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यदि किसी व्यक्ति को छोटी-छोटी बातों में क्रोध अथवा गुस्सा आ जाता है, तो उसे प्रायः "गर्म खून वाला
आदमी" कहा जाता है। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टि से यह अभी भी अस्पष्ट है। किंतु जानवरों के संदर्भ में यह
निश्चित तौर पर कहा जा सकता है की उनमे खून के ठंडे अथवा गर्म होने पर कई व्यवहारिक भिन्नताएं
देखी जा सकती हैं। साथ की कई जानवर अपने भीतर की गर्मी असाधारण रूप से संतुलित भी कर सकते हैं।
प्रायः जानवरों के साम्राज्य को दो समूहों में विभाजित किया जा सकता है। पहला गर्म रक्त वाले जानवर,
ऐसे जानवरों में आमतौर पर स्तनधारी और पक्षी आते हैं, जो आस पास के परिवेश की परवाह किए बिना
अपने शरीर के तापमान को बनाए रखने में सक्षम होते हैं। वहीं दूसरी और ठंडे खून वाले सरीसृप, उभयचर,
कीड़े, अरचिन्ड और मछली जैसे जानवर आते हैं। ठंडे खून वाले जानवरों का रक्त "ठंडा" नहीं होता है, जिस
कारण उनके शरीर का तापमान पर्यावरण के आधार पर नाटकीय रूप से बदल सकता है। आज वैज्ञानिक
जानवरों के दो प्रमुख वर्गों को बेहतर ढंग से परिभाषित करने के लिए एंडोथर्म (Endotherms) तथा
एक्टोथर्म (Endotherms) का प्रयोग करते हैं।
1. एंडोथर्म (Endotherms): एंडोथर्म ऐसे जानवर होते हैं, जो अपने चयापचय (metabolism) के
परिणामस्वरूप अपने शरीर के तापमान को स्थिर रखते हैं, दरअसल जीवन को बनाए रखने के लिए एक
जीवित जीव के भीतर होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं को चयापचय कहा जाता है। इनकी कोशिकाएँ
मशीनों की भांति कार्य करती हैं, जो शरीर में ऊर्जा तथा वृद्धी के लिए निरंतर रसायनों का निर्माण करती
हैं। हालांकि इस प्रक्रिया के दौरान उनकी ऊर्जा का ह्रास भी होता है। एंडोथर्म शरीर में गर्मी बनाए रखने या
इसे पर्यावरण में छोड़ने के लिए वसा, पसीने की ग्रंथियों, फर (Fur) और पंखों से युक्त विशिष्ट प्रणाली का
प्रयोग करते हैं।
2. एक्टोथर्म (Ectotherms): एक्टोथर्म ऐसे जानवर होते हैं, जिनमे चयापचय प्रक्रिया से शरीर में गर्मी
उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती। यदि वातावरण ठंडा हो तो एक्टोथर्म का चयापचय भी धीमा हो जाता
है, और उनकी गति निश्चित तौर पर कम हो जाती है। यही कारण है कि सरीसृप, तितलियों और अन्य
एक्टोथर्म को सुबह-सुबह धूप सेंकते हुए देखा जा सकता है, क्यों की ऐसा करने से उनके शरीर का तापमान
बढ़ जाता है, और उनकी कोशिकाओं में रासायनिक गतिविधि भी तेज हो जाती है। और यदि उनकी
मांसपेशियां गर्म होती हैं, तो वे अधिक दक्षता से काम करती हैं।
एक्टोथर्म आमतौर पर दिन के दौरान भोजन करते हैं, जिस दौरान सूरज की गर्मी मिलने से उनकी
मांसपेशियां बेहतर ढंग से करती है। कुछ ठंडे क्षेत्रों में रहने वाले निशाचर एक्टोथर्म गर्मी के लिए "प्रतीक्षा
और जाल" तकनीकों का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए गिरगिट ऐसा एक्टोथर्म है, जो तुलनात्मक रूप
से बहुत कम ऊर्जा का उपयोग करता है, साथ ही वह अपनी चिपचिपी जीभ से काफी दूरी पर कीट के आने
की प्रतीक्षा में घटों बैठ सकता है।
एंडोथर्म वर्ग के जानवरों को पर्यावरण की परवाह किए बिना अपने शरीर के तापमान को स्थिर रखने में
बहुत अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। यही कारण है की स्तनधारियों और पक्षियों को बार-बार भोजन की
आवश्यकता पड़ती है। दूसरी ओर, एक्टोथर्म लंबे समय तक बिना खाए रह सकते हैं। यदि आसपास कोई
