अंतरिक्ष मौसम की पृथ्वी के साथ परस्पर क्रिया और इसका पृथ्वी पर प्रभाव

जौनपुर

 22-10-2021 08:24 AM
जलवायु व ऋतु

सूर्य की सतह पर गतिविधि एक प्रकार के मौसम का निर्माण करती हैं जिसे अंतरिक्ष मौसम (Space weather) कहा जाता है। अंतरिक्ष मौसम अंतरिक्ष भौतिकी और एरोनॉमी (Aeronomy), या हेलियोफिजिक्स (Heliophysics) की एक शाखा है, जो सौर मंडल के भीतर समय की बदलती परिस्थितियों से संबंधित है,जो पृथ्वी के आसपास के स्थान पर महत्व देती है, जिसमें मैग्नेटोस्फीयर (Magnetosphere), आयनोस्फीयर (Ionosphere), थर्मोस्फीयर (Thermosphere) और एक्सोस्फीयर (Exosphere) की स्थितियां शामिल हैं। अंतरिक्ष मौसम पृथ्वी के वायुमंडल (क्षोभमंडल और समताप मंडल) के स्थलीय मौसम से अलग लेकिन अवधारणात्मक रूप से संबंधित है। अंतरिक्ष मौसम शब्द का प्रयोग पहली बार 1950 के दशक में किया गया था और 1990 के दशक में आम उपयोग में आया।कई शताब्दियों तक, अंतरिक्ष मौसम के प्रभावों को देखा गया लेकिन समझा नहीं गया। उच्च अक्षांशों पर लंबे समय से ऑरोरल (Auroral) प्रकाश का प्रदर्शन देखा गया है।
जैसा कि हम में से अधिकांश लोग यह जानते हैं कि सूर्य पृथ्वी से लगभग 93 मिलियन मील (150 मिलियन किलोमीटर) दूर है। लेकिन फिर भी, अंतरिक्ष का मौसम पृथ्वी और बाकी सौर मंडल को प्रभावित कर सकता है।सूर्य हमेशा अंतरिक्ष में गैस और कण उगलता रहता है तथा कणों के इस प्रवाह को सौर हवा के रूप में जाना जाता है। ये गैस और कण सूर्य के गर्म बाहरी वातावरण से आते हैं, जिसे कोरोना (Corona) कहा जाता है।कोरोना के ये कण बिजली से चार्ज (Charge) होते हैं। सौर हवा इन कणों को एक लाख मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर ले जाती है! पृथ्वी में चुंबकीय बल गतिविधि का एक क्षेत्र है, जिसे चुंबकीय क्षेत्र कहा जाता है। यह गैसों के एक आवरण से भी घिरा हुआ है, जिसे वायुमंडल कहा जाता है।हमारा चुंबकीय क्षेत्र और वातावरण एक दृढ़ ढाल की तरह काम करते हैं, जो हमें अधिकांश सौर पवन विस्फोटों से बचाते हैं। अधिकांश आवेशित कण पृथ्वी की ढाल में दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं और उसके चारों ओर प्रवाहित हो जाते हैं। ये कण सूर्य के सामने आने वाले चुंबकीय क्षेत्र के किनारे को निचोड़ते हुए उसे समतल करते हैं। चुंबकीय क्षेत्र का दूसरा पक्ष एक लंबी, अनुगामी भाग में फैला हुआ है। वहीं विभिन्न प्रकार के अंतरिक्ष मौसम पृथ्वी पर विभिन्न तकनीकों को प्रभावित कर सकते हैं।सौर तेजाग्नि मजबूत ‘क्ष’ किरण उत्पन्न कर सकते हैं जो रेडियो ब्लैकआउट स्टॉर्म (Radio Blackout Storms) के रूप में जानी जाने वाली घटनाओं के दौरान रेडियो संचार के लिए उपयोग की जाने वाली उच्च-आवृत्ति वाली रेडियो तरंगों को निम्नीकृत या अवरुद्ध करते हैं।सौर ऊर्जावान कण (ऊर्जावानप्राणु) उपग्रह इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) में प्रवेश कर सकते हैं और विद्युत विफलता का कारण बन सकते हैं। ये ऊर्जावान कण सौर विकिरण तूफान के दौरान उच्च अक्षांशों पर रेडियो संचार को भी अवरुद्ध करते हैं।सूर्य द्वारा उत्पन्न एक और घटना और भी अधिक विघटनकारी हो सकती है। जिसे हम कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejections)के रूप में जानते हैं, ये पृथ्वी पर भूचुंबकीय तूफान का कारण बन सकता है और जमीन में अतिरिक्त विद्युत धाराएं उत्पन्न कर सकता है जो बिजली के संचालन को ख़राब कर सकता है।भूचुंबकीय तूफान रेडियो दिशानिर्देशन प्रणाली से संकेत को भी संशोधित कर सकते हैं, जिससे सटीकता में गिरावट आती है। भू-चुंबकीय तूफान भी ऊषाकाल उत्पन्न करते हैं। अंतरिक्ष मौसम उन लोगों को प्रभावित करेगा जो इन तकनीकों पर निर्भर हैं। वहीं कई बार अंतरिक्ष मौसम के सबसे तीव्र रूपों से पृथ्वी की रक्षा करने की एक वैध आवश्यकता को देखते हुए विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा और कणों के बड़े विस्फोट कभी-कभी लोगों के लिए चिंता का विषय बन जाते हैं,क्योंकि कुछ लोगों का यह मानना है कि ये सौर तेजाग्नि पृथ्वी को नष्ट कर सकते थे। हालांकि यह सच नहीं है।सौर गतिविधि वास्तव में वर्तमान में सौर अधिकतम के रूप में जाना जाता है, जो लगभग प्रत्येक 11 साल में होता है। हालाँकि, यही सौर चक्र सहस्राब्दियों से हुआ भी है, इसलिए 11 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति पहले से ही इस तरह के सौर अधिकतम से बिना किसी नुकसान के रह चुका है।
