City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2158 | 108 | 2266 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
भारत के सुदूर लद्दाख क्षेत्र के उच्च ऊंचाई वाले निर्जन स्थान में‚ अपने कठोर
अस्तित्व के बावजूद‚ चांगथांग पठार के कश्मीरी (Cashmere) बकरी चराने वाले‚
दुनिया के कुछ सबसे नरम और सबसे बेशकीमती ऊन का उत्पादन करते हैं।
कश्मीरी ऊन (Cashmere wool)‚ जिसे आमतौर पर कश्मीरी (cashmere) के
रूप में जाना जाता है‚ कश्मीरी बकरियों‚ पश्मीना बकरियों और बकरी की कुछ
अन्य नस्लों से प्राप्त फाइबर है। इसका उपयोग सैकड़ों वर्षों से सूत‚ वस्त्र और
कपड़ा बनाने के लिए किया जाता रहा है। “कश्मीरी” (“cashmere”) शब्द कश्मीर
(Kashmir) की एक पुरानी वर्तनी से आया है‚ वह क्षेत्र जहां इसका उत्पादन और
व्यापार शुरू हुआ था। कश्मीरी बकरी के नरम तथा मोटे दोनों बालों का इस्तेमाल
किया जाता है; नरम बाल वस्त्रों के लिए आरक्षित होते हैं‚ जबकि मोटे खुरदुरे
बालों का उपयोग ब्रश और अन्य गैर-परिधान उद्देश्यों के लिए किया जाता है। कई
देश कश्मीरी का उत्पादन करते हैं‚ और पिछले कुछ वर्षों में प्रसंस्करण तकनीकों
में काफी सुधार भी हुआ है।
2019 तक चीन (China) और मंगोलिया (Mongolia) दो सबसे प्रमुख उत्पादक
रहे हैं‚ तथा अफगानिस्तान (Afghanistan) उत्पादन के तीसरे स्थान पर था।
कश्मीरी उत्पादन मूल रूप से 13 वीं शताब्दी के आसपास कश्मीर (Kashmir) क्षेत्र
में शुरू हुआ था। 19 वीं शताब्दी तक‚ ईरानी और भारतीय शासकों द्वारा धार्मिक
और राजनीतिक समारोहों के लिए कश्मीरी शॉल का उपयोग किया जाता था। 18
वीं शताब्दी में‚ यूरोपीय (Europeans) लोगों ने कपड़े की खोज की और इसे यूरोप
में आयात करना शुरू कर दिया‚ विशेष रूप से स्कॉटलैंड (Scotland) और फ्रांस
(France) में‚ जहां इसकी लोकप्रियता का सबसे अधिक विस्फोट हुआ।
कश्मीरी ऊन‚ बकरीयों से प्राप्त होती है‚ जो हिमालय में पाई जाती हैं‚ जहां
तापमान -30 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। यह नस्ल मंगोलिया‚ दक्षिण
पश्चिम चीन‚ ईरान‚ तिब्बत‚ उत्तरी भारत और अफगानिस्तान के बीच भी पाई
जाती है। कश्मीरी बकरी (cashmere goat)‚ बकरीयों की एक प्रजाति है‚ जो
व्यावसायिक गुणवत्ता और मात्रा में कश्मीरी ऊन‚ बकरी की महीन‚ मुलायम‚ नीची‚
सर्दियों की अंडरकोट का उत्पादन करती है। यह अंडरकोट दिन की लंबाई कम होने
के साथ बढ़ता है और मोटे बालों के बाहरी कोट से जुड़ा होता है‚ जो पूरे साल
मौजूद रहता है और इसे गार्ड हेयर (guard hair) कहा जाता है। उनके ठंडे आवास
के कारण वे एक अविश्वसनीय रूप से मोटी‚ गर्म कोट विकसित करते हैं। डेयरी
बकरियों (dairy goats) सहित अधिकांश आम बकरी की नस्लें‚ इस दो-लेपित ऊन
को उगाती हैं। कश्मीरी बकरियों में बालों की दो परतें होती हैं‚ मोटे वायरी गार्ड
बाल और एक सुपर-सॉफ्ट कश्मीरी अंडरकोट। मुलायम बाल माध्यमिक कूप द्वारा