भोजन नहीं है, तो उनका चयापचय धीमा हो सकता है, क्योंकि उन्हें शरीर के तापमान को बनाए रखने के
लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। यही कारण है की वयस्क सांप खाने के बिना महीनों
तक जीवित रह सकते हैं।
एक्टोथर्मी और एंडोथर्मी कई अन्य भिन्नताएं भी रखते हैं, उदाहरण के तौर पर एक्टोथर्म अपने शरीर के
तापमान को ज्यादातर बाहरी ऊष्मा स्रोतों जैसे सूर्य के प्रकाश ऊर्जा के माध्यम से बढ़ाते हैं, इसलिए वे
परिचालन शरीर के तापमान तक पहुंचने के लिए पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। वहीं
एंडोथर्मिक जानवर ज्यादातर चयापचय सक्रिय अंगों और ऊतकों (यकृत, गुर्दे, हृदय, मस्तिष्क,
मांसपेशियों) या भूरे वसा ऊतक (बीएटी) जैसे विशेष गर्मी पैदा करने वाले ऊतकों के माध्यम से आंतरिक
गर्मी उत्पादन का उपयोग करते हैं। सामान्य तौर पर, एंडोथर्म में किसी दिए गए शरीर द्रव्यमान पर
एक्टोथर्म की तुलना में उच्च चयापचय दर होती है। चूंकि एक्टोथर्म शरीर के तापमान के नियमन के लिए
पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं, वे आम तौर पर रात में और सुबह में अधिक सुस्त होते हैं, वे
पहली धूप में गर्म होने के लिए अपने आश्रयों से निकलते हैं। इसलिए अधिकांश कशेरुकी एक्टोथर्म में
फोर्जिंग गतिविधि दिन के समय (दैनिक गतिविधि पैटर्न) तक सीमित है।
हालांकि अधिकांश एंडोथर्म "गर्म-खून वाले" और अधिकांश एक्टोथर्म "ठंडे-खून" वाले होते हैं, वही कुछ
जानवर दोनों समूहों की विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं, जिन्हे हेटेरोथर्म कहा जाता है।
उदाहरण के तौर एक भौंरा पर आराम करने के दौरान पारंपरिक एक्टोथर्म की तरह व्यवहार करता है।
चमगादड़ और गिलहरी की कुछ प्रजातियाँ आराम करते समय अपने चयापचय को धीमा कर सकती हैं।
परिणाम स्वरुप उनके शरीर का तापमान, जो सक्रिय रहते हुए गर्म होता है, वह स्पष्ट रूप से गिर सकता है।
हाल ही वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि, गहरे पानी में रहने वाली शिकारी मछली ओपाह अपने खून को
आसपास के पानी की तुलना में गर्म रखती है, जो अपने पेक्टोरल पंखों को तेजी से फड़फड़ाकर और इसके
गलफड़ों में विशेष रूप से डिज़ाइन की गई रक्त वाहिकाओं के माध्यम से इस मांसपेशी गतिविधि द्वारा
उत्पन्न गर्मी को "बचाने" का काम करती है।
वैज्ञानिकों ने इस संदर्भ में तीन अलग-अलग मॉडल प्रस्तावित किए हैं, कि एंडोथर्म उच्च, स्थिर शरीर के
तापमान का विकास क्यों करते हैं।
1. पहले दावे के अनुसार यह शारीरिक प्रक्रियाओं में सहायता करता है।
2. दूसरा, कि यह जानवरों को लंबे समय तक गतिविधि बनाए रखने में मदद करता है।
3. तीसरा, यह माता-पिता को समयपूर्व संतानों की देखभाल करने में सक्षम बनाता है। हालांकि, इनमें से
किसी भी मॉडल को मजबूत समर्थन नहीं मिला है और एंडोथर्मी का विकासवादी इतिहास कुछ हद तक एक
रहस्य बना हुआ है।
संदर्भ
https://wapo.st/3m7obhb
https://bit.ly/3B5x2nN
https://en.wikipedia.org/wiki/Endotherm
चित्र संदर्भ
1. ध्रुवीय भालू का एक चित्रण (science)
2. दो शुतुरमुर्गों की थर्मोग्राम छवि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. दोपहर के समय धूप में तपते हुए अमेरिकी घड़ियाल का एक चित्रण (wikimedia)
4. शिकार को पकडे गिरगिट का एक चित्रण (wikimedia)
5. शिकारी मछली ओपाह का एक चित्रण (sciencenews)
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