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2014 में, हर नई कार के लिएएक पुरानी कार बेची गई थी। लेकिन यह चलन अब तेजी से
बदल रहा है।खासकर 2019 में हुई आर्थिक मंदी के बाद और 2020 में फैली महामारी के साथ।
ऐसा इसलिए है, क्यों कि इन दोनों ही समय में लोगों ने सस्ती व्यक्तिगत गतिशीलता को
प्राथमिकता दी है। वित्त वर्ष 2021 में भारत ने लगभग 440 लाख पुरानी कारों को बेचा जबकि
इसी वर्ष नई कारों की बिक्री केवल 270 लाख थी। इस्तेमाल की गई कारों का बाजार वित्त वर्ष
2020 में लगभग 420 लाख से मामूली रूप से बढ़ा है, जिसका मुख्य कारण कम आपूर्ति है।
यह इस्तेमाल की गयी कारों के बाजार के संभावित विकास के खिलाफ एक बड़ी चुनौती है, क्यों
कि नया कार बाजार सिकुड़ता जा रहा है।
जैसा कि हम जानते ही हैं, कि वर्तमान समय में कोरोना महामारी विश्व व्यापक है तथा इसने
विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया है, जिसमें कार बाजार भी शामिल है। महामारी के कठिन दौर
में नकदी बचाने के लिए एहतियाती कदम के रूप में कई लोग इस्तेमाल की गयी या पुरानी
कारों को खरीद रहे हैं।विभिन्न अध्ययन यह बताते हैं, कि महामारी के दौरान इस्तेमाल की गई
कारों की मांग में वृद्धि हुई है और व्यक्तिगत गतिशीलता की प्राथमिकता और भी मजबूत होती
जा रही है। वैश्विक शोध और परामर्श फर्म के अनुसार व्यक्तिगत गतिशीलता के लिए बढ़ती
वरीयता और पिछले वित्त वर्ष के निम्न आधार प्रभाव के कारण वित्त वर्ष 2022 में इस्तेमाल की
गयी कारों की बिक्री 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ने की उम्मीद है।
पी एंड एस इंटेलिजेंस (P&S Intelligence) का कहना है कि भारत में यूज्ड कार (used car)
बाजार का आकार 2020 में 18.3 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर 2030 में 70.8 बिलियन
अमरीकी डालर होने की उम्मीद है।यहां तक कि उद्योग विशेषज्ञ भी भारत में पुरानी कारों
की मांग के लिए मजबूत वृद्धि की भविष्यवाणी करते हैं, लेकिन उपलब्धता, ग्राहक वरीयता
और पुरानी कारों की पंजीकरण लागत में वृद्धि से लेकर कुछ अंतर्निहित चुनौती इस बाजार के
सामने खड़ी हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मसौदा अधिसूचना के अनुसार, एक
व्यक्ति को 15 साल से अधिक पुरानी कार के पंजीकरण को नवीनीकृत करने के लिए 5,000
रुपये तक का भुगतान करना होगा जो कि, मौजूदा कीमत से लगभग आठ गुना अधिक है। इसी
तरह,15 साल से अधिक पुराने आयातित वाहनों के लिए, प्रस्तावित नवीनीकरण शुल्क 40,000
रुपए है। पंजीकरण शुल्क और 15 वर्षों से अधिक पुरानी कारों के नवीनीकरण शुल्क में वृद्धि
से इस्तेमाल किए गये वाहनों के मूल्यांकन पर असर पड़ेगा, विशेष रूप से उन वाहनों के जो
12-13 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।
हालांकि महामारी के दौरान पुरानी कारों की मांग में वृद्धि हुई है, लेकिन इस वृद्धि से विश्व
स्तर पर पुरानी कारों की कीमतों में भी तेजी से उछाल आया है।इस्तेमाल किए गए वाहनों के
लिए,लेन-देन की राशि औसत रूप से एक साल पहले 20,900 डॉलर थी, जो एक साल बाद
21% से अधिक बढ़कर 25,400 डॉलर पहुंच गयी है।डीलर इस्तेमाल किए गए वाहनों के लिए
अधिक भुगतान कर रहे हैं। माइक्रोचिप्स (Microchips), जो कि वर्तमान समय में वाहनों के
संचालन के लिए आवश्यक प्रमुख घटकों में से एक है, की कमी ने निर्माताओं के नए वाहनों के
उत्पादन को प्रभावित किया है। जिसके कारण वाहनों की मांग की आपूर्ति पर गहरा असर आया
है।परिणामस्वरूप वाहनों की खरीदारी में दी जाने वाली छूट में भी कमी आ रही है, तथा कुछ
वाहन अधिक कीमतों पर बिकने लगे हैं।नई कार और यूज्ड कार बाजार (Used Car market)
आपस में जुड़े हुए हैं, इसलिए एक की उच्च कीमतें दूसरे को भी प्रभावित करती हैं।यह अनुमान
लगाना मुश्किल है कि चीजों में सुधार होने में कितना समय लगेगा,यह सब नई-कार इन्वेंट्री के
स्वस्थ स्तर पर वापस लौटने पर निर्भर है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक,पुरानी कारों की कीमतों में बढ़ोतरी यूनाइटेड किंगडम (United
kingdom) और संयुक्त राज्य अमेरिका (United states) जैसे देशों में बढ़ती मुद्रास्फीती दर को
और भी बढ़ाने में मदद कर रही है।यू.एस. ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स (U.S. Bureau of
Labor Statistics) के अनुसार, इस्तेमाल की गई कार की कीमतों में उछाल से मुद्रास्फीति दर
में समग्र रूप से वृद्धि हुई है। पुरानी कारों के लिए उपभोक्ताओं की खोज एक साल पहले की
तुलना में दोगुनी है, जिसका मतलब है कि कारें काफी तेजी से बिक रही हैं।उपभोक्ताओं के लिए
अच्छी बात यह है, कि भले ही कीमतें अधिक हों, लेकिन आपका ट्रेड-इन (Trade-in) आज की
तुलना में कभी भी अधिक मूल्य का नहीं होगा, और यह आपको एक नई कार खरीदने के लिए
बेहतर स्थिति में ला सकता है।
इस्तेमाल की गई कारों की अपेक्षाकृत ऊंची कीमत ने कुछ समय पहले कई खरीदारों को नई
कारों को खरीदने के लिए मजबूर किया था। लेकिन जब से वैश्विक अर्धचालक की कमी होने
लगी है, तब से कई वाहन निर्माताओं ने उत्पादन धीमा कर दिया है, या फिर रोक दिया है,
जिससे नई कारें अधिक दुर्लभ हो गयी हैं।अब किराये की कार कंपनियां भी बढ़ती मांग के
अनुरूप अपनी स्थिति को सही करने के लिए पुरानी कारों को खरीद रहे हैं।व्यापक रूप से देखे
जाने वाले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में एक साल पहले की तुलना में जून 2021 में 5.4 प्रतिशत
की वृद्धि हुई, जिसके परिणामस्वरूप 13 वर्षों में मुद्रास्फीति दर सबसे अधिक दर्ज की गयी है।
इस प्रकार यूज्ड कार बाजार तथा मुद्रास्फीति दर पर महामारी का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को
मिलता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3h2z9BC
https://cnb.cx/3jLdcch
https://bit.ly/3DZAlzQ
https://bit.ly/3n5S2I2
चित्र संदर्भ
1. कार बेचते कर्मचारी का एक चित्रण (facebook)
2. बिक्री हेतु रखी गई कार का एक चित्रण (Istock)
3. बेचने हेतु कतार में खड़ी कारों का एक चित्रण (Youtube)