तथा मोटे गार्ड बाल प्राथमिक कूप द्वारा निर्मित होते हैं।
कश्मीरी (Cashmere)‚ दुनिया में सबसे नरम रेशों में से एक होने के लिए जाना
जाता है‚ इसके पतले बालों द्वारा इसे अविश्वसनीय रूप से नरम‚ शानदार कपड़ों
में बुना जा सकता है और यह काफी लंबे समय तक चलते हैं। इसे तैयार करने
की नाजुक प्रक्रिया‚ नरम रेशे‚ समय तथा मेहनत इसे अन्य प्रकार के ऊन की
तुलना में ज्यादा महंगा बनाती है। जहां एक भेड़ हर साल कम से कम 3 किलो
ऊन का उत्पादन कर सकती है‚ वहीं एक कश्मीरी बकरी आपको केवल 200 ग्राम
तक ही देती है। प्रत्येक बकरी का उत्पादन कम मात्रा में होने के कारण आपूर्ति
गंभीर रूप से सीमित होती है‚ और रेशों को वर्ष में केवल एक ही बार एकत्र किया
जा सकता है। इसके रेशों की कटाई करते समय जब ग्रीस‚ गंदगी‚ घने बालों और
अनावश्यक तत्वों को हटा दिया जाता है‚ तब भी इसके उपयोग करने योग्य
बालों का वजन आधा हो जाता है। कश्मीरी‚ अभी भी दुनिया के कुल ऊन उत्पादन
का केवल 0.5% ही बनाता है। शुद्ध कश्मीरी को संसाधित करने में बहुत समय
तथा मेहनत लगती है। तंतुओं को पहले सही रंग में रंगा जाता है और उन्हें आपस
में टकराने से रोकने के लिए वातित किया जाता है। कश्मीरी की कोमलता के
कारण‚ इसे तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में नाजुक ढंग से व्यवहार करने की
आवश्यकता होती है‚ कोई भी रसायन या अधिक प्रसंस्करण फाइबर को नुकसान
पहुंचा सकता है। फिर तंतुओं को कार्ड किया जाता है‚ एक ऐसी प्रक्रिया जो बालों
को पतली चादरों में उलझाती है और रेखाबद्ध करती है ताकि उन्हें एक धागे में
काटा जा सके। कश्मीरी की गुणवत्ता को उसकी सुंदरता और लंबाई पर वर्गीकृत
किया जाता है‚ और उच्च गुणवत्ता वाले व्यक्तिगत कश्मीरी बाल 14 माइक्रोमीटर
जितने पतले हो सकते हैं।
महामारी के दौरान लक्जरी फाइबर की मांग में गिरावट देखी गई है। वर्षों से
कश्मीरी उत्पादन‚ विस्फोटक मांग को पूरा नहीं कर पा रहे थे। लक्ज़री समूहों के
विस्तार और बढ़िया बुनाई पैरोकार के कारण आपूर्ति श्रृंखला लगभग चरमरा गई
थी। लेकिन अब महामारी के कारण उत्पादक‚ बहुत अधिक उत्पाद से दुखी है‚
क्योंकि वैश्विक व्यापार अनिवार्य रूप से रुक गया है। कश्मीरी बकरियों को चराने
के लिए व्यापक भूमि की आवश्यकता होती है‚ और उनकी सामूहिक चराई तेजी से
शुष्क‚ पहाड़ी क्षेत्र में मरुस्थलीकरण में योगदान दे रही है। मंगोलिया (Mongolia)
दुनिया के 40 प्रतिशत कश्मीरी का उत्पादन करता है‚ यह चीनी (Chinese)
खरीदारों पर बहुत अधिक निर्भर है‚ जो अतिरिक्त प्रसंस्करण के लिए ऊन खरीदते
हैं‚ ताकि इसे कपड़ों में बदलने के लिए फिर से बेचा जा सके। मंगोलिया कश्मीरी
उत्पादन से इतना जुड़ा हुआ है कि प्राकृतिक बाल दुनिया भर में देश का शीर्ष गैर-
खनिज निर्यात बना हुआ है। कोविड-19 महामारी द्वारा लाए गए गंभीर आर्थिक
