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हम अक्सर सुनते हैं की, तकनीक ने इंसानों के कई जटिल कामों को आसान कर दिया है।
लेकिन वास्तव में तकनीक ने इतनी अधिक प्रगति कर ली है की, अब यह प्रकृति के काम को
भी आसान करने लगी है। साथ ही प्रकृति और तकनीक का शानदार समावेश न केवल लोंगो
को अचंभित कर रहा है, वरन इंसानी सभ्यता के लिए अति लाभदायक भी साबित हो रहा है।
खेती के संदर्भ में कुदरत और मशीनों की अद्भुत साझेदारी को हाइड्रोपोनिक फार्म
(Hydroponic Farm) नाम दिया गया है।
दरसअल समय के साथ प्राकृतिक संसाधनों और समय की कमी ने इंसानों को भोजन और
पोषण प्राप्त करने के नए माध्यमों पर विचार करने को मजबूर कर दिया है, और भोजन
उपलब्ध कराने की इन्ही आवश्यकताओं के परिणाम स्वरुप हाइड्रोपोनिक्स बागवानी या
पौधों को उगाने की एक ज़बरदस्त विधि का विकास हुआ। आश्चर्य की बात यह है की,
बागवानी करने की इस प्रकिया में मिट्टी का इस्तेमाल किये बिना, आप फल अथवा
सब्जियों जैसे कृषि उत्पाद केवल पानी में उगा सकते हैं।
साथ ही बिना मिट्टी के यह पोंधे,
मिट्टी में उगाये जाने वाले पोंधों की तुलना में अधिक तेज़ी से विकास करते हैं, एवं अधिक
स्वस्थ भी माने जाते हैं। यह पारंपरिक पौधों के समान ही स्वादिष्ट और ताजे भी होते हैं।
तकनीकी सहायता और बेहद कम अथवा नगण्य प्राकृतिक संसाधनों के साथ की गई, यह
खेती दुनियाभर में तेज़ी से अपनाई जा रही है, और लोकप्रियता हासिल कर रही है। हालांकि
भारत जैसे देशों में मशीनों और संसाधनों पर अधिक खर्चे के कारण हाइड्रोपोनिक फार्म की
खेती परंपरिक खेती की तुलना में अधिक खर्चीली साबित हो सकती है।
अपनी भूमि में इस खेती को करने के लिए फ़ूड ग्रेड प्लास्टिक (Food grade plastic) से
निर्मित ट्रे (Trays), ट्यूब (tubes) और दूसरी इमारत जैसी संरचनाओं की आवश्यकता
पड़ती है, अतः भारत में प्रति 1,000 वर्ग फुट में बुनियादी ढांचे की लागत 50,000 या उससे
भी अधिक हो सकती है। इसके अतिरिक्त प्लंबिंग सिस्टम और ऑटोमेशन (plumbing
systems and automation) जैसे सेंसर (sensors), कंट्रोलर (controllers), वाटर पंप
(water pumps), और बिजली आदि वस्तुओं तथा सेवाओं पर और अधिक लागत लगती
है। ढांचा तैयार हो जाने के बाद भी अंदर का तापमान संतुलित करने और पानी को शुद्ध
करने के साथ-साथ पोंधों के लिए मानव निर्मित पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, पोटेशियम,
कैल्शियम नाइट्रेट, फास्फोरस और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे मैंगनीज और जस्ते आदि
के विकास में भी पर्याप्त खर्चा आ जाता है।
भारत में इस खेती के विकास संबंधी एक अन्य समस्या यह भी है की, यहां पर कृषक
समुदाय में तकनीकी ज्ञान, शिक्षा और जागरूकता की भी कमी है। चूंकि इस खेती के संदर्भ
में तापमान और आद्रता प्रबंधन का सटीक ज्ञान होना आवश्यक है, और तापमान को
संतुलित करने में की गई छोटी सी गलती भी बड़े भारी परिणाम दे सकती है। हालांकि
किसानों की आनेवाली पढ़ी लिखी पीढ़ी और शिक्षित युवा इस खेती की और रुख करें, तो
निश्चित तौर पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
