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इमरती का नाम लेते ही जौनपुर का नाम आप ही दिमाग में घूम जाता है, यहाँ की प्रसिद्ध इमरती अपने अलग ही महक, स्वाद व आकार के लिये जानी जाती है। जौनपुर एक ग्रामीण जिला है जहाँ पर खेती प्रमुख व्यवसाय के रूप में देखा जाता है। जौनपुर की सम्पूर्ण कार्यरत जनसंख्या की 60 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या कृषी या उससे जुड़े व्यवसायों से जुड़ी हैं। इमरती एक प्रकार की स्वादिष्ट मिठाई हैं जो भारत एवं इसके आस पास के देशों में मुग़ल रसोइयों द्वारा लायी गयी थी। यह उरद दाल के पिसी गयी मिश्रण को तेल में तलकर बनाई जाती हैं। इसका आकर गोल एवं फूलों की तरह होता हैं। तलने के बाद इसे चीनी के चासनी में डाला जाता है। इस व्यंजन को जलेबी भी कुछ लोग गलती से समझ लेते हैं, जो आकार में इससे थोड़ी पतली एवं इमारती से एवं ज्यादा मीठी होती हैं। जौनपुर में इमरती तो बहोत पहले से बनती आ रही है परन्तु इमरती का व्यवसाय 1855 में बड़े पैमाने पर शुरु हुआ। इमरती के साथ-साथ जौनपुर अपने यहाँ के आलू के पैदावार के लिये भी जाना जाता है। आलू के बड़े पैमाने पर उत्पाद के कारण ही यहाँ पर कई कम्पनियाँ आयीं जिनमें से पेप्सी, पार्ले प्रमुख हैं। जौनपुर जिला पूर्वी उत्तरप्रदेश के गंगा के उर्वर मैदान पर बसा हुआ है। इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 4038 वर्ग किलोमीटर है। जौनपुर का भुगोल पूर्ण रूप से मैदानी है। यदा-कदा मिट्टी के टीले यहाँ पर दिखाई दे जाते हैं अन्यथा यहाँ की पूरी भूमि समतल है। जिले को पाँच नदियाँ सींचती हैं- सई, गोमती, बसुही, पीली व वरूणा। इन नदियों में सई व गोमती नदी प्रमुख हैं, गोमती नदी वाराणसी के नखवन में गंगा से मिलती है तथा सई गोमती में त्रिलोचन महादेव जौनपुर में मिलती है। जिले में कुल 4232 तालाब हैं। शारदा सहायक नहर परियोजना के अंतर्गत जौनपुर जिले में नहरों का जाल बिछाया गया है तथा यहाँ पर कई प्राकृतिक नालों की भी उपस्थिती है। जिले में प्रमुख दो प्रकार की मिट्टी पायी जाती है, 1- बलुई दोमट तथा 2- चिकनी मिट्टी। यहाँ सलाना 987 से.मी. वर्षा होती है। जिले में आद्रभूमि (दलदली), परती भूमि, खेतिहर भूमि व जलीय भूमि की उपलब्धता है। उपरोक्त दिये मिट्टी के प्रकारों, जल की व्यवस्था, भूमि के प्रकारों में व्याप्त विविधिता जौनपुर जिले को विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के रहने योग्य माहौल का निर्माण करती है। यह एक प्रमुख कारण है कि जौनपुर में प्रति हेक्टेयर 121 क्विंटल आलू की पैदावार हो जाती है जो कि उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों से ज्यादा है। आलू के ज्यादा पैदावार की वजह से कई कम्पनियाँ यहाँ पर अपने प्लान्ट लगा रही हैं जिनके वजह से रोजगार में ईज़ाफा हो रहा है।