माहौल ने यूरोपीय (European) खरीदारों को ऑर्डर रद्द करने का कारण दिया है।
निजी क्षेत्र के लिए‚ चरवाहों और अन्य स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को लक्जरी समूहों
से बहुत कम समर्थन प्राप्त होता है।
एलवीएमएच (LVMH) के सहभागी लोरो
पियाना (Loro Piana) ने कश्मीरी चरवाहों के बारे में एक वृत्तचित्र बनाया‚ जिसमें
दर्शाया गया था कि कैसे कश्मीरी चरवाहे‚ स्थानीय समुदायों को अपनी बकरियों के
नरम अंडरबेली बालों की वैश्विक मांग के अनुरूप‚ पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन
बहाल करने में समर्थन करते हैं। गुच्ची (Gucci) और बोट्टेगा वेनेटा (Bottega
Veneta) जैसे ब्रांडों के मालिक‚ केरिंग (Kering) ने भी लोगों के साथ काम करके
दीर्घकालिक विकास के लिए‚ कश्मीरी की स्थिरता में सुधार की सार्वजनिक घोषणा
की है। लेकिन अभी तक‚ इस संकट में‚ किसी भी समूह ने उन चरवाहों के लिए
वित्तीय सहायता की पेशकश नहीं की है‚ जिन्होंने महामारी के परिणामस्वरूप
अपनी आजीविका खो दी है।
सस्ते कश्मीरी उत्पाद हाल ही में बेहद लोकप्रिय हो गए हैं। ये कम कीमत के लिए
कश्मीरी (Cashmere) की गुणवत्ता की पेशकश करने का दावा करते हैं‚ जिनमें
उत्पादक‚ कश्मीरी के निचले ग्रेड का उपयोग करते हैं‚ या अंतिम परिणाम को और
अधिक किफायती बनाने के लिए विभिन्न प्रसंस्करण विधियों का उपयोग करते हैं।
और जब वे तुलनात्मक रूप से सस्ते होते हैं‚ तब भी वे आमतौर पर ऊन की
कीमत से कम से कम दोगुने होते हैं। गलत लेबलिंग के भी चरम मामले सामने
आए हैं‚ और माना जाता है कि कुछ 100% कश्मीरी उत्पादों में याक के बाल या
चूहे के फर भी पाए गए हैं।
यदि आपको वास्तव में एक सस्ता उत्पाद मिलता है
जो कश्मीरी होने का दावा करता है‚ तो यह सच होना बहुत मुश्किल है कि वह
शुद्ध कश्मीरी उत्पाद हो। कश्मीरी युक्त के रूप में विपणन किए गए कुछ धागों
और कपड़ों में कश्मीरी फाइबर कम या बिल्कुल नहीं पाया गया है‚ इसलिए यह
सुनिश्चित करने के लिए और अधिक कड़े परीक्षण का अनुरोध किया गया है‚
ताकि वस्तुओं का उचित प्रतिनिधित्व हो सके। खराब भूमि प्रबंधन और मूल्यवान
फाइबर के उत्पादन को बढ़ाने के लिए‚ अतिचारण के परिणामस्वरूप एशिया
(Asia) में घास के मैदानों का विनाश और परिवर्तन हुआ है‚ जिससे स्थानीय
तापमान और वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3FuL4mC
https://bit.ly/3a6WwpW
https://bit.ly/3uGKJbr
https://bit.ly/2YlcUjS
https://bit.ly/33zoGUO
https://bit.ly/3mvOVXX
https://bit.ly/3izjpXU
चित्र संदर्भ
1. कश्मीरी बकरी तथा ऊन का एक चित्रण (
Pixabay,wikimedia)
2. कश्मीरी ऊन से निर्मित कपड़ों का एक चित्रण (libreshot)
3. कश्मीरी बकरी का एक चित्रण (istock)
4. झुण्ड में कश्मीरी बकरियों को दर्शाता एक चित्रण (istock)
5. बेहद नरम कश्मीरी कपड़ों का एक चित्रण (istock)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.