाले श्रोताओं को शांति और सांत्वना देता है। पाठ के दौरान निरंतर लंगर (या सांप्रदायिक भोजन) की व्यवस्था भी की जाती है, इस पवित्र पाठ को पूरा करने में उन लोगों की निरंतर सेवा और समर्पण की आवश्यकता होती है, जिनके सम्मान में अखंड पाठ आयोजित किया जा रहा है। मान्यता के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब का लेखन पूरा कर लिया था, जिसके पश्चात् उनके पास मण्डली के पांच सदस्य (साध संगत) ने दो दिनों और रातों से अधिक समय तक बिना रुके पूर्ण ग्रंथ का जाप किया। उन्होंने वही रुककर बिना नींद लिए गुरु ग्रंथ साहिब की पूरी बात सुनी। अन्य लोगों ने उनके नहाने एवं भोजन के लिए पानी की वही पर व्यवस्था की। इसे पहला अखण्ड पाठ माना जाता है। गुरु गोबिंद सिंह द्वारा बंदा सिंह बहादुर को पंजाब भेजे जाने के बाद दूसरा अखंड पाठ नांदेड़ में आयोजित किया गया। अखंड पाठी अर्थात ग्रंथ के पाठक, भाई गुरबख्श सिंह, बाबा दीप सिंह, भाई धर्म सिंह, भाई संतोख सिंह और भाई हरि सिंह (जो गुरु गोबिंद सिंह की दैनिक डायरी लिखते थे) थे। गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुत्व देने से पहले गुरु ने इस अखंड पाठ का पालन किया और फिर आदि ग्रंथ को सिखों के शाश्वत गुरु के रूप में घोषित किया। कहा जाता है की किसी भी युद्ध से पूर्व सिख एक अखंड पाठ सुनते थे, और फिर युद्ध की तैयारी करते थे। मुगलों द्वारा पकड़ी गई 18,000 स्वदेशी महिलाओं को छुड़ाने के लिए निकलने से पहले सिखों के लिए एक अखंड पाठ की व्यवस्था की गई थी। 1742 में, जब सिख पंजाब के जंगलों में थे, बीबी सुंदरी नाम की एक सिख महिला योद्धा ने मरने से ठीक पहले एक अखंड पाठ की मांग की। वह वहां गुरु ग्रंथ साहिब के बगल में लेट गई और इस पथ का पूरा पाठ सुना। कीर्तन, अरदास और हुकम के बाद, उन्होंने करह प्रसाद प्राप्त किया। आखिर में "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह" का उच्चारण करते हुए अंतिम सांस ली। इस प्रकार 48 घंटों के भीतर अखंड पाठ प्रस्तुत करने की परंपरा शुरू हुई। अखंड पाठ को जोर से, स्पष्ट और सही ढंग से पढ़ा जाना चाहिए। पाठ को सुनने वाले सभी व्यक्तियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे पढ़े जाने वाले छंदों को समझने में सक्षम हों।

संदर्भ
https://bit.ly/3wYpjrq
https://bit.ly/3x3cYCr
https://bit.ly/3Frm8vi
https://en.wikipedia.org/wiki/Akhand_Path
https://en.wikipedia.org/wiki/Guru_Granth_Sahib

चित्र संदर्भ   
1. गुरु ग्रंथ साहिब जी का पठन करते सिख संत, को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. गुरु ग्रंथ साहिब को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. गुरु ग्रंथ साहिब जी का पठन करते सिख ;बालक को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. युद्ध के मैदान में सिख महिला योद्धा को दर्शाता एक चित्रण (facebook)



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id