लेकिन यह नहीं बोल सकते हैं कि सौर तेजाग्नि पृथ्वी को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। दरसल सौर तेजाग्निकी विस्फोटक गर्मी पृथ्वी तक नहीं पहुँच सकती है, लेकिन विद्युत चुम्बकीय विकिरण और ऊर्जावान कण निश्चित रूप से पहुँच सकते हैं।सौर तेजाग्नि ऊपरी वायुमंडल को अस्थायी रूप से बदल सकते हैं, जिससे सिग्नल ट्रांसमिशन (Signal transmission) के साथ व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, जैसे कि पृथ्वी पर एक जीपीएस (GPS) उपग्रह कई गज की दूरी पर बंद हो सकता है।चीन (China) में शेडोंग विश्वविद्यालय (Shandong University) और अमेरिका (America) में नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (National Center for Atmospheric Research) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन किया है जिसमें पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर पर सौर तेजाग्नि के प्रभावों की जांच की जा सकती है। नेचर फिजिक्स (Nature Physics) में प्रकाशित उनका पेपर, नई मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जो भू-स्थान की गतिशीलता की बेहतर समझ का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।भू-अंतरिक्ष, बाहरी अंतरिक्ष का वह भाग जो पृथ्वी के सबसे निकट है, तथा ऊपरी वायुमंडल, आयनोस्फीयर (यानी, वायुमंडल का आयनित भाग) और मैग्नेटोस्फीयर शामिल हैं।मैग्नेटोस्फीयर आयनोस्फीयर के ऊपर के क्षेत्र में स्थित है और जमीन से 1000 किमी ऊपर पूरी तरह से आयनित अंतरिक्ष क्षेत्र है।यह क्षेत्र सौर हवा से घिरा हुआ है और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और सौर हवा के चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित और नियंत्रित है। मैग्नेटोस्फीयर को आमतौर पर सौर हवा और अन्य सौर कणों के खिलाफ पृथ्वी के सुरक्षात्मक अवरोध के रूप में वर्णित किया जाता है, क्योंकि यह इन कणों को ग्रह की अन्य सुरक्षात्मक परतों में प्रवेश करने से रोकता है।बहरहाल, पिछले अध्ययनों से पता चला है कि जब सौर हवा की दिशा मैग्नेटोस्फीयर के चुंबकीय क्षेत्र के विपरीत होती है, तो इन दोनों क्षेत्रों की चुंबकीय रेखाएं 'संयोजित' हो सकती हैं।एलटीआर मॉडल (LTR model) और पहले एकत्र किए गए विवरण का उपयोग करते हुए, शोधकर्ता मैग्नेटोस्फेरिक गतिकी पर और मैग्नेटोस्फीयर और आयनोस्फीयर के बीच इलेक्ट्रोडायनामिक युग्मन पर सौर तेजाग्निप्रभाव का अनावरण करने में सक्षम थे।शोधकर्ताओं द्वारा देखी गई घटना में भू-अंतरिक्ष क्षेत्र पर कई प्रभाव पड़ते हैं, जिसमें पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल के निचले जौल (Joule) परितप्त, मैग्नेटोस्फीयर संवहन का पुन: संयोजन और उषा सम्बन्धी वर्षा में परिवर्तन शामिल हैं। साथ ही उन्होंने पाया कि सौर तेजाग्नि प्रभाव पूरे भू-स्थान में इलेक्ट्रोडायनामिक युग्मन के माध्यम से फैलता है, और जैसा कि पहले माना जाता था यह वायुमंडलीय क्षेत्र में जहां विकिरण ऊर्जा अवशोषित होती है वहां तक सीमित नहीं रहता है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3G7qkS7
https://bit.ly/3m2lDRz
https://bit.ly/3B4dakW
https://go.nasa.gov/3lYXRG7
https://bit.ly/3vvqzSd

चित्र संदर्भ
1. सूर्य और पृथ्वी को दर्शाता एक चित्रण (TribuneIndia)
2. सूर्य हमेशा अंतरिक्ष में गैस और कण उगलता है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (sciencenewsforstudents)
3. पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर को दर्शाता एक चित्रण (istock)



RECENT POST

  • पूर्वांचल का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करती है, जौनपुर में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:22 AM


  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id