हमारी पिछली पोस्ट में हमने अंतरिक्ष में भोजन प्रक्रिया के विकास
के बारे में जाना, अतः धरती से कई मील दूर भी बिना मिट्टी की यह खेती संभवतः सफल हो
सकती है।
हालांकि पहले हाइड्रोपोनिक फसलों के बारे में एक मिथक यह था की, इस प्रक्रिया से उगाई
गई सब्जियां स्वादिष्ट नहीं होती, लेकिन अब आम सहमति यह है कि “ हाइड्रोपोनिक उपज
पारंपरिक फसलों की तुलना में ताजा और अधिक स्वादिष्ट होती है।” धीरे-धीरे हाइड्रोपोनिक
उत्पादों के लिए रेस्तरां बाजार भी बढ़ रहा है। जानकार मानते हैं की पर्यावरण के संरक्षण के
संदर्भ में भी, हाइड्रोपोनिक फार्म एक बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं।
इस खेती के अंतर्गत मुख्यतः चौड़ी पत्तेदार सब्जियों को उगाने पर ध्यान केंद्रित है।
उदाहरण के तौर पर हाइड्रोपोनिक फार्म में पालक, केल (kale), अरुगुला (arugula), रोमेन
लेट्यूस (romaine lettuce) और कोलार्ड ग्रीन्स (collard) जैसे उत्पाद प्रचुरता से उगाये
जा सकते हैं। साथ ही इस वातावरण में सूक्ष्म जड़ी बूटियां जैसे पुदीना, लैवेंडर, तुलसी,
अजवायन, मेंहदी और सीताफल भी पनप सकते हैं। ईडन ग्रीन टेक्नोलॉजी (Eden Green
Technology) फलों और अन्य सब्जियों जैसे स्ट्रॉबेरी, टमाटर, मिर्च, स्नैप मटर, और खीरे
के साथ भी प्रयोग कर रही है। चूंकि प्रद्योगिकी निरंतर विकास कर रही है, अतः भविष्य में
निश्चित रूप इस इस सूची में और अधिक पोंधे जोड़े जाएंगे।
कृषकों के साथ ही खरीदारों को भी इस खेती से कई लाभ पहुंच सकते हैं: जैसे
हाइड्रोपोनिक उपज पारंपरिक फसलों की तुलना में ताजा और अधिक स्वादिष्ट होती है। यह
खरीदारों के रेफ्रिजरेटर में लंबे समय तक सकती है। साथ ही इसमें उगाई गई सब्जियां
बेमौसम भी उपलब्ध हो सकती हैं।
हाइड्रोपोनिक पौधे का विकास पूरी तरह कृषकों पर निर्भर करता है। सूर्य के संपर्क, तापमान,
और बढ़ती प्रक्रिया में पोषक तत्व खपत आदि को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है,
इसलिए सर्वोत्तम स्वाद प्राप्त करने लिए किसान वातारण में भी हेरफेर कर सकते हैं,
जिससे अधिक पैदावार और स्वादिष्ट फसल हो सकती है।
ग्रीनहाउस के भीतर प्रकाश के स्तर को समायोजित करके पत्तियों को बड़ा, नरम अथवा
तेलीय (oily) बनाया जा सकता है। और रही बात स्वाद की तो उसके लिए एक अन्य
महत्वपूर्ण घटक पौधों के पोषक तत्व हैं, साथ ही पानी भी एक महत्वपूर्ण कारक है।
एक स्वादिष्ट पौंधा पाने के लिए, उचित जल स्तर सुनिश्चित करना और उचित पोषक
तत्वों को ध्यान से शामिल करना महत्वपूर्ण है। हाइड्रोपोनिक फार्म इनडोर ग्रीनहाउस फार्म
(indoor greenhouse farms) हैं जो मिट्टी के बजाय, पोषक तत्वों से भरपूर पानी के
घोल का उपयोग करते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/2XaLs8b
https://bit.ly/3tAgQc5
https://bit.ly/3E9tWSG
चित्र संदर्भ
1. हाइड्रोपोनिक फार्म का एक चित्रण (wikimedia)
2. हाइड्रोपोनिक फार्म को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. हाइड्रोपोनिक प्रणाली से फूलों के उद्पादन का एक चित्रण (flickr)
4. हाइड्रोपोनिक डाइग्राम का एक चित्रण (stock.adobe)
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